कौन कहता है कि आसमान में सुराग नही हो सकता !
एक पत्थर तो जरा तबियत से उछालो यारों !!
मोहल्ले की पगडंडियों से चलकर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पहुंची “शगुफ्ता जहूर”की कुछ ऐसी है कहानी ।
जी हां उपर लिखे इस लाइन को चरितार्थ कर रही है गोड्डा के मध्यमवर्गी अल्पसंख्यक परिवार में जन्मी गोड्डा की बेटी शगुफ्ता जहूर ।जो शहर के अल्पसंख्यक मोहल्ले असनबनी की पगडंडी रास्ते से चलकर इंटरनेशनल खेलों में अपना स्थान बना लेने वाली श जहूर एक ऐसे समाज की बेटी है जिसने अपनी बेटियों को हमेसा पर्दे में रखा ,लेकिन शगुफ्ता ने इस पर्दे से बाहर आकर समाज को भी एक संदेश दे दी है ।
हमने उसे पूरी आजदी दिया :आज समाज को जाएगा अच्छा सन्देश : शगुफ्ता जहूर की माँ ।
जहूर की माँ से हुई खास बातचीत में उन्होंने कही की हमने उसे पूरी आजादी दी थी आज हमें ही नही पूरे शहर वासी एवं समाज को गर्व हो रहा है अपनी बेटी पर ।उन्होंने अन्य अभिवावक को भी सन्देश देते हुए बताई की पढ़ाई के साथ साथ बच्चों के लिए खेल भी महत्वपूर्ण है।
प्रतिभा को निखरने का मौका देना चाहिए तब आप अपने बच्चों पर गौरवांवित महसूस कर सकेंगे ये कहना है शगुफ्ता की माँ का जिसने अपने बिना समाज की परवाह किये उसे एक ऐसा भयमुक्त वातावरण दिया जिसमें वो खुलकर अपने सपनों को साकार कर रही है ।
कभी पैसे की कमी का एहसास होने नही दी : जहूर की माँ।मँहगे खेल का शौक रखने के बावजुद एक मध्यमवर्गीय परिवार होने के बाद भी उसके माता-पिता ने उसे कोई कमी होने नही दिया।
शटल और रैकेट भी समय के साथ साथ बदलते रहे लेकिन परिवार वालों ने कभी भी खर्च की शिकायत नही की जिससे आज भी शगुफ्ता अपने हौसले लेकर उड़ रही है ।
मध्यमवर्गी परिवार की बेटी है शगुफ्ता जहूर ।
जहूर के पिता एक छोटे से प्राइवेट स्कूल चलाते और बच्चों को अच्छी तालीम देने में जुटे हुए हैं तो माँ समाज के प्रति जागरूक एक समाजसेवी हैं ।
सरकारी स्कूलों से पढ़कर अंतराष्ट्रीय खेलों तक पहुंची जहूर ।
जहूर की प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा गोड्डा गर्ल्स हाई स्कूल से हुई जहाँ से जहूर ने 10वीं पास कर पथरगामा कॉलेज से ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई पूरी की साथ ही एम.ए की पढ़ाई के लिए अमृतसर यूनवर्सिटी के जालंधर कॉलेज चली गई जहाँ से वो वर्तमान की पढ़ाई भी कर रही है ।और आज की तारीख में टाटा में गोड्डा जिले की प्रथम बैडमिंटन इंटरनेशनल महिला खिलाड़ी के रूप में टाटा ओपन इंटरनेशनल चैलेंज मैच मुम्बई में खेल रही है जो 28 सितम्बर से 2 दिसम्बर तक चलेगा ।
200 से अधिक इंटरनेशनल खिलाड़ी दिखाएंगे अपना हुनर ।
जहूर जिस मैच में अपना खेल का प्रदर्शन दिखाने गई है वहां दो सौ से अधिक खिलाड़ी ने शिरकत की है 13 देशों से खिलाड़ी कोर्ट में पहुंचे हैं ।जहां जहूर भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है ।
पूरा परिवार का खेल से जुड़ाव ।
7 लोगों से भरा परिवार के मुखिया जहूर के पिता फहीम अहमद एवं माँ गुलशन आरा ने जहूर को पूरा साथ दिया इसका एक कारण यह भी है जो जहूर की माँ कहती है वो ये की अपने स्कूल के दिनों में वो भी एक खिलाड़ी थी इसलिए खेल को बड़ी बारीकी से समझती है ।माता पिता के अलावा जहूर को दो भाई एवं दो बहन भी है
एक भाई आदिल जहूर तो दूसरा आमिर अहमद और बहन फरजेन जहूर एवं जरनैन फहीम है ।बहन फरजेन जहूर भी जिलास्तरीय कैरम खिलाड़ी है । और छोटा भाई आमिर जो इस वक्त मुम्बई में ही डांस की ट्रेनिंग ले रहा है ।
खेल के अलावा खाना बनाने की है शौकीन ।
शगुफ्ता जहूर भले ही आज देश के लिए खेल रही है लेकिन घर मे खाना बनाने का शौक उसे बहुत ज्यादा है ।जहूर की माँ मुस्कुराते हुए कहती है वो किचन में मेरे साथ खाना बनाने में माहिर है उसे तरह तरह के व्यंजन बनाने का बहुत शौक है किचन में वो बहुत शरारती हो जाती है खाना बनाने के लिए ।
पिता को बेटी पर है नाज :जिले को भी गौरवान्वित कर रही है बेटी ।
शगुफ्ता जहूर के अहमद फहीम ने कहा कि बेटी की उपलब्धियों पर नाज है।साथ ही उसने पूरे जिले को गौरवान्वित किया जिसका हमे फक्र महसूस हो रहा है ।सभी माता पिता को अपने बच्चों पर भरोसा करने की जरूरत है ।
बधाई देने वालों का घर पर लगा है तांता ।
शगुफ्ता जहूर की कामयाबी की सीढ़ी बढ़ते ही घर पर मां पिताजी के पास लोगों का मुबारकवाद आना शुरू हो गया है ।लोग माता पिता को शुभकामनाएं देने एक के बाद एक पहुंच रहे हैं ।परिवार के कुछ लोग फोन पर भी माता पिता को बधाई दे रहे हैं ।
बेटा डरना मत हमलोग तेरे साथ हैं :एक माँ का बेटी के नाम सन्देश ।
मुम्बई में टाटा ओपन इंटरनेशनल मैच खेल रही बेटी के लिए माँ ने सन्देश दिया है कि बेटा हमे ही नही पूरे शहरवासियों को तुमपर गर्व है ,कभी घबराना मत अच्छे से खेलो और देश का नाम रौशन करो ,कभी डरना मत हम सब तुम्हारे साथ हैं ,आगे बढ़ते रहो ।