30 मई की वो काली सुबह जब तीन मासूम बच्चे हाथ में बैग लिए गाँव के ही आंगनबाड़ी में पढ़ने के लिए निकले थे की मौत बनकर एक अंजान झोले में पड़ी पुलिया के किनारे बम ने उन तीनों बच्चों के चीथड़े उड़ा दिए. मुफसिल थाना क्षेत्र के चिलौना गाँव की घटना ने पुरे जिला को सन्न कर दिया था. एक बच्चा की मौत घटनास्थल पर हो गयी जबकि दो बच्चियों की मौत भागलपुर में इलाज़ के दौरान हो गयी.
आयुष, पूजा और अंजू जिनकी उम्र महज 5 से 6 साल के बीच होगी वो सभी इस बम विस्फोट के शिकार हो गयी. तीन दिन हो गए लेकिन आज भी इन तीनों घरों के लोगों को सुधि नहीं है. तीन दिन से इन घरों में चूल्हा नहीं जला है. माँ और बूढी दादी की आँख पथरा गयी है. बेहोशी से अचानक आँख खुलती है और चिहक उठती है जैसे की घर का लाल वापस आ गया.
दूसरी और तीसरी बच्ची की मौत के बाद उनके मृत शरीर को गाँव के बगल के ही कझिया नदी में पंचतत्व में विलीन कर दिया गया. इस घटना के बाद पुलिस जांच में लग गई है लेकिन अभी तक कोई खुलासा नहीं हुआ है लेकिन विश्वस्त सूत्रों की मानें तो पुलिस तह तक पहुँच गयी है और ये सुई कहीं ना कहीं गोड्डा विधान सभा उप-चुनाव से भी हो सकता है.
राज्य सरकार के निर्देश पर आज गोड्डा के अंचलाधिकारी दिवाकर सी. द्वीवेदी ने मृतक के परिजनों को एक-एक लाख की सहायता राशि दी. लेकिन एक सवाल पुरे जिलावासियों के जेहन में टीस मार रहा है की “उन नौनिहालों का कसूर क्या था?