-चिकित्सकों ने मनाया काला दिवस
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के तत्वावधान में मंगलवार को राष्ट्र स्तर से काला दिवस मनाया गया। इसके विरोध में जिले भर के सरकारी व गैर सरकारी क्लिनिक बंद रहे। वही सरकारी संस्थानों में आपातकाल सेवा चालू रही। जहां दिन भर मरीजों की भीड़ लगी रही।
दिन भर भटकते रहे मरीज : इधर सदर अस्पताल में रोजाना की तरह मरीज यहां पहुंचे। लेकिन यहां पर ओपीडी सेवाएं बंद रहने से मरीजों को बैरंग घर वापस लौटना पड़ा। काफी अधिक संख्या में मरीज अस्पताल पहुंचे थे। वही इमरजेंसी सिर्फ गंभीर मामले को देखा जा रहा था। यहां पर भी मरीजों की भीड़ लगी थी। अस्पताल में डॉक्टरों के नहीं आने से यहां पर अन्य कर्मी दिन भर बैठे रहे। इधर प्राइवेट संस्थानों पर भी हड़ताल का प्रतिकूल असर पड़ा। यहां से भी मरीजों को मायूसी हाथ लगी।
आइएमए हॉल में चिकित्सकों ने की बैठक : इधर हड़ताल के दौरान सभी सरकारी व गैर सरकारी चिकित्सक आइएमए हॉल में बैठक की। इसमें मुख्य रूप से झासा के सचिव डॉ मंटू टेकरीवाल, लायंस क्लब के पूर्व अध्यक्ष डॉ अशोक व आइएमए सचिव डॉ प्रभारानी प्रसाद उपस्थित थी। यहां पर चिकित्सकों ने नेश्नल मेडिकल कमीशन का पूरजोर तरीके से विरोध किया गया। डॉ अशोक कुमार ने कहा कि यह बिल प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की जुबान बोलेगा। जिससे सीटों के माध्यम से भ्रष्टाचार का नया रास्ता भी खुलेगा। इस बिल से नये मेडिकल कॉलेज के लिए कोई अनुमति लेने की प्रक्रिया में कोई कठोर नियम नहीं होंगे। जिससे मेरिट पर आने वाले मेडिकल स्टुडेंट चाह कर भी चिकित्सक नहीं बन पाएंगे। वही आइएमए की संताल परगना प्रमंडल प्रभारी डॉ प्रभारानी प्रसाद ने कहा कि इस बिल के पास हो जाने से यूनानी, चीनी डॉक्टर भी भारत में आकर इलाज करने लगेंगे। जो पूर्व में आर्युवेद, होम्योपैथ आदि से इलाज करते आए थे वे भी चिर फाड़ करने लगेंगे। इसका सीधा दुष्प्रभाव यहां की आम जनता पर पड़ेगा। इस बिल के पास हो जाने से राज्य मेडिकल काउंसिल की भी सभी शक्तियां खत्म हो जाएंगी। मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने के लिए मात्र पांच राज्य के प्रतिनिधि को ही चुना जाएगा। अन्य 24 राज्यों की कोई भूमिका नहीं होगी। इस मौके पर डीएस डॉ दिलीप कुमार चौधरी, डॉ श्यामजी भगत, डॉ सीएल बैद्य, डॉ ऊषा सिंह, डॉ ताराशंकर झा, डॉ नरेन्द्र कुमार आदि मौजूद थे।