अपना यूँ बिखर जाएगा कभी सोचा ना होगा।
अभिजीत तन्मय/इंसान का नशा उसकी आदत बन जाती है और वो आदत कब कमजोरी में बदल जाती है ये पता ही नही चलता है। बाद में वही कमजोरी घर परिवार में विवाद का कारण बन जाता है।
पथरगामा थाना क्षेत्र के हसुआ गांव निवासी राजमिस्त्री का काम करने वाला सत्यनारायण मंडल शराब पीने की आदत के कारण अक्सर घर मे मारपीट करता था।उसकी पत्नी माला देवी के साथ बहस तो रोज का रूटीन था। पाँच बच्चों के पिता का ये रूप घर पर भी बुरा असर कर रहा था।
शराबी राजमिस्त्री की पत्नी इस लीला से परेशान हो चुकी थी।
इस मुद्दे पर मायके वालों द्वारा भी दामाद को समझाने का प्रयास किया गया। कई बार पंचायती भी हुई लेकिन सुबह किया हुआ वादा शाम में शराब की बोतल में किधर बह जाती थी ये पता नही चलता था। बच्चे अब बड़े हो रहे थे लेकिन झगड़े अब और बड़े होने लगे।
पत्नी का मुँह बन्द करने के लिए अब वो उसके चरित्र पर भी उँगली उठाने लगा ताकि वो शांत हो जाए और उसके शराब के सेवन पर कोई सवाल न करे।
पत्नी अब और व्यथित हो गई। परिवार की चिंता,बच्चों की परवरिश की फिक्र हर पल उसे खाने लगी। आखिर कब तक अपने मायके वालों को अपनी फरियाद सुनाती और उन्हें भी परेशान करती यहीं कारण था कि हालात से आजिज होकर उसने बीती रात अपनी दो साल की बच्ची के साथ कुँए में कूद कर आत्महत्या कर ली।हालांकि रात के 11 बजे कॉल करके ससुराल वाले को मृतिका के पति ने बताया था कि गायब है,और सुबह सुबह ही साला को लाने चला गया ,साला के साथ घर तक आया फिर फरार हो गया,साला का आरोप है की उसके बहनोई ने ही बहन और भगनी को मारकर कुंए में फेंक दिया है
ये आत्महत्या है
या हत्या लेकिन सवाल कई खड़े कर रही है एक औरत जिसकी पाँच संतान हो और वो एक बच्ची (सबसे छोटी) को लेकर आत्महत्या कर ली आखिर उसकी विवशता की पराकाष्ठा क्या रही होगी?
पति अब निश्चिंतता की जिंदगी भले ही जीने लगे लेकिन अब उन छोटे छोटे चार बच्चों का क्या होगा जिनके सर से ममता की छाँव सदा के लिए दूर हो गयी।
इंसान के शरीर का पोस्टमार्टम हो जाता है औऱ डॉक्टर मौत का कारण लिख देता है लेकिन जो राज दिल मे छुपे होते है उसे कोई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बता नही सकता है।अगर ये आत्महत्या भी है तो भी उसके पति पर हत्या
की तहत धारा लगनी चाहिए क्योंकि आत्महत्या के लिए उकसाना भी एक हत्या की तरह ही है ।