फिर शर्मसार होने से बचा गोड्डा
अभिजीत तन्मय:गोड्डा/बीती रात गोड्डा में एक ऐसी घटना होते होते बची जिससे ये शहर फिर सुर्खियों में रहता और हम सभी गोड्डा वासी शर्मसार होते।
दोस्त के साथ एक शादीशुदा औरत घूमने को निकली थी कि उसके पीछे दो और दरिंदे लग गए। ये उस लड़के के मित्र थे या कोई और ये अभी तक साफ नही हो सका है लेकिन कल की देर शाम एक अनहोनी घटना घट जाती जिसका अंजाम बाद में कुछ भी हो सकता था।
शायद जबरदस्ती का विरोध करने पर या जबरदस्ती कर अपराध को छुपाने के लिए उस महिला की हत्या भी हो सकती थी।
अचानक हुए हमले और बदनीयती को भाँपते हुए उस महिला ने काफी हिम्मत दिखाई लेकिन वो द्रोपदी नही थी कि उसका चीरहरण बच जाता। बेबस लाचार वो महिला पूरी हिम्मत कर खेतों में चिल्लाते हुए भागी।
भूखे सियार की तरह उस महिला पर उसके आबरू के लूटेरे दौड़ रहे थे लेकिन उस बियावान जंगल मे किस्मत से उसकी आवाज कुछ राहगीरों के कानों तक गयी जिसके बाद हल्ला करने पर वे सभी भेड़िए भाग गए। इस बात की सूचना पुलिस को भी दी गयी। बाद में पुलिस के पहुँचने के बाद उस महिला के शरीर पर घटनास्थल से दूर किसी के घर से एक साड़ी माँग कर ढँकी गयी।
उसी अवस्था मे उसे थाना लाया गया। बाद में इस बात की सूचना उसके घर वालों को दे दी गयी। रात भर थाना में रहने के बाद बिना किसी पर शिकायत किये वो महिला अपने पति के साथ घर चली गयी।लड़की की माँ भी केस करने के पक्ष में नही थी।
केस नही हुआ जिससे बहुतों ने राहत की सांस ले ली लेकिन अब भी बहुत सारे सवाल है जो ये सोचने को मजबूर कर रहे है कि देर शाम बिना किसी अपने के साथ वो उस जगह गयी कैसे?
अगर उसे अगवा किया गया तो फिर वो शिकायत(केस) क्यों नही की। अगर वो अपनी मर्जी से गयी थी तो उस शख्स का नाम क्यों छुपा रही है।
खैर वो कुछ सवालों के जवाब में खुद-ब-खुद फँसती नज़र आई लेकिन चेहरे पर एक दर्द था जो उसे किसी अपने ने दिया था लेकिन खुशी हुई कि जल्द ही सम्भल गयी।
अनहोनी होते होते बच गयी और उस माँगी हुई साड़ी ने सिर्फ उस महिला की आबरू ही नही ढँकी बल्कि कई लोगों के इज्जत को भी बचा लिया।
ये कहानी एक सीख है उन लड़कियों और महिलाओं के लिए जो किसी पर भी तुरंत विश्वास कर किसी के साथ अनजान जगहों पर निकल जाती है।
आपका भविष्य और परिवार वालों की इज्जत आपके हाथों में है इसे बेआबरू होने मत दीजिये।