यूँ तो प्रत्येक दिन कोई न कोई भारतीय विश्व में कुछ नया, कुछ अनोखा, कुछ महत्वपूर्ण, कुछ अद्भुत कर रहा है परंतु आज का दिन भारत के ऐतिहासिक दृष्टिकोण से काफी अहम है । आज से भारत की तीन जांबाज़ बेटियां लड़ाकू विमान उड़ायेंगी, अहम इसलिए क्योंकि जो कार्य आज तक सिर्फ पुरुष करते थे वो आज से महिलाएं भी करेंगी । और महत्वपूर्ण इसलिए क्योंकि भारत जैसे देश में जहाँ न जाने रोज कितने ही कार्यक्रम, भाषण, डिबेट, आदि महिला शशक्तिकरण के नाम पर होते हैं, टीवी या अन्य डिबेट में दो स्क्वायर फुट के आकार का बिंदी चेप कर बैठी हुई महिला चीख़ चीख़ कर ‘वीमेन एम्पावरमेंट’ की बात करती है और वही महिला डिबेट ख़त्म कर जैसे ही अपने घर पहुँचती है तो चीख़ चीख़ कर दस-ग्यारह साल की बच्ची से पूछती है “अरे सुबह से अभी तक सिर्फ झाड़ू पोछा किया है ? बर्तन कब धोएगी, फिर खीझते हुए कहती है, “निकम्मी कोई काम नही करती” !! ये हक़ीक़त है, मैंने देखा है, आप में से भी कई देखते होंगे । महिला शशक्तिकरण की बात करना, भाषण देना, डिबेट करना काफी आसान है लेकिन इसे मूर्त रूप देना काफी मुश्किल । और इन तमाम चुनौतियों के बावजूद वीमेन एम्पावरमेंट की जीती जागती मिशाल हैं ये तीनों । रमज़ान के मुबारक मौके पर इन्हें मेरा, आपका और हरेक भारतीय का सलाम पेश करता हूँ ।
नोट – पोस्ट लेखक के निजी विचार हैं ।