व्हाट्सएप और फेसबुक के माध्यम से जरूरतमंदों को दी जाती है खून
वरूण /सकारात्मक सोच के साथ युवा जब कदम बढ़ाते हैं तो इसका परिणाम बहुत सुखद और व्यापक होता है। गोड्डा में भी कुछ युवाओं ने फेसबुक और व्हाट्सएप के माध्यम से एक ऐसी सोच बनाई है जिससे हजारों बुझी जिंदगी को नई जीवन मिली है। यहां फेसबुक और व्हाट्सएप के माध्यम से गरीब बेसहारा एवं जरूरतमंदों को खून दिया जाता है ।
खून एक ऐसा चीज है जिसे बनाया नहीं जा सकता है और खून के बिना जीवन चल नहीं सकता है इसी बात को ध्यान में रखकर गोड्डा जिला में 2 साल पहले 2018 में गप्पु सिन्हा ने गोड्डा ब्लड बैंक का व्हाट्सएप ग्रुप और फरहान खान सीटु के द्वारा मलिक सिन्हा एवं लाल बहादुर व अन्य सहयोगियों के साथ 11 माह पूर्व बने हेल्पिंग हैंड फेसबुक अकाउंट के द्वारा जरूरतमंदों को खून देकर नई जिंदगी देने का काम किया जा रहा है।
गोड्डा ब्लड बैंक व्हाट्सएप ग्रुप में गप्पू सिन्हा उनके सक्रिय साथी सहित 207 सदस्य हैं जबकि 73 रक्तदान करने वाले सदस्यों ने अपना नाम फोन नंबर और ब्लड ग्रुप दिया है ।
हेल्पिंग हैंड अभी ग्यारह माह पूर्व बना है लेकिन अभी तक इन्होंने तकरीबन 370 लोगों को खून देकर नया जीवन देने का कार्य किया है । इन दोनों की लोकप्रियता इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है सदर अस्पताल स्थित सरकारी ब्लड बैंक और गोड्डा प्राइवेट ब्लड बैंक में जब भी कोई ब्लड की कमी से संबंधित मरीज आते हैं तो इन्हीं दो ग्रुप से संपर्क किया जाता है।
केस स्टडी 1
यहां मजहब की दीवार भी टूट जाती है :
समाज में चाहे मजहब और जाति के नाम पर जितनी ही दीवारें खड़ी कर जाए कर दी जाए ।लेकिन सच्चाई यही है कि जब व्यक्ति जिंदगी और मौत से जूझ रहा होता है तो ये दीवारें खुद-ब-खुद टूट जाती है।गोड्डा ब्लड बैंक व हैल्पिंग हैंड इसका ताजा उदाहरण है । आश्चर्य इस बात का है कि मुस्लिम का हिंदू को और हिंदू का मुस्लिम खून काम आया। पोड़ैयाहाट प्रखंड के मधुकुपी गांव के अमीना खातून को गंभीर अवस्था में एक निजी अस्पताल लाया गया था। जहां उसे खून की सख्त जरूरत पड़ गई ब्लड बैंक ने हाथ खड़े कर दिए । ग्रुप में मैसेज आया तो तुरंत ग्रुप सदस्य दिगंबर झा जिनका ब्लड ग्रुप मैच कर रहा था अविलंब जाकर अमीना खातून को खून देकर उसकी जीवन की रक्षा की। एक दिन पहले नाजिया खातून को रघु ने अपना ब्लड दिया। उसी प्रकार जब गुड़िया देवी बीमार पड़ी तो मो नदीम ने उन्हें खून देकर ने जीवन दिया।
केस स्टडी 2
लॉकडाउन में भी काम आया हेल्पिंग हैंड और ब्लड बैंक ग्रुप ।मामला चाहे पोडै़याहाट के सतबंधा के ताला बेसरा का हो चाहे रघुनाथपुर के मनीषा देवी का या फिर कृष्णा यादव का इन लोगों का परिजन लॉकडाउन में मुंबई और दिल्ली में फंसे हुए थे और यहां प्रसव के लिए ब्लड चाहिए थी ऐसे में हेल्पिंग हैंड ग्रुप आगे आया। वही बोआरीजोर का संजय श्रीवास्तव दर्जनों उदाहरण है जो लॉकडाउन में ब्लड देकर इन लोगों का जीवन बचाया गया।
केस स्टडी 3
पोडै़याहाट के बबिल्स मरांडी इनका परिवार गरीबी रेखा के नीचे है।घर मे काम करने के दौरान ये किसी तरह जल गये।डॉ ने जब इन्हें बोला कि ब्लड चढ़ाना पड़ेगा तो इन्हें बस ब्लड चढ़ाना समझ आया क्योंकि इन्हें पता ही नही था कि ब्लड में भी ग्रुप होता है ।इन्हें बस खून या ब्लड पता था।किसी ने इन्हें ब्लड बैंक में ब्लड मिलता है कहकर रास्ता बात दिया फिर क्या वो ब्लड बैंक की तरफ भागे ।
ब्लड बैंक जाकर इन्होंने सीधे कहा मुझे ब्लड चाहिए मेरे पास 700 रुपया है जल्दी से दे दो।बहुत घबराहट में थे। ब्लड बैंक के कर्मचारी राजेश कुमार ने फ़ोन कर फरहान खान(सीटू) से मदद मांगी। फरहान खान(सीटू) कर द्वारा इधर उधर कई लोगो से पूछने पर पता चला कि एक डोनर मिला मनीष ठाकुर जो कि अडानी पावर प्लांट में काम करते है और वो डोनर बनने को तैयार हो गए । कंपनी से छुट्टी लेकर उन्होंने ब्लड दान किया और एक गरीब आदिवासी परिवार की जीवन बचाई।
संस्था को नहीं जरूरतमंदों को दी जाती है ब्लड :
ग्रुप का निर्माण गरीब एवं जरूरतमंद मरीजों के लिए किया गया है। यही कारण है कि ब्लड संस्था को नहीं देकर सीधे जरूरतमंदों को दिया जाता है। गांव से आने वाले बहुत गरीब लोग होते हैं। जिन्हें शहर में ब्लड देने के नाम पर पैसे का लंबा खेल खेला जाता है । किसी का जमीन, तो किसी की गाय तो किसी का जायदाद बिक जाता है। ऐसे में इस ग्रुप का निर्माण ऐसे ही गरीब और नीचे तबके के लोगों को खून देकर जीवन रक्षा करना है।
कैसे मिली प्रेरणा
सुबह में मिलने वाले एक सकारात्मक सोचवाले बुजुर्ग जब अस्पताल में हाथ पकड़ कर रोने लगा ।पता किया तो मात्र 2 प्रतिशत हिमोग्लोबिन है और बेटा ने भी ब्लड देने से इनकार कर दिया।
तब उन्होंने दोस्तों के साथ दो बार उनको ब्लड देकर उनकी जान बचाई और तब से वे और उनके साथी इस मुहिम में जुट गये और आज तक तकरीबन 370 लोगों को ब्लड फेसबुक अकाउंट के माध्यम से देखकर लोगों की जीवन बचाई गई है।
फरहान खान सीटु(क्रियेटर हेल्पिंग हैण्ड ,फेसबुक)
पिताजी गंभीर रुप से बीमार होकर हॉस्पिटल में थे । वह काफी दिनों तक हॉस्पिटल में उनकी सेवा करते रहें । उस दरमियान उन्होंने देखा कि किस प्रकार गरीबों का हॉस्पिटल में दुर्गति होती है ।उसका कोई सुनने वाला नहीं होता है ।उसी समय उन्होंने इस बात के लिए ठान ली थी कि वह इस तरह का कुछ करेगा। जिससे गरीबों को फायदा हो। इतना ही नहीं नवोदय के पूर्ववर्ती छात्रों का एक ग्रुप भी बनाया है जिसमें गंभीर रुप से बीमार व्यक्तियों को इलाज के लिए आर्थिक मदद दी जाती है।
गप्पू सिन्हा (एडमिन गोड्डा ब्लड बैंक ग्रुप)
क्या कहते हैं ब्लड बैंक के तकनीशियन
गोड्डा सदर अस्पताल में स्थापित ब्लड बैंक के कर्मचारी मिलन कुमार और राजेश कुमार ने बताया कि जब कभी ब्लड की कमी से कोई मरीज यहां पहुंचते हैं । ब्लड बैंक में ब्लड नहीं रहता है । इन्हीं ग्रुपों से संपर्क स्थापित करके जरूरतमंदों के बीच ब्लड देने का काम किया जाता है। विगत कई वर्षों से इन लोगों का सहयोग हमेशा ब्लड बैंक को मिलता रहा । जिससे हजारों जिंदगी बचाई जा सकी है।