अभिषेक राज/सुंदरपहाड़ी में केन बम मिलने की यह कोई पहली घटना नहीं है। इसके पूर्व भी यहां पर 33 खाली केन मिले थे। सुंदरपहाड़ी में दो बार नक्सली व पुलिस के जवानों के मुठभेड़ भी हो चुकी है। इसमें एक बार कटलडीह में तो वही दूसरी बार बेलपहाड़ी में। कई घटनाओं में नक्सलियों ने सुंदरपहाड़ी में होने की पुख्ता सबूत भी दिए है। लेकिन वरीय पुलिस अधिकारी हमेशा सुंदरपहाड़ी के गांवों में नक्सली होने की बात टालते रहे है। यही कारण रहा है कि नक्सली क्षेत्र के करीब पांच से छह पंचायत में अपनी मजबूत पैठ बना चुके है। इसका ताजा उदाहरण 20 किलो वजन का केन बम मिलना है।
जानकारों की माने तो सुंदरपहाड़ी से सटे दुमका व पाकुड़ के सीमावर्ती इलाकों में आठ से दस किमी में सबसे ज्यादा प्रभाव रहा है। लंबा व दुर्गम रास्ता होने के कारण पुलिस को ऑपरेशन चलाने में दिक्कत भी होती है। क्षेत्र में लगातार हो रहे नक्सली घटनाओं के कारण डमरू व सुसनी में एक एक पुलिस पिकेट भी बनवाया गया है। जहां पर एसएसबी के जवान तैनात है।
सूत्रों के अनुसार इन इलाकों में नक्सलियों का एक हथियारबंद दस्ता समय-समय पर घूमता रहा है जिसमें महिला नक्सली के साथ ही बाहर के नक्सली भी शामिल हैं जो स्थानीय लोगों को संगठन से जोड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। जिसके कारण ही हर बार पुलिस की खुफिया सूत्र कमजोर साबित पड़ जाता है। विगत करीब तीन बार दुमका के गोपीकांदर क्षेत्र में नक्सली मुठभेड़ भी हुई। एक नक्सली का एनकाउंटर भी हुआ। उसके तर्ज पर ही सुंदरपहाड़ी में एंटी नक्सल अभियान चलाया गया। लेकिन हर बार के तरह गोड्डा पुलिस की हाथ खाली रही है।
सुंदरपहाड़ी का सीमावर्ती इलाके की चार से पांच पंचायत को उग्रवाद प्रभावित माना जाता है। जहां समय समय पर पुलिस द्वारा एलआरपी व सर्च अभियान चलाया जाता रहा है। अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए नक्सली सुरक्षाबल को निशाने पर रखे हुए हैं। इन इलाकों को नक्सली सेल्टर के रूप में इस्तेमाल करते रहे हैं जहां बाहर के नक्सली समय-समय आते रहे हैं।
हालांकि पुलिस हमेशा यह दावा करती रही है कि नक्सलियों को समर्थन नहीं मिल रहा है और वे लगातार कमजोर हो रहे हैं। हर बार नक्सली बैकफुट पर रहे है।
दुर्गम है इलाका :
सुंदरपहाड़ी थाना क्षेत्र के भुस्कीपाड़ा का यह इलाका काफी दुर्गम है। इन गांवों में समय-समय पर नक्सली दस्ता द्वारा बैठक भी की जाती रही है। सूत्रों का दावा यह भी किया जाता रहा है कि नक्सली संगठन इस क्षेत्र में इतना मजबूत है कि यहां पर शहादत सप्ताह समारोह का भी आयोजन किया जा चुका है। समय समय पर नक्सलियों की बैठक की बात सूत्रों द्वारा कही जा रही है।