गोड्डा कांग्रेस की पूर्व जिला अध्यक्ष सह महिला कांग्रेस सचिव दीपिका पांडे सिंह को फिर से एक नई जिम्मेबारी सौंपी गई । राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की तरफ से इनके प्रतिभा और कांग्रेस के लिए कर्तव्य निष्ठा को देखते हुए झरखण्ड के बाद बिहार में इन्हें एक बड़ी जिम्मेवारी मिली है।इस बाबत महिला कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष सुस्मिता देव ने चिट्ठी जारी कर यह सूचना दी,बिहार महिला कांग्रेस प्रभारी बनाये जाने पर दीपिका पांडे सिंह ने दूरभाष पर बताया कि पार्टी ने मुझे जो दायित्व दिया है उसके लिए मैं पार्टी को धन्यवाद के साथ साथ दिए दायित्व को पूरी ईमानदारी से निभाउंगी।
वही उन्होंने बताया कि सर्वप्रथम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का आगामी 3 फरबरी को बिहार में होने बाली रैली में महिलाओ की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी मेरी पहली सफलता होगी।
आने बाले चुनाव के मद्देनजर उन्होंने कहा कि 2019 में होने वाला चुनाव में आधी आवादी की पूरी भागीदारी कैसे हो यह भी सुनिश्चित करना है ।
बताते चले कि यूथ कांग्रेस में सेक्सुअल हरासमेंट कमिटी बनाई गई है जिसमे बिहार झारखण्ड से एक मात्र दीपिका पांडे सिंह जो पूर्व में महासचिव यूथ कांग्रेस की रही है को शामिल किया गया है इस कमिटी में यूथ कांग्रेस के तीन महासचिव को शामिल किया गया है।अगर कांग्रेस के इतिहास की बात करे तो 1952 के चुनाव से ही अपनी परचम लहराने वाली कांग्रेस एकाएक इस जिला से विलीन होती चली गयी. हाल के वर्षों में 2004 के लोकसभा में कांग्रेस ने ये सीट अपनी झोली में डाली थी. उसके बाद लगा की कांग्रेस उठेगी लेकिन ये पार्टी कुछ नेताओं तक ही सिमट कर रह गयी. उसके बाद अभी तक ये संघर्ष जारी है।
विधानसभा क्षेत्र का मूल्यांकन किया जाए तो पोड़ैयाहाट से अंतिम विधायक स्व-जगदीश नारायण मंडल थे उनके बाद इस विधानसभा में आज तक कोई विधायक तो नहीं ही बना और ना ही कांग्रेस कभी मुख्य लड़ाई में रही. धीरे -धीरे यहाँ से जनता के बीच पार्टी का जनाधार घटता ही चला गया. विगत कुछ वर्षों से पार्टी इस विधानसभा से उम्मीदवार भी खड़ा नहीं कर रही है.
बात अगर गोड्डा विधानसभा की करें तो यहाँ से कांग्रेस के कई अच्छे नेता विधायक बने और मंत्री तक बनने का गौरव मिला. क्षेत्र में काम भी हुआ लेकिन धीरे-धीरे आपसी विवाद सतह पर आ गया और 1995 में रजनीश आनंद के बाद कोई दूसरा विधायक भी नहीं हुआ. गोड्डा की धरती भी सुनी हो चुकी है. अब ये सीट भी गठबंधन में जाने लगा!
गोड्डा जिला का एक और विधानसभा महगामा जहाँ से अवध बिहारी सिंह की तूती बोलती थी. वो भी इस विधानसभा से कई बार जीत कर विधायक के साथ-साथ मंत्री भी बने! लेकिन अब दौर बदल चूका था. 1995 में वे भी अंतिम बार ही जीत पाए!
वर्ष 2009 कांग्रेस के लिए एक उम्मीद की किरण लेकर आया जब महगामा से राजेश रंजन जीत कर विधासभा पहुंचे लेकिन जिला कमिटी या कार्यकर्त्ता को वो संजीवनी नहीं दे पाए जिससे फिर से गोड्डा में कांग्रेस अपनी खोई पहचान को वापस कर पाती! कहीं ना कहीं कांग्रेस एक विधानसभा तक ही सीमित होकर रह गयी।
गोड्डा की जनता को तो याद भी नहीं होगा की कुछ वर्ष पहले तक कब कांग्रेस सड़क पर उतरी थी? जयंती और कुछ कार्यक्रम दूसरे दिन अख़बारों के माध्यम से देखने को मिल जाता था. आज गोड्डा में कांग्रेस का कोई जनप्रतिनिधि नहीं है लेकिन विगत के कुछ वर्षों के मुकाबले इस समय कांग्रेस में हलचल है. नेतृत्व परिवर्तन से उम्मीद भी जगी है लेकिन जिस जगह कुछ ज्यादा बर्तन हो वहां टकराने के बाद आवाज़ तो होगी ही।
कमोबेश देखा जाए तो ये स्थिति पुरे राज्य की हो गयी है. शीर्ष नेतृत्व में भी खींच-तान लगी हुई रहती है.