परमानन्द मिश्रा”वरुण”/पोड़ैयाहाट : हिंदी सिनेमा में एक फिल्म आई थी जिस फिल्म में उस किरदार को जीवित रहते मृत घोषित कर दिया गया था। अदालत में जज भी पूछता है कि तुम जिंदा हो इसका कोई कागजी सबूत देना पड़ेगा। अंततः उन्होंने एक पुलिस पदाधिकारी के साथ मारपीट की।जब उसका नाम पूछा और प्राथमिकी दर्ज की तब उसे जिंदा होने की सबूत मिला।कुछ इसी तरह का एक किरदार पोड़ैयाहाट प्रखंड के बांझी गांव में है जियालाल साह जिसकी उम्र 90 साल है। उन्होंने बताया कि उन्हें 17 साल से वृद्धा पेंशन मिल रहा था और बुढ़ापे में वही एकमात्र उनका लाठी है।लेकिन सरकारी रिपोर्ट में उनको मृत घोषित कर उनके पेंशन को बंद कर दिया गया है। वे दर-दर भटक रहा है कि वह जिंदा है और पेंशन चालू किया जाए। उन्हें बहुत कष्ट हो रहा है .
सरकारी कामकाज बैठे-बैठे कैसे होता है इसकी बानगी इसी केस में देखने को मिला। रिपोर्ट बनाने वाले सरकार के सरकारी कर्मचारी ने बैठे-बैठे ऐसा रिपोर्ट बना दिया।जिसके कारण जीवित जियालाल साह जीना हराम हो गया है। वह गांव में हर किसी बड़े आदमी के पास रो-रो कर जिंदा होने का प्रमाण बता रहा है।
कागज पर मृत हो चुके जिंदा जियालाल :
इस संबंध में ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार गांव में जियालाल साह नाम के दो व्यक्ति थे। 6 माह पूर्व एक जियालाल साह जिनके पिताजी का नाम शिवनारायण साह है,उनकी मौत गई थी। ग्रामीणों ने बताया कि नेट पर देखने से पता चला कि मृत जिया लाल साह के नाम से पेंशन आ रहा है जबकि जिंदा जिया लाल साह जिनके पिता का नाम गोपी साह है। वह जिंदा है ।लेकिन उसे मृत घोषित कर दिया, जिसके कारण इनका पेंशन रुक गया है।
इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी कंचन सिंह ने बताया कि उन्हें इस चीज की जानकारी नहीं है ।ना ही उन
के पास ऐसा कोई आवेदन आया है।अगर ऐसा बात है तो निश्चित रूप में उनका पेंशन चालू होगा और संबंधित कर्मचारी पर कार्यवाही भी की जाएगी।