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विकास से महरूम जिला कागज पर मना रहा है स्थापना दिवस !

विकास से महरूम जिला कागज पर मना रहा है स्थापना दिवस ! जिला स्तर पर कोई कार्यक्रम नहीं हुआ आयोजित!

25 मई 1983 आज से 34 वर्ष पूर्व एकिकृत बिहार के मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र के द्वारा गोड्डा को जिला के रूप में पहचान मिली थी,आज गोड्डा पूर्ण जवान हो चुका लेकिन आज भी ये अपनी पहचान का मोहताज है ,आज भी इसे खड़ा होने के लिए बैशाखी की जरूरत होती है ,करीब 16 लाख आबादी दो अनुमंडल,9 प्रखंड 201 पंचायत का यह जिला अभी तक अविकसित है ,इंफ्रास्ट्रक्सचर के नाम पर यह जिला शून्य है, इसके अंदर एशिया का सबसे बड़ा खुला कोयला खदान है ,जिसके कोयले से 5 राज्यों को बिजली उपलब्ध होती है,लेकिन ये जिला खुद आज अंधेरे में जीने को मजबूर है,जिले के लोगों को आज की तारीख में भी मात्र 8 से 10 घण्टे ही बिजली मिलती है,स्वतंत्र भारत के 70 सालों के बाद भी गोड्डा लोकसभा के रूप में शुरुवाती दौर से ही रहा ,गोड्डा म् तीन विधानसभा भी है लेकिन यहां के जनप्रतिनिधी का रवैया उदासीन है विकास से उनका नाता कोषों दूर है ,झारखंड बनने के बाद भी गोड्डा मे दो मंत्री दिए गए ,लेकिन जिस हिसाब से गोड्डा को अपनी पहचान मिलनी चाहिए थी वो अभी तक उपेक्षित है !
पेयजल की बात करें तो जिला की स्थिति काफी खराब है,सबसे ज्यादा शहरी क्षेत्र और पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी स्थिति भयावह है,जनता का हलक सुख रहा है ,सरकार और जिला प्रसाशन आज भी योजनाएं ही बनाते नजर आ रही है ,जनता प्यास से तड़प रही है ,जिला अंधेरे में विकास की योजनाएं बना रहा है और शहर आज भी वहीं खड़ा है …
देश बदल रहा है…..गोड्डा के लिए मात्र यह एक स्लोगन है,गोड्डा को विकास से कोई नाता ही नही है,क्योंकि आज भी गोड्डा से जुड़ने का एक मात्र साधन सड़क मार्ग है,पूरा जिला निजी वाहनों पर ही आश्रित है ,सरकारी बस स्टैंड मे खड़ी बसें तो देखते ही देखते कब जर्जर होकर गायब हो गई यह भी एक शोध का विषय है.
डिजिटल इंडिया का गोड्डा में कोई काम ही नहीं है. बी.एस.एन.एल सेवा बदहाल है. बैंकों में पैसा नहीं है और ए.टी.एम बंद है.
गोड्डा की जनता ने आज अपने दर्द को बयां किया और बदहाली पर अफ़सोस किया.
गोड्डा के जनप्रतिनिधियों को तो कोई मतलब ही नहीं रह गया है जिला से! आज कोई भी गोड्डा में नहीं है. सिर्फ चुनाव के समय वादे करते है और फिर कुम्भकर्णी निद्रा में सो जाते है.
आज जब गोड्डा उपायुक्त से जिला के विकास में पूछा गया तो सबसे पहले उन्होंने घडी देखी और कहा अच्छा आज 25 तारीख़ है न! फिर बधाई दी और आने वाले समय के लिए जिला का रोड मैप बता दिया लेकिन ये सब सुनते-सुनते जिला वासी अभ्यस्त हो चुके है. आज गोड्डा जिला प्रशासन की ओर से कोई भी कार्यक्रम आयोजित नहीं की गयी इससे बड़ा दुर्भाग्य और भला क्या हो सकता है.
हर साल ये 25 मई आएगी और जिला की उम्र भी बढ़ जायेगी लेकिन नहीं बदली है तो गोड्डा की तस्वीर और जनता की तकदीर!

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