प्रतिभाएं हमेसा से समाज को आइना दिखाते आई है और ऐसा ही एक उदाहरण गोड्डा की शबनम किस्कु है जिसने अपनी प्रतिभा से उकेरी तस्वीर से एक संदेश दे रही है .
इस तस्वीर को गोड्डा की रहने वाली शबनम किस्कु ने बनाया है, इस तस्वीर को हुल विद्रोह की नायिका फूलों-झानो को समर्पित करते हुए उन्होंने उनके संघर्ष को याद कराया है जिसे पितृसत्तात्मक सोच वाले समाज ने दरकिनार कर दिया ।
इस तस्वीर को अपने फेसबुक पर साझा करते हुए शबनम लिखती हैं – संताल विद्रोह में फूलो-झानो सहित हजारों महिलाओं का योगदान । सदियों से इस देश में महिलाओं के योगदान की अनदेखी की गई है ऐसा ही कुछ वाक्या “संताल हुल” में दिखने को मिला। विडम्बना ही है कि हमारे तथा कथित मुख्य धारा के इतिहास में इस विद्रोह तथा इसके नायिकाओं की शौर्यगाथा की चर्चा नहीं की गई। जो इतिहास लिखा भी गया है इसमें पुरुष विद्रोहियों की चर्चा तो है मगर महिलाओं की चर्चा गायब है।
कमोवेश झारखंड में जितने भी महत्वपुर्ण जन विद्रोह हुए उसमे महिलाएं हाशिए पर है। जबकि “हुल” में आदिवासी महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया और अपनी जान तक की बाजी लगाई। युद्ध में भाग लेते हुए भी घायलों की सेवा व खाने – पीने की व्यवस्था और सूचनातंत्र को भी संभालने के अनेकानेक हमले का भी सामना किया। मगर जब भी चर्चा होती है तो इसमें महिलाएं अनाम रह जाती है।