बनकर तैयार पोलीटेक्निक कॉलेज का भवन ,26 करोड़ की लागत से बना है भवन, इसी वर्ष से होना था संचालन
जिले में सरकारी इमारते बनना कोई बड़ी बात नहीं है। बड़ी बात तब होगी जब करोड़ो की लागत से बनी इमारातों में सुविधाएं शुरू हो पाएंगी। हाल है जिला मुख्यालय से महज सात किलोमीटर की दूरी पर सिकटिया स्थित पॉलिटेक्निक कॉलेज का। जिसका संचालन मार्च से शुरू हो जाना था। लेकिन आज भी वह उद्घाटन के इंतजार में है। लेकिन अब अगला सेशन अगले वर्ष मार्च से ही शुरू होगा। मतलब जिलेवासियों को अब एक वर्ष और जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए इंतजार करना पड़ेगा। करीब 26 करोड़ की लागत वाली केन्द्र सरकार की यह योजना जिले के लिए काफी महत्पूर्ण है। इसके खुल जाने से जो छात्र छात्राओं को पॉलिटेक्निक की पढ़ाई करने के लिए दूसरे शहर जाना पड़ता था। इसके एवज में छात्र छात्राओं के अभिभावकों को मोटी रकम चुकानी भी पड़ती थी। इसके कारण प्रतिभा होने के बावजूद छात्र छात्राओं आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण यह पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे। माना जा रहा था कि जिले में शिक्षण के क्षेत्र में यह कॉलेज एक नई दिशा तय करेगा और जिले की दशा को बदलने में भी मदद करेगा। लेकिन सरकार ने जो लोगों को इस कॉलेज के लिए सब्जबाग दिखलाया था वह कही न कही इस वर्ष खोखला साबित होने जा रहा है। यहां काम करने वाले मुंशी राजा कुमार ने बताया कि भवन पूरी तरह बनकर तैयार है। अंतिम किश्त का आवंटन केन्द्र से नहीं हुआ है। मार्च के महीने में बीआइटी सिंदरी के पदाधिकारी कॉलेज का मुआयना कर चुके है। उनका दौरान करीब तीन बार यहां पर हो चुका है। लेकिन अब तक विभाग की ओर से कोई दिशा निर्देश नहीं मिला है। तय समय अनुसार यह भवन तो बन गया लेकिन अब उद्घाटन होने में कितना समय लग सकता है यह तो सांसद महोदय ही बता सकते है।
अधिकांश शिक्षण संस्थान का यही हाल :
अगर बात करें जिले में बने शिक्षण संस्थान के भवनों का तो कुल मिलाकर सभी का यही हाल है। भवन तो बन जाती है लेकिन यहां पर संसाधन शुरू नहीं हो पाता है। चाहे कोई भी विभाग हो जिले में भवन निर्माण की कोई कमी नहीं है। लेकिन जब बात वहां सुविधाएं शुरू होने की आती है तो जिले की स्थिति काफी खराब होती है। इसमें भी शिक्षण संस्थान अव्वल दर्जे का है। इसमें अगर कृषि महाविद्यालय का बात करे तो पिछले दो वर्ष से राज्य सरकार के शिक्षा बजट में आ चुका है। महाविद्यालय का भवन बन कर तैयार है लेकिन यहां की पढ़ाई रांची कृषि कॉलेज में होती है। सरकार द्वारा तय किया गया वायदा था कॉलेज में इस वर्ष से बच्चे पढ़ेंगे। लेकिन कहां पढ़ेंगे इसका कोई जिक्र नहीं था। वर्षों से भवन वन विभाग द्वारा रोक लगाने के कारण निर्माण कार्य रूका हुआ था। इसके अलावे भी सरकार के बजट में गोड्डा के लिए कृषि विश्वविद्यालय भी है। जहां महाविद्यालय पर संकट के बादल है वहां पर विश्वविद्यालय की कल्पना की गयी है। यह कल्पना कब तक धरातल पर उतरेगाी इसका अब तक कोई अता पता नहीं है। इसके अलावे कौशल विकास प्रशिक्षण का भी वही हाल है। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के लिए बनाए गए तीन भवन की की स्थिति बहरहाल है। पॉलिटेक्निक कॉलेज के ठीक बलग में महिला आईटीआई का भी हाल मिलता जुलता ही है। जहां पर कागज पर महिलाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। लेकिन इस भवन का उपयोग जिला प्रशासन कभी पुलिस बैरक के रूप में करता है तो कभी स्ट्रांग रूम के रूप में। इसके ठीक बगल में जिंदल आइटीआई में भी आज पुलिस के जवानों का कब्जा है।
अभिषेक राज की रिपोर्ट