जांच टीम पीड़िता के घर भी पहुंचे, की पूछताछ
उलझता जा रहा मामला, विभाग कर रहा बचाव :
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय घाट बंका के मामले
को लेकर maihugodda.com की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट की खबर लगने के बाद अधिकारी भी रेस में आ गए हैं ,जांच शुरू हो गयी है। मंगलवार को पीड़ित छात्रा द्वारा उपायुक्त को आवेदन देने के बाद हमने प्रमुखता से एक्सक्लूसिव खबर लगाया था जिसके बाद अब पदाधिकारी हरकत में आये हैं। जिसके बाद उपायुक्त के निर्देष पर प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रदीप शुक्ला के नेतृत्व में जांच टीम बुधवार को पीड़िता के गांव भी पहुंची। टीम में जिला परिषद उपाध्यक्ष लक्ष्मी चक्रवर्ती भी मौजूद थी। जहां पर उसके परिजनों से पूछताछ की। इसके बाद सीधे घाट बंका स्थित कस्तूरबा स्कूल पहुंची। जहां पर शिक्षिकाओं एवं छात्राओं से पूछताछ की। इस दौरान जांच टीम ने छात्रावास के अंदर जाकर छात्राओं से जानकारी जुटायी है। इसके बाद एक एक कर करीब दस छात्राओं से घटना के बारे में पूछताछ की है। प्रखंड विकास पदाधिकारी ने बताया कि पूरी रिपोर्ट उपायुक्त को सौंप दी जाएगी। अभी तक कोई ठोस जानकारी नक्सली के आने की बात को प्रमाणित नहीं कर रहा हैं।
टीम में बीईईओ रीना देवी, महिला थाना प्रभारी मोनालिसा करकेट्टा, मुफस्सिल थाना प्रभारी भी शामिल थे मामले को लेकर पुलिस विभाग भी काफी सक्रिय नजर आ रहा है। बुधवार की देर शाम गोड्डा बीडीओ के नेतृत्व में दोबारा पूछताछ करने स्कूल पहुंची है। लेकिन इस जांच में अब तक नक्सली के आने बात में कोई खास सच्चाई सामने नहीं आ पायी है। पीड़िता ने अपने बयान में एक मात्र महिला के आने की बात कही है। जो उसे जबरदस्ती ले जाने का प्रयास कर रही थी। जिसके पास हथियार भी होने की बात कही है। उसके बातों में कितनी सच्चाई है यह तो जांच के बाद पता पाएगा।
लेकिन मुख्य बात यह भी है कि लड़की के बयान के अनुसार स्कूल की एक शिक्षिका के बयान से तालमेल बैठने की भी बात सामने आ रही है ,शायद वो महिला शिक्षिका भी वही है जो लड़की के बयान में उस रात कस्तूरबा में शिक्षिका मौजूद थी ।
क्या है मामला :
बता दे कि विगत दिनों एक हिन्दी दैनिक अखबार में गोड्डा कस्तूरबा में नक्सली के पहुंचने की खबर छपी थी। जिसके बाद प्रशासननिक अमला सक्रिय हुआ था। अखबार में यह रिपोर्ट खुफिया विभाग के रिपोर्ट के आधार पर बनाया गया था। लेकिन एसपी ने खुद इस खबर को भ्रमक खबर बताया था। उपायुक्त स्तर पर इस खबर का खंडन किया गया था। इस दौरान संबंधित अखबार पर एफआईआर करने की भी बात कही गयी थी। इस बात को गोड्डा पहुंची आइजी सुमन गुप्ता ने भी दोहराया था। इस खबर को भ्रामक बताया था। लेकिन मंगवार को ही पीड़ित छात्रा के सामने आने और उपायुक्त को आवेदन देने पर मामला पूरी तरह से उलझ गया हैं। पीड़िता ने अपने बयान में किसी नकाबपोष औरत के आने का भी जिक्र किया है। जिसमें कहा है कि उसे वह जबरदस्ती ले जाने का प्रयास कर रही थी। उसे पिस्टल भी सटाया गया था। जिसके बाद वह बेहोष हो गयी थी। यह घटना विगत 2 जुलाई की ही बतायी जा रही है।
हर स्तर से हो रहा मामला को छिपाने का प्रयास :
अब तक हुए मामले पर सरकारी अमलों द्वारा पहल से एक बात तो साफ हो गयी है कि इस मामले को हर स्तर से छिपाने का प्रयास किया जा रहा था। इस कार्य में कस्तूरबा प्रबंधन पूरी तरह सफल भी हो गया था लेकिन पीड़िता के सामने आ जाने से बहुत कुछ साफ हो गया है। जांच में भी अब तक जो बातें सामने आयी है उससे प्रबंधन की लापरवाही साफ नजर आ रही है। उक्त छात्रा द्वारा बताया गया है कि उसे बंदूकधारी महिला ले जाने का प्रयास कर रही थी। लेकिन वह बेहोश हो गयी। लेकिन वार्डन द्वारा छात्रों को इस तरह की कोई बात नहीं बताने का दबाव डाला गया। छात्रा को सदर अस्पताल में भर्ती भी कराया गया था। जहां इलाज के बाद उसे घर भेज दिया गया। इतनी अधिक बात बढ़ जाने के बावजूद विभाग को इसकी सूचना तक नहीं दी गयी। जब एक माह बाद मामला प्रकाश में आया तो इसके बावजूद प्रबंधन इस पर लीपापोती करते हुए नजर आ रहा था।
पदाधिकारी के आने पर होता है रजिस्टर मेंटेन :
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय के अलग से मापदंड बनाए गए है। इसमें स्कूल में प्रवेष करने और बाहर जाने वाले का रजिस्टर मेंटेन किया जाता है। इसकी जिम्मेवारी सुरक्षा प्रहरी की होती है। लेकिन जांच टीम ने भी यह पाया कि पदाधिकारी के आने पर इस तरह की खानापूर्ति की जाती है। जब पदाधिकारी जांच में आते है तो रजिस्टर मेंटेन कर दिखाया जाता है कि प्रबंधन कितना मजबूत है। लेकिन कस्तूरबा कर्मी इस नियम से परे होते है।
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मैं हूँ गोड्डा.com से अभिषेक राज की रिपोर्ट