राघव मिश्रा:गोड्डा/झारखण्ड की धरती सही अर्थों में भूगर्भा और रत्नगर्भा है। इस धरा ने अपने अन्दर न जाने कौन-कौन से बहुमूल्य खनिज सम्पदाओं के विपुल भण्डार को संजोये रखा है।
इस नवनिर्मित प्रदेश की ।अर्थव्यवस्था का मूल आधार ही यहां से प्राप्त खनिज सम्पदा एवं उस पर आधारित उद्योग धन्धे हैं।
लोहरदगा, धनबाद, झरिया, सिन्दरी, कुमारधबी, रामगढ़, टाटी सिल्वै, नोआ मण्डी,गोड्डा आदि अनेक शहर खनिज सम्पदाओं के ढेर पर बने हैं।
भारत के खनिज सम्पदा के कुल उत्पादन का 40% हिस्सा झारखण्ड से ही प्राप्त किया जाता है।
यह प्रदेश देश का 58% अबरख, 30% कायनाइट, 33% ताम्बा, 33% कोयला, 32% बाक्साइट तथा 23% के आसपास लोहा उत्पादित करता है।
इन खनिज सम्पदाओं के अलावा इस धरती के गर्भ में क्रोमियम, मैंगनीज, चीनी मिट्टी, फायर क्ले, चूना पत्थर, बेराइट, डोलेमाइट, ऐसबेस्टस, यूरेनियम, गंधक, सोना और टंगस्टन भी पाए जाते हैं
और अब हाल ही में भूगर्भशास्त्रियों द्वारा किये गए जांच के बाद गोड्डा में वैसे दुर्लभ खनिज का संकेत मिला है ,जिसे भारतीय रक्षा उपकरण बनाने में उपयोग किया जाता है ।
एक दैनिक अखबार में छपे खबर के मुताबिक हमने सच्चाई जानने का प्रयास किया और खबर की तलाश करते करते मैं हूँ गोड्डा की टीम चल पड़ी उस गांव की ओर जहां की बातें अखबार में प्रकाशित की गई थी ।
जब हम उस गांव की तलाश में निकले तो हमे गोड्डा जिले के राजभिट्ठा थाना क्षेत्र में हमे एक लोकल गाइड मिला, जिन्होंने हमारी बातों को सुना और मदद के लिए आगे आगे चलते रहे ,तकरीबन 5 किलोमीटर तक उन्होंने साथ दिया और रास्ता बताते हुए अपने काम के लिए वो निकल गए ।
कुछ दूर अनजान रास्तों के बीच पूछते हुए आखिरकार हम उस गांव तक पहुंच गए जिस गांव का जिक्र अखबारों में किया गया था,गांव का साइन बोर्ड दिखते ही हमे आशा जगी की हम अब उस रत्नगर्भा के पास आ चुके हैं जहां रक्षा उपकरण बनाने के लिए खनिज निकलने के संकेत मिले हैं ।
फिर एक झोपड़ी के नीचे खड़े एक परिचित व्यक्ति महेंद्र मरीक ने हमारी बातों को सुना एवं इस खोज में सहयोग देने की बात कही और यह कहकर आगे निकलते गए कि “चलिए सर मैं आपको वह जगह दिखाता हूँ जहां खाफी दिनों तक कैमरा लेंस लेकर मिट्टी और पहाड़ी को जांच रहे थे ।
उन्होंने उस पहाड़ी का वो स्थान भी दिखाया जहां भूगर्भशास्त्रियों ने कई घण्टे बिताए थे । महेंद्र मरीक जी का कहना था कि यहां के लोकल जेसीबी मशीन का भी उनलोगों ने करवाया था,लेकिन इस बीहड़ जंगल मे कहाँ हुआ है यह पता नही है सर लेकिन इस पहाड़ी पर काफी समय खुदाई करके चेक करते थे ।
एक लोकल नागरिक ने भी हमे बताया कि यहां कई बार हमने जांच करते देखा है ,लेकिन पहले यह पता नही था कि खनिज है ,अब जानकारी मिली तो गर्व हो रहा है कि हमारे जिले के खनिज से रक्षा उपकरण बनाया जा सकता है ।
हमने उस पहाड़ी पर भी खुदाई के कई जगह और विभिन्न प्रकार के पत्थरों की टुकड़ियां कैमरे में कैद किया ।
भूगर्भशास्त्रियों की खोज के ये प्रारंम्भिक संकेत यह दर्शाता है कि गोड्डा न सिर्फ एशिया महादेश का सबसे बड़ा ओपन कोल माइंस ही नही दिया है बल्कि आने वाले दिनों में रक्षा उपकरण बनाने वाले खनिज देने भी अवल्ल साबित हो सकती है ।
किसके निकले हैं संकेत :
1.सीजियम : इससे एटॉमिक क्लॉक एवं नाइट विजन ग्लास बनाने में प्रयोग किया जाता है ।
2.इट्रियम : यह उच्च तापरोधी होने के कारण युद्धक विमानों को बनाने में प्रयोग किया जाता है ।सुपर कंडक्टर बनाया जाता है जो ऊर्जा ह्रास के बिना विद्युत प्रवाह के काम आता है ।
3.लैथेनम : यह काफी ज्यादा मात्रा में ताप को सहन करता है इसे युद्धक उपकरणों के निर्माण में काम आता है ।
4.सीरियम :इससे बने आवरण पर अम्लीय प्रहार का असर कम होता है ।
ये सभी खनिज दुर्लभ खनिजों में गिने जाते हैं ।वैसे भी भारत मे खनिजों की कमी है जिसके कारण हमें आयात कराने होते हैं ।
जिले में ऐसे संकेत से यह आस जगी है कि गोड्डा युद्धक विमानों से लेकर जटिल उपकरण बनाने के लिए खनिज देने में सक्षम हो ।
हालांकि हमारी टीम को ग्राउंड पर पहुंचने के बाद कई तरह के भूगर्भशास्त्रियों द्वारा छोड़े गए निशान देखे गए कहीं गड्ढे के रूप में तो कहीं छोटे छोटे टुकड़ों में कई प्रकार के रंगीन पत्थर का ढेर यह बताने के लिए काफी संकेत थे कि जांच इसी जगह से शुरू हुई थी ।
क्या होगा आगे की पहल :
★भूगर्भशास्त्रियों द्वारा यह पता लगाया जाएगा की आखिर इसकी मात्रा कितनी है ।
★ देश के लिए महत्वपूर्ण तत्व देने वाले इस भंडारण का आकलन किया जाएगा ।
★रक्षा जरूरत वाले तत्वों के आर्थिक दृष्टिकोण से भी आकलन किया जायेगा ।
★हर चट्टान की जांच होगी एवं उसके अंदर पाए जाने वाले खनिज की मात्रा मापी जाएगी ।
★सुरक्षा की दृष्टिकोण से भी खनिज की संभावनाओं के साथ ही सुरक्षित एवं संरक्षित करने की पहल होगी ।
क्या कहते हैं अधिकारी :
एक दैनिक अखबार में दिए बयान के अनुसार भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण के उप महानिदेशक ने बताया है कि गोड्डा के रतनपुर के पास सीजियम,इस्ट्रीयम,लैथेनम,सीरियम मिलने के प्रारंभिक संकेत मिले हैं ,आगे उसकी गहन जांच के बाद खोजकर मात्रा का पता लगाया जाएगा ।
हालांकि खनिज की सुरक्षा का दृष्टिकोण से अभीतक जिला पुलिस विभाग को कोई सूचना नही दी गई ।।
गौरतलब बात यह है कि सुंदरपहाड़ी प्रखंड क्षेत्र के करमाटांड,जमरी, चचाम, तेतलकुरिया, चालगोड़ा, गेंडरमा आदि गांवों के लगभग चार वर्ग किलोमीटर दायरे में भारी मात्रा में बॉक्साइट निकलने की बात भी सामने आ चुकी है ऐसे में खनिज से भरे इस झारखण्ड में एशिया का सबसे बड़ा कोल माइंस देने वाला जिला वाकई में रत्नगर्भा है ।
वीडियो के माध्यम से देखें अगले भाग को अभिजीत तन्मय के साथ ।