21वीं सदी जवान हो गई है। हम सदी के 18वें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं। इसका मतलब यह नहीं कि समाज में ‘सिहरन’ पैदा करने वाले ‘गैंगरेप’ की घटनाओं में बेतहासा बढ़ोतरी कर जवान होने का ‘जश्न’ मनाया जाए। पता नहीं ‘गैंग रेप’ शब्द सुनकर इस आधुनिक युग के लोगों के मन-मस्तिष्क पर कैसा चित्र उभरता होगा, पर लगातार हो रही इस तरह की घटनाएं ‘सिहरन’ तो पैदा करती ही हैं। इस बाबत गहन मंथन के बाद भी यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर इस तरह के कुकृत्यों को रोकने के लिए किस तरह के ‘जादू-मंतर’ का सहारा लिया जाए। ‘जादू-मंतर’ का सहारा लेने की बात इसलिए कह रहा हूं कि राज्यों की सरकारें व पुलिस महकमा ‘गैंगरेप’ रोकने के लिए प्रयास करते-करते थक चुका होगा।
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में बीते वर्ष नई योगी सरकार के गठन के बाद एक ‘ऐंटी रोमियो स्क्वायड’ बना था। इससे उम्मीद जगी थी कि शायद यह प्रयोग सफल रहा तो देश के अन्य राज्य भी इस फॉर्म्युले को अपने यहां आजमाएंगे। पर, अफसोस कि यह यूपी में ही फेल हो गया। अब कहीं ‘ऐंटी रोमियो स्क्वायड’ की चर्चा तक सुनने को नहीं मिलती। हां, ‘गैंग रेप’ को सुर्खियां बनते-सुनते जरूर देखा जा रहा है। वैसे मेरे लेख का विषय झारखंड राज्य मे हो रही दुष्कर्म की घटनाओं पर है। बेशक, राज्य में कानून-व्यवस्था की हालत बेहद चिंताजनक हो चुकी है।
एक तरफ तो केंद्र व राज्य सरकारें ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा दे रही हैं, वहीं दूसरी तरफ न बेटी बच रही है, न पढ़ रही है, गैंगरेप का शिकार होकर काल का ग्रास बन रही है। आप खुद आकलन कीजिए कि यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है। दो दिन पूर्व चतरा गांव में नाबालिग के साथ दुष्कर्म के बाद जिंदा जलाने की घटना ने झकझोर कर रख दिया है। विपक्ष इस घटना के विरोध में जगह जगह पर प्रदर्शन कर रहा है। फिर सोमवार को गोड्डा जिले में नाबालिग के साथ सामुहिक बालात्कार की घटना ने समाज कओ फिर से शर्मसार किया है। इंसान जानवर बनता जा रहा है। आज हमे सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि आखिर हम कहां जा रहे है, किस समाज में जी रहे है।
“अभिषेक राज”