रात के अंधेरे में निकल जाते हैं ट्रकों से वसूलने
पुलिस भी देखकर कार्रवाई की जहमत नहीं उठाती
शहर में चर्चा अफसर का ही बरदहस्त तो कोई क्या बिगाड़ेगा
जब सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का।
इसी जुम्ले से हिम्मत लेकर सरकारी मुलाजिम के रिश्तेदार अपनी हिमाकत शहर में चला रहे हैं। पत्नी अफसर तो पति ने अपने ही भाई को जिले में अवैध वसूली का ठेका दे दिया।
उस भाई के भी क्या कहने रात के मुसाफिर बन कर वे सड़कों पर चल रहे ट्रकों से जमकर वसूली करते हैं। सुबह होते ही अपने मांद में वापस चले जाते हैं।
पूरे शहर में यह चर्चा आम है कि जब आला अफसर का ही बरदहस्त है तो उन्हें रोकने की हिमाकत कौन करेगा। लेकिन अफसर के उस देवर को तनिक भी भय नहीं कि वो अवैध काम कर रहे हैं। हर रोज हजारों रुपये अवैध वसूल कर अपने परिवार का नाम ऊंचा कर रहे हैं।
कैसे कर रहे वसूली
हर रोज शाम ढलने के बाद देवर साहब निजी गाड़ी जिप्सी या बोलेरो पर सवार होकर निकल जाते हैं। नेशनल हाइवे पर गुजरने वाले ट्रकों को रोक कर हर ट्रक से रुपये अधिकारी बनकर वसूलते हैं। इस काम में वे अकेले नहीं उनके साथ तीन-चार अपने साथी भी होते हैं।
पुलिस को खबर तक नहीं
अफसर के देवर साहब जब भी अवैध वसूली में निकलते हैं उनके साथ कोई पुलिस नहीं होती है। पुलिस बगल से गुजर जाती लेकिन उन्हें कुछ कहने की जहमत तक नहीं उठाती। गाहे बगाहे पुलिस के कुछ कर्मी भी अन्य जगहों पर वसूली करते रहते हैं।
और भी कई फंडे हैं इनके
ऐसा नहीं कि सिर्फ ट्रकों से वसूली से ही इनका पेट भरता है। विभागीय सेटिंग गेटिंग में भी देवर साहब का खासा ध्यान रहता है। कई टेंडरों को मैनेज करना, मामलों को सलटाना, उठाना इनके बायें हाथ का खेल है। ले देकर सब काम करा देते हैं।