अभिजीत तन्मय/गोड्डा की आम जनता के साथ सदर अस्पताल का सीधा सरोकार है और रिश्ता है। या यूं कहें कि रिश्ते की शुरुआत भी यहीं से होती जब किसी गर्भवती का प्रसव यहाँ होता है। जब कोई बीमार होता है या किसी दुर्घटना में घायल होकर कोई इलाज के लिए पहुँचता है।
इस सदर अस्पताल में नए रिश्तों की शुरुआत होती है तो कई रिश्तों की मौत भी हो जाती है।
कभी किसी अनजान के द्वारा किसी घायल को अस्पताल पहुंचाते भी दिख जाता है तो कभी किसी अपनों के द्वारा परिजनों को छोड़ कर भाग जाने की भी बात सामने आती है।
इस माह तीन ऐसे मामले सामने आए जिसमें सदर अस्पताल के वार्ड में 3 वृद्ध लोगों की मौत नहीं हुई बल्कि रिश्ते-नातों का भी अंतिम संस्कार हो गया।

केस स्टडी : 1
18 तारीख को अमीन राउत गंगटा के समीप बेहोशी की हालत में 108 एम्बुलेंस के द्वारा सदर अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन बढ़ौना में रहने वाला उसका परिवार उसकी सुध लेने नहीं आया और उसकी मौत हो गयी और इसे संयोग कहा जाए या उसके परिजनों का इंतजार कि उसके मौत के बाद ही परिजन सदर अस्पताल पहुँच गए।
केस स्टडी- 2
पिछले साल 27 दिसंबर की है जिसमे एक वृद्ध महिला बस स्टैंड में बेहोशी की हालत में मिली। स्थानीय लोगों की मदद से उसे सदर अस्पताल भेजा गया। देर शाम तक उसे होश भी आ गया। उसने अपना घर पथरगामा थाना क्षेत्र के बारकोप गाँव बताया। परिवार वालों को जानकारी भी दे दी गयी लेकिन कभी कोई देखने नही आया। बहु को सास के वृद्धा पेंशन से मतलब था। 27 दिसम्बर को उसने उसे गोड्डा को गाड़ी पर बिठा कर पथरगामा से भेज दिया था। उस बेचारी महिला की भी सदर अस्पताल में मौत हो गयी।
22 जनवरी सदर अस्पताल से इस बात की जानकारी बारकोप गाँव के चौकीदार को पथरगामा पुलिस के मार्फ़त दे दी गयी थी लेकिन घर से कोई नहीं आया। अंततः उसकी मौत हो गयी।
पोस्टमार्टम वार्ड में पड़ी वृद्ध महिला की लाश अपने घरवालों के इंतजार में है लेकिन कोई नहीं पहुँचा।
शायद कुछ कमी तो जरूर रही होगी परवरिश में वरना अंतिम समय में कोई अपना इस तरह पत्थर नहीं बनता।
केस स्टडी : 3
25 जनवरी को एक शख्स गोड्डा रेलवे स्टेशन में बेहोशी की स्थिति में मिला और 26 जनवरी की शाम इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी। 27 जनवरी की दोपहर पोस्टमार्टम के बाद अगले 72 घंटों तक उसके शव को सदर अस्पताल में रखा गया।30 जनवरी की दोपहर जब उसके परिजन नहीं आए तब जिला प्रशासन के द्वारा उसके शव का अंतिम संस्कार करवा दिया गया।
1 फरवरी को अचानक खबर देखने के बाद उसके गाँव वालों का फोन आया जिसमे ये शक जताई गई कि मृत व्यक्ति उसके गाँव पथरगामा थाना क्षेत्र के बेलसर का है। बाद में उसके घर वाले सदर अस्पताल पहुँचे और मृतक के कपड़ों से उसका पहचान किये। मृतक का नाम रामबहादुर राय था।
अब सवाल ये उठता है कि जब वो व्यक्ति 25 जनवरी से गायब था तो घर वालों के द्वारा इसकी सूचना थाना में क्यों नही दर्ज कराई गई। अगर घरवाले पहले थाना पहुँच जाते तो अंतिम समय में मृतक को देख भी लेते और उस व्यक्ति को पुत्र रहते किसी और के द्वारा मुखाग्नि भी नहीं दी जाती।
कुछ गलतियाँ जान बूझ कर की जाती है या साजिश की तरह ये तो पता नहीं लेकिन प्रतिदिन ऐसी घटनाओं का गवाह बनता जा रहा है सदर अस्पताल।