गोड्डा जिला के पोड़ैयाहाट प्रखंड के बाघमारा पंचायत के केंदुआ गाँव में अंचलाधिकारी के द्वारा बुलडोजर से आदिवासियों का घर गिरा देने की घटना ने विपक्षी दलों को बैठे-बिठाए मुद्दा दे दिया।
कुछ दिन पूर्व ही अडानी कम्पनी द्वारा जमीन अधिग्रहण में दो आदिवासी परिवारों का फसल रौंदने की घटना से शर्मसार हुई सरकार उबरी भी नही थी इस कांड ने उस पर तानाशाह का तमगा लगा दिया।
जेविएम ने इस मुद्दे को उठाया और जेएमएम ने भी इस आग को बुझने नही दिया। छोटे से आदिवासी गाँव के गरीब आदिवासियों के दुख-दर्द की कहानी मीडिया के कारण राँची में बैठे आला पदाधिकारियों और नेताओं की नींद उड़ा दी।
फिर शुरू हुआ उस गाँव मे नेताओं का दौरा। जिस गाँव मे एक सड़क नही है और वो विकास की रौशनी से कोसों दूर है वहां लंबी लंबी गाड़ियों का जमावड़ा शुरू हो गया। राजनीति की दृष्टिकोण से ये प्रकरण एक हथियार के तौर पर विपक्षियों के द्वारा प्रयोग किया गया तो दूसरी तरफ सत्तारूढ़ पार्टी इस प्रकरण के बाद मलहम लगाने का काम करने लगी।
स्थानीय स्तर पर भी पार्टी के कई नेता पहुँचे और घोषणाओं की बारिश कर दी।
इधर जेविएम के विधायक प्रदीप यादव द्वारा सरकार को इस मुद्दे पर निराकरण करने का अल्टीमेटम दे दिया गया था जिससे जिला प्रशासन और सरकार दोनों हल्के में नही ले सकती थी।
दूसरी तरफ सरकार के माथे पर आदिवासी विरोधी होने का तमगा भी दिया जा रहा था विपक्ष के द्वारा। इसी बीच जेएमएम के द्वारा पोड़ैयाहाट प्रखंड में भी दो दिन पहले प्रस्तावित सुगाबथान डैम के विरोध में सैकड़ों आदिवासियों का विरोध में उतर जाने के कारण भी सरकार का पसीना उतरना शुरू हो गया।
दवाब हर तरफ से सरकार और जिला प्रशासन पर होने लगा।
यही कारण था कि शुरुआत में सीओ के द्वारा की कार्रवाई को सही बताने वाली जिला प्रशासन के भी सुर बदलने लगे। कुछ दिन पहले जिला के आलाधिकारी उस गाँव पहुँच कर हालचाल लिया और मन ही मन कुछ बीच का रास्ता निकालने का विचार भी किया।
स्थानीय भाजपा नेता प्रशांत मंडल व पूर्व भाजपा प्रत्याशी भी दौरा कर रहे थे। भाजपा के विधानसभा चुनाव के एक और प्रत्याशी के रूप में दावेदार प्रेम नंदन मंडल भी पहुँचे और सबों ने कुछ-कुछ मदद भी किया लेकिन ऐन वक्त पर प्रेमनन्दन मंडल ने #वाइल्ड_कार्ड इंट्री करवा कर उस क्षेत्र में पूर्व मंत्री सह संथाल में भाजपा के कद्दावर नेता हेमलाल मुर्मू को उतार दिया। भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ने #मास्टर_स्ट्रोक खेलते हुए सीधे एक किक में ही बेघर हुए सभी आदिवासी परिवारों को उनके घर पहुँचा कर #गृह_प्रवेश करवा दिया।
उनके द्वारा खेले गए इस शार्ट का जवाब फिलहाल किसी के पास नही है। जिला प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनी हुई है।इस मुद्दे पर जब अनुमंडल पदाधिकारी #फुलेश्वर मुर्मू से पूछा गया तो वो साफ मुकर गए।विपक्ष भी चुप हो गया। इस मास्टर स्ट्रोक से भाजपा के कुछ स्थानीय नेता भी अकबका गए क्योंकि इस प्रकरण में खिलाड़ी का चयन करने वाला हीरो बन गया।
जिला प्रशासन खुल कर इस गृह प्रवेश मुद्दे पर कुछ बोलने की स्थिति में नही है क्योंकि सूत्रों के अनुसार हेमलाल मुर्मू की बात मुख्यमंत्री रघुवर दास से हो चुकी है और उन्होंने हरी झंडी दिखा दी लेकिन जिला प्रशासन को तो इस आदेश को अमलीजामा पहनाने के लिए बहुत कुछ कागजी कार्रवाई करनी होगी।
जब गैरकानूनी तरीके से बसे कई दशकों से रह रहे आदिवासियों को बेघर कर दिया तो फिर किस तरह बिना आधिकारिक दस्तावेज के बिना कैसे उनको उसी जगह बसाया जाए ये एक टेढ़ी खीर है।
मुद्दा तो ये भी हो जाएगा कि जब आज आप इस प्रक्रिया को अपना कर जमीन का नेचर बदल दिए तब ये काम पहले भी किया जा सकता था फिर ये जुल्म क्यों किया गया?
फिलहाल इस मुद्दे पर सरकार बनाम भाजपा और हेमलाल मुर्मू VS फुलेश्वर मुर्मू हो गया है।
#अभिजीत तन्मय