एक ओर जहां ग्रामीण छेत्रों में स्वाथ्य व्यवस्था को लेकर सरकार करोड़ों रुपया खर्च कर प्राथमिक स्वाथ्य केंद्र या स्वास्थ्य उपकेंद्र जैसे स्वास्थ्य व्यवस्था को बहाल करने के लिए इन केंद्रों कब निर्माण कराती है ,ताकि ग्रामीणों को उनके गांव में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था बहाल हो सके साथ ही ममता वाहन जैसी सुविधा भी सरकार हर पंचायत में दे रखी है ।
पोड़ैयाहाट प्रखंड क्षेत्र के देवडाँड़ से एक ऐसी घटना सामने आई है जो पूरे स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है ।
देवडाँड़ की पूजा कुमारी को जब प्रसव पीड़ा हुई तो वो परिजनों के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र देवडाँड़ पहुंची लेकिन स्वास्थ्य केंद्र में न तो स्वास्थ्य कर्मी थे न ही कोई सहिया अगर कुछ था तो मुख्य द्वार पर लटका ताला जो लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की सीधी गवाही दे रहा था ।
पूजा कुमारी ने प्रसव पीड़ा से कहराते हुए स्वास्थ्य उपकेंद्र के सामने फील्ड पर ही अपने बच्चे को जन्म दे दी ।प्रसव पीड़ा के दौरान ही परिजन कह रहे थे कि हमने कई बार पदस्थापित एएनएम को फोन लगाया लेकिन कोई उत्तर नही मिला ।और तो और जिले में इस कोरोना काल मे 108 सुविधा भी भी फिलहाल बन्द पड़ा है ,ऐसे में न तो ममता वाहन और न ही स्वास्थ्य केंद्र में कोई कर्मी और न ही एम्बुलेंस सेवा ।यही कारण है कि आज पूजा को अपने बच्चे को नई दुनियां दिखाने के लिए मैदान में कराहते हुए अपने बच्चे को जन्म दी है ।
पूजा ने बच्चे को जन्म देने के बाद बताया कि दर्द से कहराते हुए हम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे लेकिन यहां ताला लटका मिला ,दर्द इतना ज्यादा बढ़ गया कि कोई सुविधा न रहने के कारण बच्चे को वहीं फील्ड पर जन्म देना पड़ा ।
एक ओर सरकार बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का दम्भ भरती है ,पंचायत स्तर पर स्वास्थ्य उपकेंद्र जैसे महलों का निर्माण करवाती है लेकिन ऐसे केंद्रों में न डॉक्टर की व्यवस्था रह पाती और न ही सहिया उपलब्ध रहती यही कारण है कि पूजा जैसी लड़की को तड़पते हुए फील्ड पर बच्चे को जन्म देना पड़ जाता है ।