लोकल को वोकल बनाकर आत्मनिर्भर बनना है अब हमें ,ये बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों आये 8 बजे वाली लाइव में कही थी,ये सत्य है कि भारत मे प्रतिभाओं की कमी नही है ,लोकल स्तर पर भी ऐसे कई प्रतिभावान व्यक्ति संसाधन के आभाव में दम घोंट देते हैं ।
राघव मिश्रा/फिलहाल देश मे कोरोना काल चल रहा है ,इस काल मे वैज्ञानिक से लेकर तमाम डॉक्टर रिषर्च में जुटे हुए हैं कि कितनी जल्दी इसके वैक्सीन को तैयार किया जा सके या कोरोना की कोई कारगर दबाई बना ली जाय ।
सभी अपने अपने स्तर पर जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं । हलांकि जिस प्रकार यह कोविड-19 नामक वायरस कहर बरपा रहा है उसके कहर को रोकने के लिए पूरे देश मे लॉकडाउन लगा हुआ है क्योंकि यह एक ऐसा संक्रमण है जो छूने और मानव के संपर्क में आने पर फैलता है ।
पूरे भारत मे यह आंकड़ा हजारों में जा चुका है और हमारे राज्य झारखण्ड में भी 215 से पर कर चुका है ।इससे बचने के तमाम उपायों के बीच टेस्टटिंग की संख्या भी बढ़ानी होगी ।
टेस्टिंग किट और अस्पताल के संसाधन से जूझ रहा देश की स्थिति को देखते हुए गोड्डा जिले का एक मोहल्ले में रहने वाला उज्ज्वल चौबे ने एक तकनीक का इजात कर डाला ,उज्ज्वल का दावा है कि उसकी तकनीक के माध्यम से कोरोना संक्रमण की जांच के लिए एक व्यक्ति का टेस्ट में महज 10 सकेंड लगेंगे ।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंश एंड मशीन लर्निंग पर शॉफ्टवेयर करता है काम !
इस शॉफ्टवेयर के निर्माता उज्ज्वल का कहना है कि यह मशीन लर्निंग पर काम करता है जैसे मानव के ब्रेन काम करते हैं ।इसके लिए हमारे शॉफ्टवेयर को मरीज के लन्स के एक्सरे इमेज चाहिए होगा ,यह इमेज हमे एक्सरे पेपर के फोटो कॉपी के रूप में भी अगर मिलता है तो हम 10 सकेंड में उसकी कोविड-19 के टेस्ट की रिपोर्ट दे सकते हैं ।
निमोनियां के भी रिपोर्ट संभव :
उज्ज्वल का दावा है कि इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से न सिर्फ कोविड-19 के रिजल्ट मिलेंगे बल्कि साथ ही साथ निमोनियां के भी लक्षण का पता चल पाएगा ।
डेमो दिखाकर किया आश्चर्यचकित :
गोड्डा के इस होनहार युवक ने मैं हूँ गोड्डा न्यूज पोर्टल के एक्सक्लूसिव लाइव बातचीत में डेमो दिखाकर सबको आश्चर्यचकित कर दिया ,डेमो में उन्होंने निगेटिव और पोजेटिव दोनो तरह के मरीज के लन्स एक्सरे पेपर के जरिये रिपोर्ट दिखाया जिसमे निमोनियां और कोविड के लक्षण को शॉफ्टवेयर ने महज 10 सकेंड में ही प्रतिशत दिखा दिया ।
डॉक्टरों से मिले डाटा पर काम कर सन्तुष्ट हुआ उज्ज्वल ।
उज्ज्वल बताते हैं कि हमने धनबाद और देवघर के दो डॉक्टरों से संपर्क कर मरीज के एक्सरे डाटा उपलब्ध किया ,नाम न छापने की शर्त पर डॉक्टरों के नाम सार्वजनिक नही किया जा सकता ,लेकिन उज्ज्वल ने हमे बताया कि डॉक्टरों से मिले डाटा पर जब हमने रिजल्ट दिया तो डॉक्टर ने भी उसे स्वीकार किया और रिपोर्ट वैसी ही निकली जैसी रिपोर्ट डॉक्टर की नजर में पहले से थी ।
संसाधनों की कमी के कारण अभी सिर्फ डेमो पर किया गया है काम :
गोड्डा के इस युवा ने आत्मनिर्भर बनने में अपनी पूरी कोसिस लगा दी है ,उन्होंने कहा कि इस शॉफ्टवेयर का कोडिंग इतना टफ था कि मेरे दो दो लैपटॉप हैंग कर गया ,वो दौर हमे हतोत्साहित करने का था लेकिन हमने हिम्मत नही खोया और आखिरकार फिर से दोस्तों के लैपटॉप मदद लेकर डेमो के लायक इस शॉफ्टवेयर को तैयार कर ही लिया ।
अबतक 3.5 लाख हुए हैं खर्च,पूरी तरह तैयार करने में लगेंगे 85 लाख ।
शॉफ्टवेयर के निर्माता कहते हैं कि काफी मेहनत कर इसे तैयार किया गया है ,काफी परेशानियों का भी सामना करना पड़ा है ,जबसे कोरोना संक्रमण के मामले देश मे आया तबसे इसपर काम कर रहा हूँ ,लगभग 45 दिन लगे इस तकनीक को तैयार करने में ।जिसमे अबतक 3.5 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं लेकिन इसे अधिक से अधिक टेस्टिंग के तैयार करने तकरीबन 85 लाख का बजट आएगा जो हमारे पास नही है ।
और अगर इसे लैबोरेट्री के रूप में विकसित करना पड़े तो तकरीबन 1 करोड़ के आसपास का खर्च आ सकता है ।गोड्डा का यह युवक सरकार के सामने डेमो दिखाने को भी तैयार है ।
युवक ने झारखंड सरकार से मांगी मदद :
पैसे से शॉफ्टवेयर डेवलेपर का काम करने वाला उज्ज्वल फिलहाल अपने घर गोड्डा में ही है और अपने राज्य सरकार से उन्होंने मदद मांगी है,कहा है कि टेस्टिंग के लिए अबतक जो संसाधन हैं उसमें अधिक खर्च के साथ साथ समय भी अधिक लग रहा है ,युवक का कहना है कि अगर मेरी इस तकनीक को बढ़ावा मिलता है तो इससे कम खर्च में समय की बचत के साथ अधिक से अधिक मरीजों की जांच की जा सकती है ।
उज्ज्वल का कहना है कि उसने इस तकनीक की जानकारी मेल करके राज्य के मुख्यमंत्री को भी दी है साथ ही स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से भी संपर्क साधा है ,लेकिन किसी कारण अबतक स्वास्थ्य मंत्री से उनकी बातचीत नही हो पाई है,युवक ने बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से भी फोन पर इसकी जानकारी साझा की है और स्वास्थ्य मंत्री ने उज्ज्वल को अस्वासन दिया है कि हम इस बात को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री तक पहुंचाएंगे ।
इसके अलावे भी उज्ज्वल ने कई जगह अपने इस तकनीक को साझा किया है जहां से उसे काफी प्रोत्साहन मिल रहा है ।
सेनेटाइजेशन मशीन पर भी कर रहा है काम :
कोविड-19 के और निमोनियां जैसी बीमारी की जांच के लिए इजात करने वाली तकनीक का मास्टर माइंड उज्ज्वल इस वक्त सेनेटाइजेशन मशीन पर भी काम कर रहा है जो ओटोमेटिक संचालित होगा,साथ ही उसमे सेंसर के द्वारा महज 7 सकेंड में एक व्यक्ति को सेनेटाइज किया जा सकता है और उसके शरीर से वायरस इफेक्ट को खत्म किया जा सकता है ,युवक का दावा है कि इस मशीन को अगर पूरे झारखण्ड में एक हजार की संख्या में लगाया जाय तो पूरे झारखण्ड को एक से दो महीने में पूरे 3 करोड़ जनता को सेनेटाइज किया जा सकता है और ग्रीन जोन में बदला जा सकता है ।
इस मशीन पर उज्ज्वल अभी काम कर रहा है और इसमे एक मशीन की लागत लगभग 20 लाख रुपये के करीब आएगा ।
युवक की टीम ने किया है OYO एप का इजात ।
शॉफ्टवेयर डेवलेपर उज्ज्वल अपने दोस्तों के साथ रहकर अपनी पढ़ाई लिखाई DPS दिल्ली में पूरी की है ,दिल्ली पब्लिक स्कूल से शिक्षा प्राप्त कर उज्ज्वल तकनीक की दुनियां में कदम रख दिया ,चूंकि उज्ज्वल को बचपन से ही तकनीकी शिक्षा के प्रति काफी रुचि रही है ।उज्ज्वल बताता है कि हमारे दोस्तों की टीम ने ही ओयो एप का निर्माण किया है जो आज की तारीख में काफी पॉपुलर एप है ।
अपने माता पिता को मानते हैं आदर्श :
उज्ज्वल अपने परिवार में माता पिता और एक छोटी बहन के साथ रहता है ।उज्जव की मां का नाम मोना देवी है और पिता का नाम नितिन प्रसाद चौबे ,उज्जव कहता है कि माता पिता ने काफी प्रोत्साहन दिया है मुझे,हर बात मम्मी से शेयर करता हूँ ,पापा बिजनेसमेन हैं इसलिए समय नही मिल पाता है लेकिन पापा ने भी हमे काफी सपोर्ट किया है और इसके अलावे मेरी छोटी बहन भी मेरे इस काम मे सहयोग करती है जहां कुछ गड़बड़ होता है तो वो हमें बताती है कि ऐसा करो तब सही होगा ।
इसलिए परिवार का मेरे कामो में अहम रोल रहा है और मैं माता पिता को ही अपना आदर्श मानता हूं ।
उज्ज्वल की मां मोना देवी कहती है कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से निवेदन है कि मेरे बेटे पर ध्यान दे इसके कामो को देखे ,मेरा बेटा काफी होनहार है ,काफी मेहनत करता है दिनरात लगा रहता है ।इसलिए सरकार अगर चाहेगी तो इसके डेमो को देखकर इसके प्रोजेक्ट को काफी आगे तक ले जा सकती है ।साथ ही जबसे कोरोना बीमारी की शुरुआत हुई है तबसे ये उसके ऊपर काम कर रहा था ।चूंकि बड़े बड़े लोग इसके इलाज और टेस्ट के लिए लगे हुए हैं इसलिए इसने भी अपनी तकनीक के माध्यम से नया अविष्कार किया है जिसे सरकार को भी ध्यान देनी चाहिए साथ ही प्रधानमंत्री को भी उज्ज्वल के कामो की परीक्षा लेकर इसे उपर उठाना चाहिए ।
कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि इस कोरोना काल मे जहां एक ओर पूरा विश्व अपनी अपनी तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है जिससे कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से जल्द से जल्द निजात मिल सके वहीं झारखण्ड के गोड्डा जिले का एक युवक का यह अथक प्रयास भी अगर सार्थक हो जाता है तो लोकल को ग्लोबल बनने में इसे कोई देरी नही हो सकती और अपने माता पिता के नाम के साथ उज्ज्वल पूरे गोड्डा जिले को गौरवांवित करने में अपनी बड़ी भूमिका साबित कर सकता है ।और इसप्रकार लोकल वोकल में तब्दील हो सकता है ।अब देखना होगा कि सरकार इसपर कबतक ध्यान आकृष्ट करती है और कब इन्हें सरकारी मदद मिलती है जिससे उज्ज्वल इसे बृहद पैमाने पर उतार सके और पूरे देश को कोरोना मुक्त करने में अपना योगदान दे सके ।