कभी एकीकृत बिहार और देश का गणतंत्र दिवस का मेला साल-दर-साल अपनी चमक और नाम खोता जा रहा है! बड़े – बुजुर्गों के जुबानी कहें तो यह मेला आजादी के बाद अंग प्रदेश का सबसे लंबे समय तक चलने वाला मेला के रूप में काफी मशहूर था। लेकिन बड़े ही अफ़सोस की बात है कि .ये मेला कुछ हरेकमाल (हर एक माल) की दुकानों, मिठाई की दुकानों, झूलों एवं कुछ अन्य दुकानों में सिमट कर रह गया है!
इस वर्ष भी पिछले लगभग सप्ताह भर से चल रहे इस मेला में चित्रहार के नाम पर अश्लीलता परोसी जा रही थी। सूत्रों के मुताबिक गोड्डा का यह ऐतिहासिक मेला के पहले दिन से ही शराब की बोतल के साथ फूहड़ डांस का कार्यक्रम जारी है। मेला में दो चित्रहार के नाम का काउंटर लगाया गया है।जहां अभद्रता की सीमा को लांघकर बेधड़क फूहड़ गानों पर अश्लीलता परोसी जा रही है ।
महिलाओं बच्चों को हो रही परेशानी
इस ऐतिहासिक मेला को देखने शहरी इलाके के साथ साथ दूर दराज के गांवों से भी महिलाएं पुरुष बच्चे आते हैं ,जिसमे चित्रहार में लगे लाउड स्पीकर में बज रहे फूहड़ गानों से महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है ।वहीं बच्चे भी चित्रहार के गाने देखने के बहाने अश्लीलता का पढ़ रहे हैं ।
सुरक्षा व्यवस्था में लगी पुलिस में आधी चित्रहार की सुरक्षा में व्यस्त ।
मेले में लगी जिला पुलिस बल को भी चित्रहार के लिए काफी मेहनत करनी पड़ रही है ।पूरे मेले में लगी पुलिस बल की आधी टुकड़ी सिर्फ चित्रहार की सुरक्षा में लगी हुई है ।बावजूद चित्रहार में खुलेआम अभद्र गानों के साथ फूहड़ता धड़ल्ले से परोसी जा रही है ।
मेले के अस्तित्व को बचाने के लिए क्या करना चाहिए ?
जिला प्रशासन को चाहिए की वे मेला की खोई चमक को वापस लाने के लिए ऐसे गतिविधियों पर अविलम्ब रोक लगाए ! साथ-ही-साथ स्थानीय सामाजिक संस्थान एवं उनके प्रतिनिधि इस मेले के गौरव को स्थापित करने के लिए प्रशासन को समय – समय पर आवश्यक सुझाव एवं सहयोग भी दें।