मन प्रफुल्लित हो गया था इस बार फेसबुक,ट्विटर, वाट्सएप और इंस्टाग्राम पर फ़ोटो को देखकर। रविवार छुट्टी का दिन, श्रावण पूर्णिमा का शुभ दिन था, हाँ ! याद आया शायद उसी दिन तो था !रक्षाबंधन !
सुबह से ही स्टेटस पर राखी के गीत, भाई-बहन के प्यार का तराना चल रहा था,थोड़ी ही देर के बाद सभी लोग फेसबुक पर भी आ गए। राखी की थाली,आरती,तिलक,मिठाई और अपने बहन से किया हुआ वादा सब सामने में था ।
जीवन भर रक्षा करने का वादा करना, भरोसा देना की हमेशा सुख-दुख में साथ निभाएंगे। कभी आंखों में आँसू आने नही देंगे।
हर मैसेज को पढ़ कर अच्छा लगा।
खुशी हुई कि एक भाई अपनी बहन के लिए इतना फिक्रमंद तो है। अब हर भाई ने अपनी बहन से वादा कर लिया कि तेरे इज्जत पर आँच आने नही देंगे। कोई आंख तुझपे उठे तो उसे फोड़ डालेंगे।
मैं भी बहुत खुश था कि #शायद अब हमारा देश बदल रहा है। युवाओं की सोच बदल रही है। संस्कृति और संस्कार में सुधार हो रहा है।
अब भारत मे जब सभी युवाओं ने अपनी बहनों से उसकी इज्जत बचाने का वादा कर लिया है तो अब कम से कम कोई बलात्कार की घटना सुनने को नही मिलेगी।
अब कोई बहन की इज्जत सरेआम नीलाम नही होगी।
लेकिन क्या ऐसा हुआ??
क्या दो दिन पहले का किया वादा याद रहा??
हाथों से वो कच्चे धागों की डोर टूटते ही सारे वादे कहाँ गिर गए ये पता भी नही चला। फिर आ गए सभी अपने औकात पर। हर जगह फिर उठने लगी दूसरों की बहनों पर बुरी नजरें।
फिर जिस कलाई में बंधे थे धागे वो किसी के दुपट्टे को खींचने लगे। प्यार से थपथपाया था अपनी बहन के गाल को उसे भूलकर किसी और की बहन के चेहरे में तेजाब फेंकने लगा।
बस दो दिन के लिए ही किया गया ये वादा था पता नही किस रास्ते भटक जाता है कि फिर हर लड़की सिर्फ खिलौना नज़र आती है।
अब हर रोज #रक्षाबंधन हो और हर रोज अपनी बहन से एक वादा करे वो किसी की भी बहन को नही छेड़ेगा तब ही समाज सुधर सकता है वरना हर पर्व की तरह ये राखी का त्योहार भी सोशल मीडिया के सिल्वर स्क्रीन पर चेहरे को चमकाने के लिए मनाया जाएगा।
अभिजीत तन्मय