कुपोषित बच्चे के इलाज के लिए पीड़ित परिवार पहुंचा सिविल सर्जन कार्यालय!
झारखंड के निर्माण 17 वर्ष पूर्व झारखंड के आदिवासी पहाड़िया के सम्पूर्ण कल्याण के लिए हुआ जिसमे स्वास्थ्य शिक्षा और मूलभूत सुविधाएं मूल रूप से मुहैया कराने की प्राथमिकता थी ,लेकिन अभीतक कई सरकारें आई और गई वादे और विकास का ढिंढोरा पीटते रहे लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है ,आज गोड्डा सिविल सर्जन कार्यालय में एक ऐसा ही मामला देखने को मिला जिसमे एक आदिवासी परिवार अपने कुपोषित बच्चे के ईलाज का गुहार लगाते नजर आया ,गोड्डा जिला के सुंदरपहाड़ी प्रखंड अंतर्गत रामपुर गावँ का गंगा राम सोरेन एवं डेड़मय टुडु अपने सात माह के बच्चे सुरेंद्र सोरेन को लेकर पहुंची ।बच्चा का सिर कुपोषित है और उम्र के हिसाब से वो काफी बड़ा है ,ये बच्चा एक ऐसा आईना है जो गोड्डा जिले के स्वास्थ विभाग और समाज कल्याण विभाग के चेहरे को उजागर करता है । आखिर जन्म के पूर्व गर्भवती को आंगनबाड़ी, सहिया एवं स्वास्थ्य उपकेंद्र के द्वारा जो सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए वो इन्हें क्यों नही मिली ? अगर पूर्व से ही सही देखभाल हुआ रहता तो आज इस पीड़ित परिवार को ये परेशानी उठानी नही पड़ती ,सरकार हर वर्ष करोड़ो रूपये जननी शिशु सुरक्षा योजना के तहत खर्च करती है लेकिन इसका फायदा गरीब आदिवासी,पहाड़िया को बिल्कुल ही नही मिलता ! सुंदरपहाड़ी बरहेट विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है और यहां के विधायक प्रतिपक्ष के नेता सह पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन हैं उसके वावजूद उनके क्षेत्र में इसतरह आदिवासियों का हो रहा शोषण भी अपने आप मे एक सवाल है !
पीड़ित परिवार के द्वारा बच्चे के ईलाज की गुहार लगाने के बाद एवं ये
मामला मीडिया में आ जाने के बाद विभाग हुआ सक्रिय
जब मीडिया के सामने ये बच्चा आया तो सिविल सर्जन डॉ. बनदेवी झा ने बच्चे को रांची भेजने का फैसला लिया ताकि रिम्स में बच्चे का ईलाज हो सके ! सिविल सर्जन ने बताया कि सारा खर्च सरकार वहन करेगी !
लेकिन ये पीड़ित परिवार जिसे ढंग से हिंदी बोलने भी नही आता और जिसने सुंदरपहाड़ी छोड़ ठीक से गोड्डा भी नही देखा हो ,तो क्या ऐसे में वो रांची जैसे बड़े शहर में जाकर अपने बच्चे का ईलाज करा पाएंगे ?