आओ राजनीति करें
अभिजीत तन्मय/गोड्डा :2019में भाजपा के खिलाफ रणनीति तैयार कर शतरंज की बिसात में जिला के दो पूर्व सांसद अपनी अपनी चाल चल रहे है लेकिन दोनों का लक्ष्य एक ही होते हुए महारथी खुद बनने को बेताब है।
90 की दशक से ही गोड्डा लोकसभा के माननीय बनने की जुगत में लगे फुरकान अंसारी को 2004 में सफलता हाथ लगी लेकिन पुनः वो इस सीट पर जीत हासिल नही कर सके।
2009 में उनका सपना गठबंधन को तार-तार करते हुए स्वर्गीय दुर्गा सोरेन ने नामांकन के अंतिम दिन अंतिम समय में नामांकन कर चूर-चूर कर दिया। उसके बाद 2014 में भी काँग्रेस ने भरोसा करते हुए टिकट दिया लेकिन जनता ने उनपर भरोसा नही दिखाया और उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा।
इस बार भी उनकी इच्छा है कि महागठबंधन से उन्हें ही उम्मीदवार बनाया जाए इसीलिए वो अब क्षेत्र में नज़र आ भी रहे है।
पिछले दिनों गोड्डा जिला काँग्रेस कार्यालय में उन्होंने स्पष्ट अपनी मंशा जाहिर कर दी कि उम्मीदवार वही होंगे यानी कहीं न कहीं पूर्व सांसद व वर्तमान पोड़ैयाहाट के विधायक प्रदीप यादव जो गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में देखे जा रहे थे उस पर सवाल खड़ा कर इस सवाल पर ही विराम लगा दिया।
फुरकान अंसारी किसी भी शर्त पर सीट छोड़ने के पक्ष में नज़र नही आये जबकि झाविमो इसे गठबंधन के बाद खुद का मान रही है।
नेपथ्य से काँग्रेस के ही कुछ अन्य नेताओं का नाम गोड्डा लोकसभा के संभावित उम्मीदवार के रूप में आ रहा है जो कहीं न कहीं कुछ लोगों के लिए परेशानी का सबब बनने जा रहा है।
दूसरी ओर गोड्डा लोकसभा के लिए महागठबंधन के उम्मीदवार के रूप में प्रदीप यादव खुद को लेकर काफी निश्चिंत दिख रहे है।
उनके अनुसार गठबंधन ने गोड्डा लोकसभा सीट को झाविमो के खाते में दिया है जिस कारण वो ही इसके उम्मीदवार बनाए जाएंगे लेकिन काँग्रेस इस बात को कतई बर्दाश्त करने के मूड में नही है।
गोड्डा लोकसभा में 90 के दशक के पूर्व काँग्रेस का बोलबाला था लेकिन 90 के बाद इस सीट से केवल एक बार ही कांग्रेस जीत का परचम लहरा पाई है।
90 के बाद से जनार्दन यादव, जगदम्बी प्रसाद यादव, प्रदीप यादव एवम निशिकांत दुबे यहां से भाजपा के टिकट से जीते जबकि एक बार सूरज मंडल(जेएमएम) और फुरकान अंसारी(काँग्रेस) से जीत हासिल किए।
संथाल परगना प्रमंडल के हिसाब से गोड्डा लोकसभा पर सबों की निगाहें टिकी रहती है क्योंकि 3 लोकसभा सीट में सिर्फ गोड्डा लोकसभा ही अनारक्षित है जबकि दुमका और राजमहल लोकसभा सीट अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है।
गोड्डा लोकसभा चुनाव पर नज़र भी सभी पार्टियों की टिकी रहेगी क्योंकि गठबंधन धर्म का निर्वहन यहाँ होगा या सौहार्दपूर्ण वातावरण में दोस्ती में कुश्ती होगा ये भविष्य के गर्भ में हैं लेकिन अटकलें तेज हैं और सभी नेता अभी से ही चौकस भी हैं।