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बालिका शिशु दिवस: देश की लाडो के नाम ,डा.दुबे का पैगाम ।

गोड्डा/राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस (नेशनल गर्ल्स चाइल्ड डे) पर गोड्डा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने बेटियों की रक्षा,बेटियों की सुरक्षा ,बेटियों का अभिमान को बचाये रखने के लिए समाज के नाम एक  ब्लॉग लिखा है ,जिसमे उन्होंने भारत की उन बेटियों का भी जिक्र किया है जिसने राष्ट्र को एक सन्देश देने का काम की ,भारत ही एक ऐसा देश है जहां नारी को देवी का रूप माना जाता है ,डॉ. दुबे ने नारी को उचित स्थान देने की भी बात कही है उन्होंने लिखा है की बेटी देश की शान है इसके लिए समाज को सोचने की जरूरत है ।

पढ़िए डा. निशिकांत दुबे की लिखी ब्लॉग ..
घर की लाडो बनेगी देश की शान ।

घर की शान बेटी, बाबुल का अभिमान बेटी
खुशियों का संसार बेटी, परिवार की जान बेटी।
राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस (नेशनल गर्ल्स चाइल्ड डे) पर मेरा आप सभी लोगों से आग्रह है कि घर और समाज में ऐसा माहौल तैयार करें जहां आपकी परी (बेटी) को वो सबकुछ मिले जो उसने सोचा हो। उसे वो नहीं देने की कोशिश करें जो आपको सामाजिक रूढ़ियों से मिला है। उसे खुला आसमां दें जहां वो अपने सपनों का पंख लगाकर मनचाही उड़ान भर सके। तभी देश की लाडो देश की शान बन सकेगी।
हमारे समाज में आज भी बेटियों को वो स्थान मिल सका है जिसकी वो हकदार हैं। शिक्षित, सशक्त और समझदार बेटी देश का भविष्य है। देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए बेटियों को शिक्षा, आजादी और समानता देने की जरूरत है।
यह बेहद शर्म की बात है कि आज भी अधिकांश घरों में बेटी होने पर खुशी नहीं मनाई जाती है। कष्ट और दुख की बात है कि शिक्षित और धनाढ्य परिवारों में तो गर्भ में ही शिशु का लिंग का पता लगाने की होड़ है। जो एक विकसित समाज के लिए बड़ा दाग है। अगर बेटियों को गर्भ में ही मार दिया जाएगा तो समाज और देश कैसे चलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना ‘पढ़ेंगी बेटियां तभी बढ़ेंगी बेटियां’ साकार करने के लिए हम सभी को इसकी पहल अपने घर और आसपास से करनी होगी। लड़का और लड़की के बीच के अंतर को समाप्त करने के साथ ही लड़कियों को प्राथमिकता देनी होगी। शिक्षा का अधिकार लड़कियों को भी मिलना चाहिए। केंद्र और झारखंड की सरकार ने बेटियों के जन्म लेने से लेकर उनकी उच्च शिक्षा के लिए कई कार्यक्रम चलाए हैं। इसका सभी अभिभावक लाभ उठाएं। इसके साथ ही उनको अपने घर में पूरी आजादी भी दें ताकि वे शिक्षा पूरी करने के साथ ही मनचाहा करियर चुन सकें। माता-पिता की एकमात्र जिम्मेदारी बेटी की शादी करना नहीं उनको योग्य बनाना भी है। आज देश और दुनिया में बेटियां हर क्षेत्र में काम कर रहीं हैं। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने महिला शक्ति को साकार करते हुए अपने कैबिनेट में महिलाओं को प्रमुख जिम्मेदारी दी हैं उनमें रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जी, उमा भारती जी, स्मृति ईरानी जी, अनुप्रिया पटेल और हरसिमरत कौर जी इसके उदाहरण हैं।
सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों के प्रमुख पदों पर आज बेटियां अपनी योग्यता साबित कर रही हैं। खेल मैदान में तो बेटियों ने कई बार देश को गौरवान्वित किया है। साइना नेहवाल, पीवी सिंधु, मैरीकाम, दीपा कर्मकार, साक्षी मलिक, झारखंड की दीपिका कुमार, पीटी ऊषा समेत कई नाम हैं
इस दिशा में अभी बहुत कुछ करना होगा तभी बेटियों की सुरक्षा के साथ उनको मजबूत बनाया जा सकेगा। देश और झारखंड की बेटियों की साक्षरता के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। योजनाएं तो बन गईं हैं लेकिन हमें समाज और अभिभावकों को उस पर अमल करने के लिए प्रेरित करना होगा। देश में बाल लिंगानुपात को ठीक करने के लिए काम करना होगा और बालिका शिशु के बारे में लोगों का दिमाग बदलना है। बालिका शिशु के महत्व और भूमिका के बारे में जागरुकता बढ़ाने के साथ ही बालिका शिशु की सुरक्षा, पोषण और शिक्षा के लिए अभिभावकों को और जागरूक करना होगा। समाज में लोगों के बीच लिंग समानता को प्रचारित करना होगा।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने वर्ष 2019 में बलिका शिशु दिवस पर कहा था, आइए हम बच्चियों के योगदान का उत्सव मनाएं, देश की लड़कियों ने कई क्षेत्रों में देश का गौरव बढ़ाया है। उनके साथ भेदभाव को समाप्त कर उनको समानता का अवसर दें। इसके लिए लोगों और समाज में जागरूकता भी लाने की आवश्यकता है।
लिंग परीक्षण पर और सख्ती हो
भ्रूण लिंग परीक्षण दंडनीय अपराध है। ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कानून का प्रावधान है। इससे भ्रूण लिंग परीक्षण पर रोक लगी है। लेकिन अभी भी इसके दुरूपयोग की खबर समय समय पर आती है। इस कानून को और अधिक कड़ाई से लागू किया जाए।
बलिकाओं के पोषण पर ध्यान दें,देश में बालिकाओं के पोषण के आंकड़ों को सुधारने की जरूरत है। परिवार में बेटियों के पोषण को प्राथमिकता दी जाए। समय समय पर सरकारी एजेंसियों द्वारा इसकी लिए और प्रयास किया जाना चाहिए। क्योंकि कुपोषित होने पर बच्चियों का शारीरिक और मानसिक विकास ठीक तरह से नहीं हो पाता।
संकल्प मजबूत भारत का,देश को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए आइए हम संकल्प ले देश की आधी आबादी को उनका पूरा दिलाने का। उनको शिक्षा और समानता के लिए अधिक अवसर पैदा करें और उन्हें अधिक से अधिक विकास की मुख्य धारा में लाएं। उनके आत्मविश्वास को बढ़ाना होगा, आधी अधूरी तैयारी की नहीं परिवार, समाज और सरकार को एकजुट होकर प्रयास करना होगा तभी हम संपूर्ण भारत के समग्र विकास की बात को सच कर पाएंगे।
जय हिंद
डॉ. निशिकांत दुबे सांसद (गोड्डा लोकसभा)

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03-29-2024 01:51:02×