द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने जेल में बंद देवकी की कोख से जन्म लिया और उनका लालन पालन यशोदा की गोद में हुआ। कुछ ऐसा ही एक भागलपुर और गोड्डा जिला के पोड़ैयाहाट से जुड़ा हुआ है। मां रुपी देवकी भागलपुर महिला मंडल कारा में हैं और इनकी तीन बच्चियों का लालन पालन पोड़ैयाहाट की मरीयम यानी सिस्टर अरुणा कर रही हैं।
परमानंद मिश्र वरुण : भागलपुर महिला जेल मे बिहार आरा और नवगछिया जिला की दो महिलाएं सजा काट रही हैं। जेल में आने के बाद इन दोनों महिलाओ के.साथ इनकी छोटी छोटी बच्ची भी साथ थी ।
जेल में बंद माता पिता के तीन बच्चियों को पाल रही सिस्टर अरूणा
शुरुआत दिनों में बच्चियां अपनी मां के साथ ही जेल में रहती थीं। समय बीतने के साथ ही इनके लालन पालन में अड़चनें आने लगी। इन मां को अपने गुनाह और बच्चियों के भविष्य को लेकर चिंता होने लगी। पहले तो परिजनों से संपर्क किया। वहां से इंकार मिलने के बाद माताओं ने जेल प्रबंधन को अपनी तकलीफ बयां की। जेल प्रबंधन ने ही सिस्टर अरुणा से संपर्क किया। सिस्टर अरुणा तैयार हो गई और बच्चियों को 5 अप्रैल 2016 को जेल से अपने पास पोड़ैयाहाट ले आयी।
बच्चियां हैं खुश :
सिस्टर अरुणा ने बताया कि पहले इनको अपने पास रखना मुश्किल था, लेकिन समय बीतने के साथ ही तीनों बच्चियां उनसे काफी घुल मिल गई हैं। तीनों का मिशनरी स्कूल में नामांकन करा दिया गया है। एक लड़की यूकेजी, दूसरी कक्षा एक ,और तीसरी कक्षा दो में है।
मां बेटी के मिलन पर भर आयी आंखें :
सिस्टर अरुणा ने बताया कि दुर्गा पूजा के दौरान इन बच्चियों को इनकी मां से मिलाने के लिए भागलपुर जेल ले गई थीं। अपनी बच्चियों के देख इनकी मां का खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। मां बेटी दोनों की आंखें भर आई थी। माताओं ने जेल में कमाए हुए पैसे और कपड़ा अपनी बेटियों को दिया और उनके सुनहरे भविष्य की कामना की।
जेल प्रबंधन से तीन बच्चियों की जिम्मेवारी लेने संबंधी प्रस्ताव मिलने पर निर्णय लेने में कोई देरी नहीं हुई। माताओं ने जो गलती की उसकी सजा कानून ने तय कर दी है, लेकिन ऐसे बच्चों के भविष्य को गढऩे का काम समाज का है। बच्चियां यदि पढ़ लिखकर कुछ बन जाती हैं तो इनके परिवार वालों को भी गर्व होगा।
– सिस्टर अरुणा