झारखंड सरकार ने 16 मई से घर से बाहर निकलाने के लिए E-Pass को जरूरी कर दिया । इस पास के कारण सड़को पर तो भीड़ कम दिख रही है, लेकिन कई लोगों को परेशानी भी हो रही है। राजधानी के चौक- चौराहों पर कई लोग पुलिस को अपनी मजबूरी बता रहें हैं। E-Pass बनाना तो आसान है लेकिन सर्वर ही डाउन हो गया। सर्वर डाउन होने के चलते लोग पास नहीं बना पा रहें हैं।
सरकार का सारा दावा हुआ फेल
हेमंत सरकार ने दावा किया था कि लॉकडाउन पास एक मिनट में निर्गत होगा। पहले ही दिन परिवहन विभाग का ई-पास निर्गत करने का सिस्टम फेल कर गया है। वेबसाइट खुलते ही क्रैश हो जाता है। नतीजतन, ई-पास निर्गत नहीं हो रहा है। इससे एक तरफ झारखंड सरकार की किरकिरी हो रही है तो दूसरी तरफ जनता भी परेशान-हलकान है। आवश्यक कार्य के लिए भी लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। निकलने पर अलग तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस से सामना हो रहा है। सोशल मीडिया पर भी E- PASS को लेकर लोग अपनी शिकायत दर्ज कर रहें हैं।
कहीं भूखी ना रह जाए गरीब जनता
सरकार के फैसले के बाद पहले हीं दिन जन वितरण प्रणाली की कई दुकान बंद दिखी या फिर देर से खुलीं। कोरोना काल के दौरान गरीब के पास समय पर अनाज़ पहुंच जाये और किसी कि भी मौत भूख से ना हो इसको लेकर इन दुकानदारों की भूमिका अहम है। कोरोना की वजह से अब तक कई PDS दुकानदारों ने अपनी जान गवांई है। आज से लागू E-PASS सिस्टम के कारण के कई दुकानदार समय पर अपना दुकान नहीं खोल पाये। लोगों को काफी परेशानी हुई।
दुकानदारों को भी हुई काफी परेशानी
द फॉलोअप टीम से बात करते हुए फेयर प्राइस शॉप डॉलर्स एसोसिएशन झारखंड के महासचिव संजय कुंडू ने कहा की गरीबों तक अनाज पहुंचे इस लिए हम अपने और अपने परिवार की चिंता नहीं कर रहे। सरकार के इस फैसले से हमे परेशानी हो रही है। झारखंड के कई इलाको में कई PDS संचालकों के पास स्मार्ट फोन नहीं है। कई बुजुर्ग भी हैं। कैफे भी बंद है इसलिए E-PASS बनाने में काफी दिक्कत हो रही है। कहीं ई-पॉस मशीन देखकर पुलिस वाले छोड़ दे रहे हैं, तो कहीं इसे बहाना बोल रहें हैं। हमारे दो दर्जन से भी अधिक दुकानदार कोरोना के चलते अपनी जान गवां बैठे हैं। इस लिए सरकार को हमे E-PASS से राहत देनी चाहिए और PDS दुकानदारो को कोरोनाकाल में फ्रंटलाइन वर्कर्स का दर्जा देकर उनका बिमा कराना चाहिए।
बाबूलाल मरांडी ने भी उठाया सवाल
बीजेपी विधायक दल के नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी इस पर सवाल उठाया। बाबूलाल मरांडी ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर लिखा कि “E-PASS व्यवस्था के पहले दिन ही दूर दराज से भी विसंगतियों की शिकायत आ रही है। एक तो पास जारी होने वाला वेबसाईट/ एप बेकार साबित हो रहा तो दूसरी ओर रोज़मर्रा के कामगार परेशान हैं। जिस ज़िले की जैसी मर्ज़ी वैसा ही क़ानून चला रहा है। अधिकारी निरंकुश हो गये हैं और उनपर कोई नियंत्रण नहीं”?
ढ़ाई लाख पास हो चुका है निर्गत
झारखंड सरकार ने ई-पास अनिवार्य करने के साथ ही निर्गत करने के लिए epassjharkhand.nic.in पोर्टल बनाया है। सर्वर में अचानक लोड बढ़ जाने के कारण सर्वर ही डाउन हो गया है। ई-पास बन नहीं रहा है। हालांकि परिवहन विभाग की मानें तो अभी तक पूरे राज्य में ढ़ाई लाख पास निर्गत हो चुका है।