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लॉकडाउन में बेजुबान बेसहारा जानवरों के लिए सहारा बने शिक्षक सावन ।

जैसे ही देश मे जनता कर्फ्यू लगा इंसानों की दिनचर्या बदल गई ,जनता कर्फ्यू के बाद लॉकडाउन लग गया जिससे इंसानों के साथ साथ जानवरों की परेशानी ज्यादा बढ़ गई,वैसे जानवर जो बेसहारा हैं उन्हें भोजन की समस्या आ गई ।सब्जी मंडी,मिट मंडी बन्द हो जाने से बेसहारा गाय एवं कुत्तों को भोजन की समस्या घेरने लगी ।ऐसे समय मे शिक्षक सावन कुमार का साथ इन बेजुबानों को मिला और वो जानवर भी परिवार की तरह हो गए ।

राघव मिश्रा/इस पूरे लॉकडाउन में गोड्डा जिले के रहने वाले शिक्षक सावन कुमार की भी दिनचर्या को बदल दिया ,इंसान तो अपनी भूख मिटाने के लिए लोगों से मांग भी लेते लेकिन उन जानवरों की कौन सुनता जो बेजुबान हैं ।

कुछ यूं बदल गई ढाई महीने की जिंदगी ।

जनता कर्फ्यू के दिन शिक्षक सावन कुमार घर के बाहर खड़े थे इसी बीच उनकी नजर घर से महज कुछ ही दूरी पर कचरे के डब्बे में मुह लगाकर एक गाय को भोजन तलाशते हुए,सबसे पहले तो उन्होंने उस गाय को भोजन दिया और फिर उसी दिन से अपनी पूरी दिनचर्या ही बदल ली ।
सावन कुमार कहते हैं सबसे पहले हमने गांव से साग सब्जी लेकर बाजार आने वाले किसानों से मिला और उन्हें अपने घर का पता लिखा दिया ताकि वो रोज मुझे अधिक से अधिक साग और बंधा गोभी लाकर दे सकें ।

बेसहारा जानवरों को भोजन खिलाते।
बेसहारा जानवरों को भोजन खिलाते।

फिर क्या था सुबह मैं सोकर नही उठ पाता उससे पहले किसान साग सब्जी लेकर घर पर आने लगे ,रोज 1000 बंडल साग और क्विंटल में बंधा गोभी लेने लगा,चूंकि लॉकडाउन में सब्जी उत्पादक को भी कठनाइयां थी तो उन किसानों को भी मैं तय मूल्य से अधिक पैसे देकर साग सब्जी खरीदने लगा, ताकि रोज उन बेजुबान बेसहारा जानवरों को खिलाने का जो संकल्प मन मे ठान लिया था उसे पूरा कर सकूं ।

सावन बताते हैं कि इस सेवा को जैसे ही शुरू किया तो सबसे पहले हमने जिला अधिकारी से अपनी चार पहिया वाहन का पास बनवाया ताकि मैं जानवरों के लिए अधिक से अधिक भोजन ले जा सकूं और फिर रोज शाम 4 बजे से 7 बजे तक इन बेजुबानों को खिलाने निकलने लगा ।

कई लोगों का मिला साथ और बढ़ता गया हाथ ।

सावन कुमार के इस सेवा भाव को देख शहर के कई युवा ने साथ दिया ,अभिषेक ,शिबू,गुड्डू ,इत्यादि लड़कों ने समय को ऐसे व्यवस्थित कर दिया कि जानवरों ने गाड़ी पहचाननी शुरू कर दी ।
जैसे ही गाड़ी कहीं पर लगती थी जानवर गाड़ी की तरफ दौड़ जाते थे ।और सबने मिलकर इसे रूटीन की तरह निभाने का सोच लिया ।

कुत्तों को बिस्किट खिलाते शिक्षक सावन
कुत्तों को बिस्किट खिलाते शिक्षक सावन

 

विवेकानंद अनाथ आश्रम का मिला सहयोग ।

इस क्रम में जब जानवरों से लगाव बढ़ने लगा तो इंसानों की तरह जानवरों के लिए भी तरह तरह के व्यंजन की तैयारी शुरू कर दी गई ,स्वामी विवेकानंद अनाथ आश्रम की संचालिका बन्दना दुबे भी रोज कुत्तों के लिए खीर बनाकर देने लगी और यह सेवा बढ़ता चला गया ।किसी दिन खीर तो किसी दिन ब्रेड,किसी दिन केक तो किसी दिन बिस्किट कुत्तों के लिए अलग से व्यवस्था होने लगी ।

लॉकडाउन में भूखे भटकते जानवरों को खिलाने उन्हें ढूंढने वीर कुंवर सिंह मोड़ से लेकर सरकंडा चौंक और फसिया डंगाल होते हुए ब्लॉक मैदान तक का यह सेवा रोज के रूटीन में शामिल हो चुका था ।

आवाज और गाड़ी पहचानने लगे थे जानवर ।

चारों ओर जब बेजुबानों को खिलाते हुए सावन कुमार शाम में जब मेला मैदान पहुंचते तो एक आवाज में गायें ,बछड़ा ऐसे दौड़ लगाती थी जैसे मानो द्वापर युग के भगवान कृष्ण ने पुकारा हो ।

कुत्ते के झुंड पूरी गाड़ी को घेर लेते थे ,फिर सभी मिलकर उन्हें भोजन कराते और दिल को सुकून महसूस होता ।गाय ,बछड़ा,कुत्ते सभी आवाज पहचानने लगे थे एक इशारे में सभी एक जगह इक्कट्ठा हो जाते थे और बड़े चाव से भोजन करते जानवरों को देख लगता था कि मानो इंसानों और इन जानवरों में एक गहरा रिश्ता बन गया हो ।

ऐसे कामो की तस्वीरें नही साझा करना चाहते थे सावन ।

पेशे से प्रधानाध्यापक सावन कुमार ऐसे सेवा के कामो की तस्वीरें साझा नही करना चाहते थे ,सिर्फ वही नही बल्कि उनके साथ सहयोग करने वालों ने भी कहीं शेयर नही की ।सावन कुमार कहते हैं कि हमे ऐसे कामों को करने में ,जरूरतमंद के साथ बेजुबान,बेसहारों को सहायता देने में आत्मा को सन्तुष्टि मिलती है इसके लिए हमे फ़ोटो दिखाने की जरूरत नही ।साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हां ये बात सत्य है कि कई ऐसे लोग शहर में एक दूसरे की मदद कर रहे हैं जो कभी दिखावा नही करते ।लेकिन समाज को एक संदेश जाए ताकि फिर कोई केरल में हुए बेजुबान हाथी के साथ घटी अमानवीय घटना देश मे दोहराया न जाय । इसके लिए संदेश देना भी जरूरी है ।ताकि लोग जानवरों से भी वैसे ही प्यार करे जैसे अपने बच्चों से करते हैं ।

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