मुकेश कुमार शर्मा/ गोड्डा में इन दिनों आपको ऐसे कई हॉस्पिटल नजर आ जाएंगे जहां चिकित्सक द्वारा बड़े बड़े दावे कर लोगों का ईलाज किया जाता है।
इतना ही नहीं इसके एवज में मरीजों से मोटी रकम भी वसूली जाती है, बावजूद ठीक होने की जगह मरीजों की स्थिति बद से बदतर होती दिखाई दे रही है।
दरसअल गुरुवार को सदर प्रखंड के गोरसंडा गांव निवासी नीरज कुमार झा के साथ कुछ ऐसा ही मामला देखने को मिला है। जिसके पैर का ईलाज हटिया चौक स्थित श्रीराम ऑर्थोपेडिक हॉस्पिटल किया जा रहा था।
लगातार डेढ़ साल ईलाज के बाद अत्यधिक पीड़ा होने की स्थिति में गुरुवार को जब पीड़ित को पुनः हॉस्पिटल लाया गया तो चिकित्सक द्वारा उन्हें ईलाज जारी रखने की सलाह दी गयी।
जिसके बाद गुस्साये पीड़ित व परिजनों द्वारा हॉस्पिटल परिसर में ही चिकित्सक के खिलाफ बवाल काटा गया।
क्या है पूरा मामला:-
मीडिया को अपनी पूरी दास्तां बताते हुए पीड़ित नीरज ने कहा कि क़रीब डेढ़ साल पहले एक सड़क दुर्घटना में उसके बाएं पैर में गंभीर चोट आ गयी थी।
जिसके ईलाज हेतु वह श्रीराम ऑर्थोपेडिक हॉस्पिटल आया था। जहां उनका लगातार डेढ़ साल से ईलाज किया जा रहा था।
पीड़ित ने बताया कि हॉस्पिटल चिकित्सक द्वारा ईलाज के नाम पर उनसे डेढ़ से दो लाख रुपये ले लिया गया है।
आगे पूछे जाने पर बताया कि चिकित्सक द्वारा पैर में स्टील का रॉड लगाया गया है। किन्तु जब से रॉड लगाया है, पैर में लगातार दर्द रहता है।
ईलाज कराने में बेच डाली बाप-दादा की जमीन:
पेशे से मजदूर पीड़ित नीरज ने बताया कि वह सदर प्रखंड के गोरसंडा गांव का रहने वाला है।
मजदूरी कर किसी तरह अपना व अपने परिवार का पालन पोषण करता है।
बताया कि ईलाज में डेढ़ से दो लाख रुपये खर्च हो गया है। पैसे नहीं रहने की वजह से बाप-दादा की जमीन बेच कर अपना इलाज करा रहे थे।
पैसे खत्म हो जाने से दुर्घटना कर बाद उसकी स्थिति काफी खराब हो गई है, खाने तक के लाले पड़ गए हैं।
तीन सौ रुपये एक दिन का चार्ज, सुविधा नदारद:-
मरीज ने बताया कि हॉस्पिटल में ईलाज कराने आये मरीजों से अस्पताल प्रबंधन द्वारा प्रतिदिन तीन सौ रुपये बेड चार्ज लिया जाता है।
दो फ़्लोर के इस हॉस्पिटल में सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। मगर मरीजो को गुमराह कर मोटी वसूली करने के नाम पर हॉस्पिटल के संचालक काफी तेज हैं।
चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की लगाई गुहार:
पीड़ित नीरज व उसके परिजनों ने ऐसे हॉस्पिटल के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की गुहार जिला प्रशासन से लगाई है।
बताया वह ऐसे हॉस्पिटल के खिलाफ जिला प्रशासन को लिखित रूप से शिकायत करेंगे ताकि कार्रवाई कर अन्य मरीजों को ऐसे हॉस्पिटल के संपर्क में आने से रोका जा सके।
क्या कहते हैं मामले में चिकित्सक:-
मामले में पूछे जाने पर हॉस्पिटल के संचालक सह चिकित्सक सुबोध कुमार सिंह ने बताया कि 2015 से हॉस्पिटल चला रहे हैं। मरीज का इलाज हॉस्पिटल में किया गया है। स्थिति में सुधार नहीं है। खर्च के बारे में बताया कि मरीज का डेढ़ से दो लाख खर्च हुआ है। अभी और ईलाज की आवश्यकता है।