…अगर समय रहते पहुंची होती दमकल तो नहीं होता इतना ज्यादा नुकसान !
शहर में हुई किताब गोदाम में अगलगी ने शहर को एक दिन के लिए स्तबद्ध कर दिया है। दिन भर अगलगी घटना की चर्चा की बाजार गर्म रही। हर कोई इस घटना से स्तबद्ध हो गया था। व्यवसाय समाज में इस घटना को लेकर काफी आहत है। आखिर हो भी क्यों नहीं इतना अधिक संपत्ति किसी भी व्यक्ति के आंखों के सामने राख होगी तो वह भी थम जाएगा। लेकिन इस इस घटना ने एक बार फिर से जिला प्रशासन के व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है।
घटना के चौबीस घंटे बाद जो बातें छन कर बाहर आ रही है, उसमे जिला प्रशासन की पूरी व्यवस्था धराशायी नजर आ रही है। जो किताब गोदाम में आग लगी थी वह ग्रंथालय के नाम से रजिस्ट्रर्ड था। उसके मालिक विवेकानंद भी मानते है कि जिला प्रशासन की व्यवस्था में कई खामियां उजागर हुई है। अगर समय रहते दमकल की वाहन घटनास्थल पर पहुंची होती तो इतना अधिक संपत्ति का नुकसान नहीं होता। शहर की घटना और जिला मुख्यालय में ही स्थित अग्निशमन कार्यालय। घटनास्थल से मात्र डेढ़ से दो किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित कार्यालय से दमकल की वाहन को पहुंचने में आधे घंटा का समय लग गया। जिस दूरी को मात्र दस मिनट में समान्य चाल में तय किया जा सकता था इसमें इतनी देरी क्यों लगी? ऐसे में साफ है कि इस घटना ने अग्निशमन कार्यालय के व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है।
यूनिफाइड डायल सेवा भी नहीं आया काम :
एक तरफ सरकार जिले के थानों को हाईटेक बनाने की ढिंढोरा पिट रही है। इस पर जिला प्रशासन ने भी लंबे चौड़े साइन बोर्ड थानों एवं कंट्रोल रूम के बाहर लगवा कर रखी है। मतलब एक कॉल में आपके सामने जिला प्रशासन की व्यवस्था हाजिर होगी। लेकिन इस घटना के सामने हाइटेक व्यवस्था पूरी तरह से धराशायी हो गयी।
ग्रंथालय मालिक ने बताया कि घटना के दो मिनट बाद ही पुलिस को फोन लगाने की कोशिश की गयी। जिसमें 100 नंबर पहले डायल किया गया। लेकिन दस मिनट तक इस पर एक बार भी रिंग नहीं हुआ। अंतत: किसी दूसरे लोगों के माध्यम से पुलिस को सूचना भिजवाया गया। इसमें सोशल मीडिया पर संचालित व्हाटसप ग्रुप व फेसबुक ने सूचना को वायरल किया जिसके बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। बताया कि 100 पर डायल करने के बाद 101 पर भी डायल किया गया था। लेकिन इस पर भी फोन नहीं लगा। ऐसे में हाइटेक व्यवस्था की पोल पूरी तरह से खुलती नजर आ रही है।
…और आंखों के सामने जल गए अरमान
इस घटना से ग्रंथालय के मालिक विवेकानंद काफी सहमे हुए है। इस घटना ने उनकी गोदाम को ही नहीं उनके अरमानों को भी खाक कर दिया है। लगभग चार पांच माह पहले शुरू हुए बुक स्टोर में इस तरह की घटना हो जाएगा वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था। सबकुछ ठिक ठाक चल रहा था। उन्होंने बताया कि सभी प्राइवेट स्कूलों के किताब और कॉपी का आर्डर पहले दिया जा चुका था। लेकिन कॉपी पहले आ गयी। जिसे भवन के प्रथम तल्ले पर रखा गया था। किताब की डिलीवरी अब तक नहीं हो पायी थी। जिसके कारण जल कर राख हुए समानों में सबसे अधिक कॉपी ही थी। पूरे भवन में प्लाइउड का फ्रेमिंग किया हुआ था। आग लगने का कारण शार्ट शार्किट बताया। कहा कि सीसीटीवी इक्वपमेंट से ही शॉर्ट शर्किट हुई थी। जिसके बाद प्लाइउड में लगी। इसके बाद कॉपी में लग गयी। जिस वक्त यह घटना घटित हुई वे सामने थे। अपने आंखों के सामने अपने संपत्ति को जलते देखा। बचाने की भी काफी कोशिश की। लेकिन निराशा ही हाथ लगी। क्षति संपत्ति का आंकलन में उन्होंने 25 से 30 लाख रूपया बताया। लॉकर में लगभग दस से पन्द्रह हजार रूपये ही जले थे। जबकि बजार में लाखों रूपये नगद जलने की अफवाह उड़ रही थी।
मैं हूँ गोड्डा से अभिषेक राज की रिपोर्ट