2017 की विदाई मैं अब महज डेढ़ माह का फासला है । 2017 में गोड्डा जिला ने कार्यपालिका और विधायिका के टकराव से खूब सुर्खियां बटोरी है । एक तो अदानी पावर प्लांट को लेकर जनप्रतिनिधि की गिरफ्तारी तो दूसरी सत्ताधारी विधायक को थाने में बुलावा । निश्चितरूप से विधायिका के लिए बड़ा ही कड़वा घूंट है जो आसानी से उनके गले के पार नहीं उतर सकता ।……और हुआ भी वही सत्ता की जीत और ईमानदारी की हार। लेकिन इस जीत हार का राजनीतिक गलियारे में कई मायने निकाले जा रहे हैं ..
सवाल यह नहीं कि शीश महल टूटा कैसे? सवाल यह है कि पत्थर आई कहां से ?
आज जनता का ध्यान टूटे शीशमहल पर है लेकिन पत्थर की तलाश किसी को नहीं है। और होगा भी कैसे क्योंकि ऐसा सूक्ष्म बाबाजी खेली गई है कि चाणक्य और शकुनि भी मात खा जाए । सभी जानते हैं कि लंका में आग हनुमान ने लगाया था। लेकिन जानकार कहते हैं दरअसल वह तो शनि ने लगाया था। एक आग तो सत्ताधारी पार्टी में भी लगी है। देखना है हनुमान कौन है और शनि कौन है । फिलहाल तो यही कहना है कि इस घटना से दो ही खुश है पुलिस महकमा और विपक्षी महकामा।