अभिजीत तन्मय/बीती शाम रावण दहन के समय अमृतसर में कोहराम मच गया।
एक तरफ जलता हुआ रावण पटाखों की आवाज के साथ विकराल रूप धारण कर चुका था उसी समय मौत बनकर गुजर रही ट्रेन की आवाज लोगों के कानों तक पहुँच नही सकी और चंद सेकेंड के बाद आवाज का रूप बदल गया।
चारों तरफ चीत्कार गूँजन लगे। नजरों के सामने अपनों को कटता देख इंसान दहल गया। मौत कुछ सेकेंड में गुजर गई लेकिन जो दर्द इस हादसे के बाद घरवालों को मिला वो जीवन भर भूला नही जा सकता है।
एक रावण को जलाने की खुशी मनाने के लिए इक्कठा हुए लोग जीवन भर का गम साथ लेकर आये।
कैसा होगा वो दर्दनाक मंजर जब क्षत विक्षत लाशों के बीच मे कोई अपनों को ढूंढ रहा होगा। पल भर में कितनों की दुनिया उजड़ गयी।
अभी तक मृतकों की वास्तविक संख्या का पता नही चल पाया है।
वैसे मजदूर जो कमाने के लिए वहाँ गए थे और इस हादसे का शिकार हो गए उनके परिजनों को तो अभी तक जानकारी भी नही हुई होगी। बाद में न शव मिलेगा और ना मुआवजा।
जीवन का सबसे दुखदाई विजयादशमी का त्योहार जिसमे कितनों ने अपनों को सदा के लिए खो दिया।
आखिर इस घटना का जिम्मेदार कौन ?
इस तरह के खतरनाक जगह को आखिर इस भीड़-भाड़ के कार्यक्रम के लिए सजेस्ट किसने किया? भीड़ के निकलने के लिए रास्ता कैसा बनाया गया था।? इस कार्यक्रम की सूचना जिला प्रशासन के साथ साथ रेलवे को दी गयी थी?
आखिर इतनी गैरजिम्मेदाराना होकर कोई कैसे इतना बड़ा आयोजन कर सकता है?
रेलवे को अगर जानकारी रही होती तो शायद उसे रोका जा सकता था या फिर उसकी गति को कम करवाया जा सकता था लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ!
हमारे लिए सबसे उपयुक्त वही जवाब है जिसे महाभारत काल मे यक्ष को युधिष्ठिर ने उसके प्रश्न के उत्तर के रूप में दिया था।
यक्ष ने प्रश्न किया था कि संसार मे आश्चर्य क्या है?
युधिष्ठिर ने कहा था कि हम प्रतिदिन लोगों को मरते देखते है लेकिन हम अजर अमर रहेंगे यानी नही मरेंगे।
हर साल हमलोग कोई ना कोई हादसा को नजदीक से देखते है लेकिन उस हादसे से सीखने के बजाय फिर से उसे दुहरा देते है।
अब इस घटना के बाद इसकी उच्य स्तरीय जाँच होगी,कमिटी बनेगी। फ़ाइल का फ़ाइल रिपोर्ट बनेगा और अंत मे इस केस को बंद कर दिया जाएगा या फिर किसी छोटे कर्मचारी को बलि का बकरा बना कर हलाल कर दिया जाएगा।
केंद्र सरकार ने मुआवजा की घोषणा कर दी है लेकिन शवों को शिनाख्त कर सही परिजनों तक पहुँचा कर कानूनी कार्यवाही कर मुआवजा प्राप्त करना एक टेढ़ी खीर है।
आइये इस घटना से सीख लेकर भविष्य में ऐसी घटना दोबारा ना हो उसके लिए प्रण करते है।
अंत में मैं हूँ गोड्डा की ओर से सभी मृतकों को श्रद्धांजलि एवं उनके परिजन को इस दुख की घड़ी में हिम्मत देने के लिए भगवान से प्रार्थना करते है।
ॐ शांति ।युधिष्ठिर प्रकरण के बाद ट्रेन क्रॉसिंग की गुमटी बन्द हो चुकी है। ट्रेन नजर आ रही है लेकिन उसके बावजूद भी दौड़ कर रेलवे लाइन पार करने वाले लोगों का यह देश,इस हादसे में आश्चर्य क्या हैं?
कल से रावण (राक्षस) रो रहा है और इंसान आरोप प्रत्यारोप लगाने में व्यस्त हैं ।
राघव मिश्रा/हम सब संवेदनहीनता के उस दौर में आ पहुंचे हैं जहां से इंसान होने की सभी शर्तें समाप्त हो जाती हैं । अभी कुछ साल पहले तक ऐसा न था । कोई घटना होने के कम से कम दो चार दिन तक तो लोग पूरी तरह से शोक में डूबे ही रहते थे । इससे ज़ियादा होता भी क्या है । आपके मन में किसी अंजान के लिए एक आह निकल आए वही बहुत है ।
मगर अब हाल ऐसा है कि इधर हादसा होता है उधर सियासत शुरू हो जाती है । मुझे कभी ये समझ नहीं आया कि कैसे कोई इंसान इतना पत्थर हो सकता है कि सामने पड़ी लाश को देख कर उसके मन में पीड़ा की जगह राजनीति के भाव उठें ।
अरे यार माना कि सियासी हो गए हो पूरी तरह से मगर कम से कम दो चार दिन इंतज़ार तो कर लो ।
मृतकों ते लिए शोक तो मना लेने दो, दो आंसू ही तो हैं बह जाने दो । सियासत करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा । इतना भी क्या गिर जाना ।
यकीन मानों जिस रावण के मरने पर तुम खुशी मनाते हो न वो रावण भी कल जलते हुए रोया होगा ऐसा मंजर देख कर और तुम हो कि बस आरोप प्रत्यारोप में फंसे हुए हो ।
बहुत सी ऐसी पोस्टें देखीं जिन्होने हिंदू मुस्लिम कार्ड खेल कर पल्ला झाड़ लिया उसके बाद लोग जुट गए तीर तुक्के लगाने में फिर वो पोस्ट करने वाला नज़र न आया ।
गजब का माहौल बना रहे हो यार । इतना भी क्या गिरना हुआ कि इंसान कहलाने की आखिरी शर्त तक भूल गये । सब माफ हो सकता है मगर ये संवेदनहीनता माफ़ नहीं हेगी ।
रावण बाद में जलाना पहले तो खुद की आंखों का पानी जलने से बचा लो । बच्चे बूढ़े औरत मर्द न जाने कितने लोग मारे गए कितने घायल हैं कितनों का तो अता पता ही नही मिल पा रहा ।
इन सबके लिए प्रार्थना तो क्या करोगे तुम तो इनके साथ खेलने लगे । शर्म करलो यार ज़रा सी । जानता हूं तुम बदलने वाले नहीं मगर दो चार दिन तो रुक जाओ फिर करते रहना राजनीति ।
ईश्वर जाने वालों तो अपने चरणों में स्थान दें, घायलों को शीघ्र स्वस्थ करें तथा परिवारजनों को इस विकट परिस्थिति से लड़ने की ताक़त दे।