अभिजीत तन्मय/पिछले कुछ महीनों पूर्व एक प्रेमिका अपने प्रेमी के शब्दजाल में फँस कर इश्क़ कर बैठी और जनवरी में हुए प्यार में अप्रैल महीने में अपना सब कुछ न्योछावर कर दी।
एक बिरादरी और दोनों बालिग होने के साथ-साथ दोनों पढ़े-लिखे होने के बाद लगा कि ये रिश्ता सबों को मंजूर हो जाएगा लेकिन जब नियत में खोट हो तो रिश्ता निभाना भी कठिन हो जाता है।
लड़का विदेशी दुश्मनों से देश की रक्षा करने के लिए बॉर्डर पर खड़ा रहता है लेकिन चढ़े इश्क़ के बुखार के कारण अपनी ही बिरादरी की एक लड़की की जिंदगी खराब कर दिया।
इधर लड़की से दूरी बढ़ाने का कारण उसका दूसरे जगह से शादी का प्रस्ताव आना भी कारण बना लेकिन प्रेमिका अपने प्रेमी को भूलने की स्थिति में नही है क्योंकि उसकी एक भूल उसके कोख में पल रहा था।
बार-बार दुत्कारने के बाद ये मामला घर से निकल कर परिजन और फिर पंचायती तक पहुँच गया लेकिन लड़का नही आया। लड़के के घरवालों ने परिस्थिति को समझ कर मामले को निपटाने के प्रयास भी किया।
जब उन्हें इस बात की जानकारी हुई कि लड़का ने उसे शादी का झांसा देकर उसके आबरू से खिलवाड़ किया है तो वे उसे बहु बनाने को तैयार हो गए लेकिन लड़का के द्वारा बोला गया एक शब्द पूरे परिवार वालों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि वो बच्चा मेरा नही हो सकता है।
अब परिवार वाले लड़की को दो ही शर्त पर अपनाने की बात कर रहे है कि या तो तुम गर्भपात करवा लो या डीएनए टेस्ट करवा कर प्रमाण दो की ये बच्चा मेरे ही बेटे का है!
लगभग 6 माह की गर्भवती लड़की गर्भपात कैसे करा सकती है जबकि ये कानूनन अपराध भी है और बिना कोर्ट के आदेश से डीएनए टेस्ट भला होगा कैसे क्योंकि ये भी बिना आदेश से संभव है भी नही।
लड़का का परिवार बोआरीजोर थाना क्षेत्र में रहता है जबकि लड़की सुंदरपहाड़ी थाना क्षेत्र की है।
अब समस्या हुई कि केस किस थाना में होगा? लड़की के साथ लड़के ने संबंध बोआरीजोर थाना क्षेत्र के एक स्कूल में बनाया था जबकि थाना प्रभारी का कहना था कि आप केस अपने गृह थाना क्षेत्र में कीजिये।
सुंदरपहाड़ी थाना के प्रभारी ने कहा कि घटना जहाँ हुई है वही पर केस होगा। अंततः मामला जिला तक पहुँच गया। काफी सोच विचार कर बोआरीजोर थाना में मामला दर्ज किया गया।
करीब सप्ताह भर के बाद लड़की को कोर्ट में 164 के तहत बयान करवाने के साथ-साथ मेडिकल जांच के लिए लाया गया लेकिन कोर्ट में बयान देने के बाद जैसे ही उसे अस्पताल लाया गया वो सबों के आंखों में धूल झोंख कर अस्पताल से फरार हो गयी।
मेडिकल जाँच करवाने के लिए लड़की की अपनी सहमति जरूरी होती है और इसके लिए दवाब भी नही बनाया जा सकता है।
सीसीटीवी से खुलासा हुआ कि लड़की पीछे के दरवाजे से निकल गयी लेकिन ऐसा प्रतीत हुआ कि एक लड़का भी उसके पीछे-पीछे था।
वो कौन था ये तो पता नही चला लेकिन उसके भागने के बाद घरवालों की स्थिति ठीक नही है।
वो सभी किसी अनहोनी की आशंका से परेशान है।
पुराने जमाने मे सीता को अग्नि में उतर कर अपनी पवित्रता को साबित करना पड़ा था जो आज के जमाने मे डीएनए टेस्ट के रूप में परिणत हो चुका है लेकिन बदला कुछ नही है।
लड़की जिला से बाहर अच्छे कॉलेज में पढ़ती है लेकिन वर्तमान स्थिति में पढ़ाई भी बाधित है।
कानूनी पचड़े का डर या परिवार की बदनामी का डर जो भी हो लेकिन लड़का शादी करने को तो तैयार है लेकिन शक को पिता का नाम देने को तैयार नही है।
आगे कानूनी प्रक्रिया शुरू होने के बाद क्या होगा ये तो पता नही लेकिन फिलहाल लड़की का पता नही है और आने वाले बच्चे का भविष्य अंधकार में ही नज़र आ रहा है!