अडाणी के पक्ष में तीन जगहों पर हुई रैयतों की सभाएं।
अडाणी के समर्थन में माली समेत चार मौजा के रैयत जुटे, कहा स्वेच्छा से दी है जमीन।कल अडाणी पावर प्लांट के पक्ष में सदर प्रखंड के डुमरिया, पटवा व पोड़ैयाहाट के बसंतपुर में रैयतों व किसानों ने अलग अलग सभाएं कीं। रैयतों ने एक स्वर में कहा कि उनके नाम पर राजनीति हो रही है, जबकि उन्होंने स्वेच्छा से अपनी जमीनें दी हैं। सिर्फ 2-4 लोगों को छोड़कर सभी ने मुआवजा भी ले लिया है। रैयतों ने कहा कि जरूरत पड़ी तो कंपनी के पक्ष में सड़क पर भी उतरेंगे।
रैयतों ने अडाणी कंपनी पर काम जल्द शुरू करने का बनाया दबाव।
गोड्डा में प्रस्तावित अडाणी पावर प्लांट को लेकर चल रहे ताजा विवाद मामले में बुधवार को कंपनी को रैयतों का भारी समर्थन देखने को मिला। माली, मोतिया, गंगटा व पटवा समेत चार मौजा के रैयतों ने सदर प्रखंड के डुमरिया, पटवा व पोड़ैयाहाट प्रखंड के माली-बसंतपुर में अलग अलग सभाएं कीं और कहा कि उन्होंने पावर प्लांट के लिए स्वेच्छा से जमीन दी है और दो-चार लोगों को छोड़कर बाकी सभी रैयत मुआवजा भी ले चुके हैं।
रैयतों ने कहा कि ये बड़े दुख की बात है कि उनके नाम पर राजनीति की जा रही है व उन्हें पावर प्लांट विरोधी बताने की साजिश रची जा रही है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है।
डुमरिया की सभा में रैयत पशुपतिनाथ झा ने कहा कि उन्होंने कंपनी को अपनी जमीन स्वेच्छा से दी है।
कंपनी के पदाधिकारी जमीन अधिग्रहण की पूरी प्रक्रिया के दौरान पिछले दो वर्ष में कभी भी कोई गलत व्यवहार या जोर जबरदस्ती नहीं किया है।
रैयत सोनू झा ने कहा कि सीएसआर के तहत कंपनी काफी पहले से कई कार्य कर रही है। कंपनी लगने से हमें फायदा है।
ऐसे में कंपनी के प्रति नफरत की भावना फैलाना बिल्कुल गलत है। पटवा की सभा में ग्रामीण संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष तेज नारायण साह ने कहा कि हमारे नाम पर राजनीति बंद हो।
हम कंपनी लगाने के पक्ष में हैं। मोतिया के मिथिलेश चौधरी ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो प्लांट लगाने के लिए हम रैयत भी सड़क पर उतरने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर एक संघर्ष विकास के नाम होगा।
नितेश कुमार ने कहा कि हाथ जोड़कर सभी लोगों से विनती है कि हमारे मामले में राजनीति न करें।
हमने स्वेच्छा से जमीन दी है। पटवा में कंपनी के पक्ष में नारेबाजी भी देखने को मिली। बसंतपुर के शिव मंदिर में हुई सभा में माली मौजा के रैयत बड़ी संख्या में जुटे।
इसमें महिलाओं की भी अच्छी खासी संख्या थी। यहां भी लोगों ने कहा कि कंपनी के आने से हमारा जीवन स्तर सुधरा है।
हमें प्रति एकड़ 49 लाख 10 हजार 400 रुपए की दर से मुआवजा मिल चुका है। माली मौजा के नारायण शर्मा ने कहा कि कंपनी लगने से परेशानी नहीं है बल्कि खुशी है।
रंजन मंडल ने कहा कि कुछ मुट्ठी भर लोग भय का माहौल बनाना चाह रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजकल ग्रामीण माली गांव के आसपास डर का वातावरण बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि गांव-समाज के लिए ये बातें ठीक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि माली मौजा के करीब 240 रैयतों में सिर्फ 2 ही रैयत हैं जो खिलाफ हैं और बाकी सभी ने सहमति से मुआवजा ले लिया है।
ऐसे में भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों के तहत प्रशासन ने कंपनी को जमीन दी है। हम चाहते हैं कि कंपनी जोर शोर से अपना कार्य शुरू करे।
इन अलग अलग बैठकों में किसान लालमुनि झा, जयनंदन साह, अनिमेष कुमार चौधरी, कौशल, विभूति मंडल, दीपनारायण ठाकुर, संजय कुमार चौधरी, प्राणधन पंडित, अनिरुद्ध प्रसाद साह, चंदा देवी, ममता कुमारी, उपेंद्र मंडल, दिनेश यादव, निकेश यादव, कुंदन यादव, रामचंद्र साह समेत सैकड़ों किसानों ने हिस्सा लिया व कंपनी के प्रति समर्थन दिखाया।