स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान कोई भी अस्पताल (सरकारी या निजी) गैर कोरोना मरीजों (Non Covid Patients) को इलाज से वंचित नहीं रख सकते हैं.
रांची. कोरोना के अलावा दूसरे मरीजों (Non Covid Patients) के इलाज में कोताही बरतने के मामले को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है. इस सिलसिले में सरकार की ओर खासकर निजी अस्पतालों (Private Hospitals) और क्लिनिकों के कड़े संदेश दिये गये हैं. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने निजी अस्पतालों और क्लिनिकों को सख्त हिदायत दी है. उन्होंने कहा कि जो अस्पताल नॉन कोविड मरीजों के इलाज में कोताही बरतेगा, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. ऐसे अस्पतालों और क्लिनिकों के निबंधन को भी रद्द किया जा सकता है.
‘गैर कोरोना मरीजों को इलाज से वंचित नहीं रख सकते’
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान कोई भी अस्पताल (सरकारी या निजी) गैर कोरोना मरीजों को इलाज से वंचित नहीं रख सकते हैं. लेकिन निजी क्षेत्र के अस्पताल अपने नियमित रोगियों को डायलिसिस, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, कीमोथेरेपी और प्रसव जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करने में संकोच कर रहे हैं. संक्रमण के भय के कारण संचालक अपने अस्पतालों और क्लिनिकों को बंद रखे हुए हैं.
मरीजों को भर्ती करने से पहले कोरोना जांच पर जोर दे रहे अस्पताल
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि यह भी देखा जा रहा है कि कई अस्पताल मरीजों को भर्ती करने से पहले कोरोना जांच कराने पर जोर दे रहे हैं, जबकि आईसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार ही कोविड-19 का टेस्ट कराया जा सकता है. अगर सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से यह आवश्यक हो, तो अस्पताल संचालक पीपीई किट का उपयोग कर सकते हैं. स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि कोरोना रोगियों के डायलिसिस, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, गैर सरकारी अस्पतालों में कोरोना के मामले को पता करने और व्यक्तिगत सुरक्षा को लेकर दिशा-निर्देश जारी किया जा चुका है. केंद्र सरकार की ओर से भी आदेश जारी किया गया है कि सभी अस्पताल, क्लिनिक, विशेषकर निजी क्षेत्र के लोग मरीजों का इलाज करें.