धार्मिक_और_राजनीतिक_चश्मा
कल दिन की शुरुआत एक बुरी खबर से हुई। फोन पर सूचना मिली कि एक नाबालिग बच्ची के साथ #गैंगरेप हुआ है। महज 12 साल की वो बच्ची और सामने सात दरिंदे। उस नादान बच्ची को ये भी मालूम नही होगा कि आखिर ये लोग करेंगे क्या?
कैसा वो खौफनाक मंजर रहा होगा जब एक मासूम पर 7 वहशी लुझे होंगे। शादी की खुशियों में शरीक होने गयी वो बच्ची उस यातना का सहन की जिस को स्मरणमात्र से ही रूह कांप जाती है। रात भर भूखे भेड़ियों के आगे बेबस लाचार मासूम को अधमरा स्थिति में घर के आगे छोड़ कर वे नरभक्षी फरार हो गए।
बच्ची की उस स्थिति को देखकर परिजन थाना पहुँचे। तब मामला को सुनने के बाद पुलिस की नींद उड़ गई। जिला का ये पहला मामला था जबकि झारखंड उसी आग में दिलक रहा है।
आनन फानन में बच्ची को सदर अस्पताल लाया गया। डॉक्टरों की टीम बनी तब मेडिकल हुआ। एस पी भी पहुंच कर जानकारी लिए। एस डी पी ओ दिन भर डटे रहे। दो आरोपी को गिरफ्तार भी किया गया। संभावित ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है।
कल आरोपी पकड़े भी जाएंगे,नए कानून के तहत फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में जल्दी सुनवाई भी हो जाएगी। आरोपियों को सजा भी मिल जाएगी।उपायुक्त ने सरकार के द्वारा आर्थिक मदद भी दी, आगे की पढ़ाई का जिम्मा भी कस्तुरबा विद्यालय में सुनिश्चित करवा दी लेकिन जो पीड़ा शरीर के साथ-साथ कोमल हृदय ने महसूस किया है क्या उस जख्म को भुला पाना आसान है?
समाज और राजनीतिक पार्टी जात और धर्म आधारित राजनीति करते है। शोषित बच्चियों के लिए आवाज तभी निकलती है जब रोटी सेकने की पूरी गारंटी हो।
बच्ची आदिवासी थी और आरोपी भी आदिवासी इसीलिए कोई भी पार्टी की ओर से इस मुद्दे के लिए आवाज उठाने वाला कोई नही आया लेकिन अगर इस बच्ची के साथ कुकर्म करने वाला कोई अन्य जात का होता तब देखते की एक से एक आवाज उठाने वाले पहुंच जाते लेकिन आज सभी मौन हैं।
बस एक ही बात कहनी है आज #जो_गलत_है_सो_गलत_है। इसे जात और धर्म के चश्मे से मत देखिए।
अभिजीत तन्मय