अडानी के प्रस्तावित पॉवर प्लांट के लिये की गई भूअर्जन की राशि रैयतों को मिलने के साथ ही यह एक कदम और बढ़ गया है, सनद रहे कि यह पवार प्लांट घोषणा के साथ ही विवादों में रहा , इसके विरोध में कई आंदोलन के पश्चात पोड़ैयाहाट के विधायक को जेल भी जाना पड़ा था ,
बिरोध के कारण इसके निर्माण में संशय के बादल छाने लगे थे , लेकिन भूअर्जन की राशि मिलने के साथ ही इसके प्रकिया अब रफ्तार पकड़ने लगा है ,
मोतिया ग्राम से शुरू हुई इसकी प्रकिया अन्य गावँ तक पहुंचने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा ,
उल्लेखनीय हैं कि देश के पिछड़े जिले में एक गोड्डा के विकास में यह मिल का पत्थर साबित होगा , पूर्व में जिंदल पॉवर की 1600 मेगावाट की दो यूनिट के पॉवर प्लांट का आधारशिला तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के द्वारा रखी गई थी लेकिन गोड्डा जिले के जीतपुर के कोल् ब्लॉक जो की जिंदल को आवंटित थी , इसका नाम कोल घोटाला में आने के बाद व मोदी सरकार गठन के बाद हुई कोयला नीलामी में अडानी द्वारा जीतपुर कोल ब्लॉक लेने के बाद एकाएक जिंदल ने अपने हाथ खींच लिए
लेकिन जब से अडानी के द्वारा जिले के परसपानी में पॉवर प्लांट के लिए जमीन की तलाश शुरू हुई लोगो मे यह उम्मीद जगी की शायद जिंदल की कमी को अडानी पूरी करे लेकिन यहां भी लोगो के विरोध के कारण इसे अमलीजामा नही पहनाया जा सका , बाद में अडानी की यह तलाश मोतिया व उसके आस पास पूरी हुई हालांकि विरोध के स्वर यहां भी उठते रहे ,
अभी भी रैयतों को भुगतान को ले उधेड़ बुन की स्थिति की अंदेशा से इंकार नही किया जा सकता है, कहा जा रहा है कि रैयतों को दो चरणों मे भुगतान होना है ,पहला सरकारी दूसरा अड़ानी के द्वारा वैसे में अड़ानी के द्वारा की जाने वाले भुगतान की प्रक्रिया क्या होगी यह स्पष्ट नही है
बरहाल ये तो प्रक्रिया है जो चलती रहेगी लेकिन यह तय माना जा रहा है कि यह पॉवर प्लांट गोड्डा के विकास में अहम भूमिका निभाएगा ।
मनोज कुमार ,पप्पू(वरिष्ठ संवादाता ) की कलम से