अंधेरे में तीर चलाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली
25 दिनों के बाद भी डुमरिया में हुए भीषण लूटकांड का पुलिस उदभेदन करने में असफल रही है। जानकारों की माने तो पिछले दस वर्षों से इतनी बड़ी लूटकांड की घटना नहीं हुई थी। इसके बावजूद लूटकांड का पर्दाफाश करने में पुलिस विफल साबित हो रही है। सूत्रों की माने तो घटना के इतना दिन बीतने के बावजूद अंधेरे में तीर चला रही है। शक के आधार पर कई लोगों की गिरफ्तारी घटनास्थल के आसपास के गांव से हुई। लेकिन कुछ हाथ लगने के बाद उसे छोड़ दिया गया। इस लूटकांड के बाद से ही पुलिस की कार्यशैली पर लगातार सवाल खड़े हो रहे है। जानकारों का मानना है कि पुलिस इस घटना के बाद से ही ओवर कॉन्फीडेंस दिखा रही थी। जिसके कारण ही ऐसा हुआ कि पुलिस घटना के लंगोट तक को हाथ नहीं लगा सकी। ऐसे में लोगों का विश्वास पुलिस के प्रति घटता दिख रहा है। इस घटना के खुलासा नहीं होने का सबसे बड़ा कारण आम जनता भी है। इसमें आम जनों या फिर पीड़ितों की ओर से पुलिस को ज्यादा सपोर्ट नहीं मिलना भी कारण रहा है। अप्रत्यक्ष रूप से इस घटना में दर्जनों पीड़ित होने की बात कही जा रही थी। लेकिन इसमें कुछ पीड़ितों ने ही पुलिस के सामने आने की हिम्मत जुटा पायी। इस घटना के बाद से ही पुलिस व जनप्रतिनिधि आमने सामने हो गए है।
दो घंटे तक हुई थी लूटपाट, सूचना के बावजूद नहीं पहुंची थी पुलिस : गौरतलब हो कि विगत 31 अक्तूबर की रात बारह बजे डुमरिया के ठीक आगे पुल के पास बबूल पेड़ की डाली रख कर आवागमन रोक कर वाहनों से लूटपाट की थी। कुछ पीड़ितों की माने तो लगभग दस चारपहिया वाहन व पन्द्रह से बीस ट्रक से लूटपाट की गयी थी। इस दौरान लोगों से नकाबपोश अपराधियों ने बदसलूकी भी की थी। बच्चों से लेकर औरतों तक को बंदूक की नोक पर लूटपाट की गयी थी। इसमें लोगों का कहना था कि पुलिस को सूचना के बावजूद घटनास्थल पर पहुंचने में देरी लगायी। करीब दो घंटे तक लूटेरों का तांडव बीच सड़क पर चलता रहा। लेकिन पुलिस का कोई भी पेट्रोलिंग वाहन इस ओर नहीं आया। ऐसे में पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठने जायज है। जिला में पूर्व एसपी हरिलाल चौहान का स्थांतरण के बाद जिला दुमका एसपी पटेल मयूर के अतिरिक्त प्रभार में चल रहा है। ऐेसे में इस भीषण कांड का खुलासा कब तक हो पाएगा इसका जवाब दूर दूर तक नहीं मिल रहा है।
मैं हूँ गोड्डा से अभिषेक राज की रिपोर्ट