हेमंत की बागवां में लगी है आग,छींटे का है इंतिजार ।
परमानंद मिश्र, वरुण/गोड्डा “आग से खेलोगे तो जल जाओगे” यह एक मुहावरा भी है ,कई फिल्म का डायलॉग भी है और हर परिवार में अभिभावक अपने बच्चों को आग के इर्द-गिर्द मंडराते देख इन शब्दों का प्रयोग अक्सर करते हैं । इसलिए यह नसीहत भी है ।इसका मायने अगर नहीं है तो प्रशासनिक हलकों में ,विधायिका के हलकों में क्योंकि जिस सूबे का सिरमौर का खुद का विधानसभा क्षेत्र अंदर ही अंदर सुलग रहा हो और वह शांत चित्त बैठकर इसे नजरअंदाज करते रहे निश्चित तौर पर कहीं न कहीं उनकी मंशा पर सवाल करता है खड़ा करता है और यदि उन्हें इस विषय में जानकारी नहीं है जो कार्यपालिका पर भी सवाल खड़े किए जा सकते हैं आखिर क्यों इतनी बड़ी समस्या नजर अंदाज हो रही है।
राजमहल की पहाड़ियों में कई अवैध खदानों में अंदर ही अंदर सुलग रही आग से इस पहाड़ी के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगे हैं। इसके साथ ही कई गांव के लोग भी आशंकित हैं कि कहीं आने वाला समय उनके लिए झरिया या फिर ऑस्ट्रेलिया जैसे आग की आगोश में समा न जाए।
मैं बात कर रहा हूं सुंदरपहाड़ी प्रखंड के सुसनी पंचायत के बरगो गांव की।यहां के लोग काफी सहमे हुए हैं कि कहीं किसी दिन उनका पूरा गांव आग की खोह में समाकर जलकर राख हो जाए। दरअसल बरगो गांव से कुछ ही दूरी पर गोड्डा जिला और पाकुड़ जिला के बॉर्डर पर अवैध कोयला खदान चला करता था ।
जहां लोग सुरंग से कोयला निकाल कर जीवन यापन करते थे । तीन साल पहले इस खदान में आग लग जाने के बाद अब कोयला निकालने का काम तो बंद है । लेकिन यह आग अंदर ही अंदर सुलग रहा है ।
ग्रामीण इसके आसपास जाने से कतराते हैं। ग्रामीणों को अंदेशा है कि कहीं आग धीरे-धीरे अंदर ही अंदर उनके गांव को के अंदर की जमीन को खोखला ना कर दें और पूरा गांव इस आग की चपेट में आ जाए। क्योंकि इस क्षेत्र में कोयला जमीन के नीचे काफी ऊपरी लेयर पर मिलता है।
कई जगह लगी है ऐसी आग :
राजमहल की पहाड़ियों में अवैध कोयला खदानों में लगी यह आग कोई नई घटना नहीं है । चुकी है पूरा क्षेत्र अवैध कोयला खदानों से भरा पड़ा है इसीलिए कहीं अगर आग की खबर भी होती है तो ग्रामीणों से छुपा लेते हैं ताकि उनके अवैध कोयला उत्खनन में कोई बाधा न पड़े । जब कहीं धुआं उठने लगता है तभी कुछ पता चल पाता है ।
एक महीना पूर्व दुमका जिला के शिकारीपाड़ा की लुटिया पहाड़ में भी जब लोगों ने धुआं उठते देखा तो जांच टीमों ने आकर कई स्तर से जांच किया लेकिन फिर वही हुआ कि यह अवैध कोयला खदानों में लगी आग है और तत्काल उसे यह कहते हुए कि इसके मुंह पर अगर बालू रख दिया जाए इसको पैक कर दिया जाए तो ऑक्सीजन नहीं मिलेगा और यह कोयला की आग स्वयं बुझ जाएगा । लेकिन लोगों का कहना है कि अंदर ही अंदर कई सुरंग एक दूसरे से जुड़े हुए भी हैं।
ऐसी आग कई जगह और भी देखी गई है। जिसका एक उदाहरण बरगो है जहां 3 साल से आग सुलग रहा है।
राजमहल की पहाड़ियों में दर्जनों अवैध कोयला खदानें हैं :
राजमहल की पहाड़ी में दर्जनों अवैध कोयला खदानें हैं । अगर गोड्डा जिला की बात की जाए तो गोड्डा जिला में ही जामुनटांड़ में 30 वर्षों से तकरीबन 12 अवैध खदानें चल रही है , धोनीगोड़ा का भी यही हाल है इसके अतिरिक्त पाकुड़ एवं दुमका जिला में भी कई दर्जन अवैध खदान घने जंगलों में चलते हैं और जिसमें कई के आग लगने की सूचना है।
काफी महत्व का है राजमहल की पहाड़ियां :
ऐतिहासिक भौगोलिक सामाजिक और मानवीय दृष्टिकोण से काफी महत्व की है राजमहल की पहाड़ियां। इस पहाड़ी पर से दर्जनों ऐसी नदियां निकली है जो इस क्षेत्र के लिए जीवनदायिनी है । साथ ही भौगोलिक दृष्टि से भी इसका काफी महत्व है । अगर ऐतिहासिक दृष्टि से विचार करें तो पुरातत्ववेत्ता पंडित अनूप कुमार बाजपेई की मानें तो राजमहल पहाड़िया दुनिया के किसी भी पहाड़ पर्वत से कम महत्व वाली नहीं है। क्योंकि यह तो आदि पहाड़ियां हैं भारतीय भूगर्भ शास्त्री अध्ययन करने के लिए राजमहल पहाड़ी को मानक आधार माना जाता है ।
इसके गर्भ में अकूत कोयले के भंडार छिपे पड़े हैं। इसके अतिरिक्त कई अन्य खनिज संपदा से भरे पड़े हैं।
सवाल है यह अति प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर को यूं ही धीरे-धीरे प्रशासनिक उपेक्षा से समाप्त हो जाएगा इसके संरक्षण की भी उपाय किए जाएंगे।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ :
भूगर्भ विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे समय में उस के मुहाने पर वाटर सप्लाई भारी मात्रा में किया जाए या फिर कार्बन डाइऑक्साइड का लिक्विड फॉर्म होता है वह दिया जाए या उसके मुह आने को बालू से पूरा भर दिया जाए तो तत्काल राहत मिल सकता है।
क्या कहते हैं जिला पदाधिकारी :
जिला खनन पदाधिकारी मेघलाल मुर्मू का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी। अभी जानकारी मिली है। फॉरेस्ट विभाग से मिलकर संयुक्त रूप से इस पर कार्यवाही करेंगे और आग कैसे आग बुझेगी इसका प्रयास किया जाएगा।