इंसान की पहचान उसके व्यवहार से होती है लेकिन ये पहचान मुलाकात या बात-चीत के बाद ही पता चलती है। आज के दौर में खानदान से कोई व्यक्ति एमएलए या एमपी हो जाता है लोग धरती पर पाँव नही रखते हैं।
लेकिन आज के जमाने मे कुछ लोग ऐसे भी है जो गलती से भी अपनी पहचान बताना ही नही चाहते है।
आज आपको एक ऐसी कहानी से अवगत करा रहा हूँ जिसे गोड्डा के निवासी देवव्रत झा जो गुजरात मे सेलटैक्स डिपार्टमेंट में अधिकारी है उन्होंने कल ये मैसेज किया।
आगे की कहानी उनकी जुबानी……..अगस्त माह के अंतिम सप्ताह में एक सज्जन मेरे ऑफ़िस में आए उनका एक केस मेरे पास चल रहा है। वो दो पेट्रोल पम्प पार्टनरशिप में चलाते हैं।
उनके साथ मेरे ही विभाग के दूसरे आयकर अधिकारी और एक इंस्पेक्टर साथ थे ।
लगभग आधे घंटे तक उनके केस पर साथ में चर्चा हुई। फिर मैंने अपना निर्णय सुना दिया कि सब ठीक है पर आपने ऑडिट नहीं करवाया है उसका एक लाख का पेलेंटी तो लगेगा आप आगे अपील कर लेना ।
वो बोला ठीक है साहेब इसका टैक्स भी मैं भर दूँगा। बहुत ही हम्बल औऱ नेक दिल इंसान एवं व्यवहार कुशल आदमी।
कहानी में अब मेरे लिए ट्विस्ट
मेरे पास जो आईटीओ उनको लेकर आया था वो बोले सर, ये मोदी साहब के दामाद हैं मैं भी चौंक कर बोला मोदी साहेब के दामाद !
तो रिप्लाय आया मोदी साहब प्रधानमंत्री मोदी साहब के बड़े भाई के दामाद है । मैंने बोला पहले क्यूँ नहीं बताया तो जो सज्जन दामाद थे।
वो बोले साहेब हम लोग कहीं भी अपना परिचय नहीं देते है ये तो साहेब ने आपको बता दिया ।
सर, रिलेशन ही ऐसा है कि लो प्रोफाइल में रहना पड़ता है। फिर मैंने चाय ऑफर किया तो वो भी उन्होंने शालीनता से अस्वीकार कर दिया।
और अपने यहाँ परिवार में कोई ग़लती से एमएलए हो जाए तो उनके रिश्तेदारों का रॉब देखो। उस आदमी ने दिल जीत लिया कितना शरीफ़, सज्जन और लो प्रोफाइल!
ये सारी बातें देवब्रत झा भैया ने मैं हूँ गोड्डा से साझा की और मैं उनकी आज्ञा से इसे प्रकाशित कर रहा हूँ।