सोमवार की रात 12 बजे से ही कई सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड बंद हो गया। आइएमए के निर्देश पर जिले में भी इस हड़ताल का प्रतिकूल असर पड़ा। डॉक्टरों ने सोमवार रात से अगले 72 घंटे तक गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड नहीं करने का निर्णय लिया है। मंगलवार को गर्भवती महिलाएं अल्ट्रासाउंड कराने पहुंची तो वहां से उन्हें बैरंग लौटना पड़ गया। जब वे निजी क्लिनिक की ओर कूच की तो वहां पर भी उनका अल्ट्रासाउंड नहीं किया गया। जिससे गर्भवती महिलाओं को खासा परेशानी उठानी पड़ रह रही है।
प्रसव के पहले दिया जाता है अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह :
सदर अस्पताल में औसतन दो दर्जन से अधिक गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जाता है। प्रसव के पूर्व गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड नौ महीने में आधा दर्जन से अधिक बार किया जाता है। प्रसव के पहले अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह चिकित्सक देते है। जिसमें गर्भ में पल रहे शिशु की स्थिति का पता चलता है। लेकिन अल्ट्रासाउंड नहीं होने के कारण सबसे अधिक परेशानी प्रसव कक्ष में भर्ती गर्भवती महिलाओं को उठानी पड़ रही है।
बताते चले कि भ्रूण परीक्षण के आरोप में गिरफ्तार की गई कोडरमा की सीमा मोदी को गलत ढंग से फंसाए जाने और मामले की उच्चस्तरीय जांच नहीं कराए जाने के विरोध में यह फैसला लिया गया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (अाईएमए), झासा, फॉग्सी समेत एसएसअोअाई से संबद्ध डॉक्टर इस आंदोलन में शामिल हैं।
आईएमए के जिला सचिव डॉ. प्रभारानी प्रसाद ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने निर्देश दिया था कि एक कमेटी बनाई जाएगी, जो कि 72 घंटे में रिपोर्ट देगी। लेकिन एक सप्ताह बीत जाने के बावजूद कोई भी जांच कमेटी तक नहीं बनी है। अगर उनके साथ मानवता दिखायी नहीं जाती है तो चिकित्सक मानवता के नाते क्यों काम करेंगे।