झुंड से बिछड़े हाथी ने चुराई वन विभाग की नींद
पोडैयाहाट प्रखंड में मंगलवार को झुंड से बिछड़े हाथी द्वारा दोबारा एक महिला को मारने के बाद लगभग दो दर्जन से अधिक गांव के ग्रामीण दहशत में है। आदिवासियों को जंगली हाथियों की बुरी मार झेलनी पड़ी है। दहशत इतनी की आदिवासियों की दिन क्या रात क्या सब एक जैसे। खौफ इतना की छोटे-छोटे बच्चे मां-बाप के गोद से अलग नहीं हो रहे। विभागीय पदाधिकारी के अनुसार सबसे पहले हाथी को मलमला गांव में देखा गया था। जिसके बाद वह दस गांवों में उतपात मचा चुका है। जिसके कारण सुगाबथान, गौरीपुर, सिकटिया, सतबंधा, बलाथर, बेलडांग, मोहानी, शिवनगर, तेलियाटीकर, लता, अमजोरा पथरकानी आदि गांवों के ग्रामीण रतजगा कर रहे है।हाथी का दहसत आज पोड़ैयाहाट क्षेत्र के पारगोडीह,असना,कैरासोल,चोगा,धावा के आस पास भी देखा गया है सभी ग्रामीण डरे सहमे हुवे हैं ,इसी क्रम में पारगोडीह के सभी लोग आस पास के गांवो सहित अपने गांव में आग लगा कर पहरा दे रहा है।जिला प्रसासन से भी गांव वालों ने आग्रह किया है की कोई घटना न हो इस पर ध्यान प्रशासन भी ध्यान रखे ।
गांव के लोग डंडा, टार्च, मशाल आदि का उपयोग कर रहे है। महिलाएं अपने बच्चों को साड़ियों से बांधे हुए सड़क किनारे आग जलाकर रह रही है। ये सारी कवायद इसलिए क्योंकि यहां पहली बार एक जंगली हाथी की घुसपैठ हो गयी है।
बताते चले कि पिछले एक सप्ताह से हाथी के आतंक से लोगों का बुरा हाल है। अब तक उक्त झुंड से बिछडे हाथी ने तीन लोगों को मार चुका है। जानकर बताते है कि जंगली हाथी में सबसे खतरनाक नस्ल टस्कर है। जो मानव जाति को देखते ही उस पर हमला कर देता है।
आतंक मचाने वाले हाथी की उम्र वन विभाग के मुताबिक तकरीबन 20-25 साल की है।
जामताड़ा की ओर से कोई हाथी का झुंड गुजर रहा था जिसमें एक हाथी बिछड गया। वह दुमका के जंगलों से होते हुए पोडैयाहाट पहुंच गया। इसका मतलब जब तक वो अपने झुंड में मिल नहीं जाता, क्षेत्र को खतरा बना रह सकता। भूख के कारण वो इधर उधर छटपटा रहा है। विभाग इसके लिए पुख्ता इंतजाम कर रहा है।
क्या कहते है पदाधिकारी
अभी हाथी गांव के जंगल में घुस गया है। जहां पर उसे खाने का सामग्री मिल रहा है। फिलहाल हाथी को झुंड से मिलाने की कवायद तेज कर दी गयी है। आसपास क्षेत्र के ग्रामीण सतर्क रहें।
-अरविंद कुमार सिंह, जिला वन पदाधिकारी, गोड्डा