किसानों का कझिया बचाओ किसान बचाओ को लेकर जारी आमरण अनशन एसडीओ नमन प्रियेश लकड़ा के आश्वासन के बाद टूट गया एसडीओ ने जूस पिलाकर किसानों के जारी अनशन को खत्म किया ।
किसानों के द्वारा जारी मांग में मुख्य तीन मांग पर सहमति बनी जिसके बाद अनशन को तोड़ दिया गया ,अनशन तोड़ने के समय पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव किसानों के साथ मौजूद थे ।
उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा मुख्य तीन मांगों पर सहमति बनी है और हमने खनन विभाग के कमिश्नर से भी इस विषय पर बात की है ।
तीन मांगों पर बनी सहमति
मुख्य तीन मांगों में पहला मांग यह है कि किसानों के पटवन हेतु नदी के चेक डेम का कोई व्यकल्पिक व्यवस्था हो जिसमें उपायुक्त ने क्षेत्रीय मुखिया को चौदवीं वित्तीत वर्ष का पैसा लगाने को कहा है।
जिसमे मुखिया ने भी सहमति दे दी है ।दूसरी मांग यह थी कि मुख्यमंत्री के द्वारा जारी पत्र के बावजूद भी चेक डेम नही बन पाया है,जिसका आज सीओ ने निरीक्षण किया है ,जिला प्रशासन जल्द उसे योजना के तहत लाकर काम करवाएगी ।
एवं तीसरी मांग यह थी कि नदी से हो रहे अवैध बालू उठाव पर पूर्ण रूपेण बाबन्दी लगे उसपर भी एसडीओ नमन प्रियेश लखड़ा ने आश्वासन दिया है ।
जिसके बाद सबों की समहमति लेकर एवं एसडीओ ने जूस पिलाकर किसानों के अनशन को तुड़वाया ,एवं एक किसान जिसकी हालत गम्भीर बनी हुई थी उसे बेहतर स्वास्थ्य लाभ के लिए सदर अस्पताल गोड्डा लाया गया ।
किसानों का अनशन तीसरे दिन भी जारी था!
कझिया नदी बचाओ ,किसान बचाओ के तहत किसानों के द्वारा लगातार तीन दिनों से आमरण अनशन जारी था,जिसके तहत किसानों का मुख्य मांगों में कझिया नदी में चेक डेम निर्माण एवं तात्कालिक मर रहे फसल के लिए कोई व्यकल्पिक व्यवस्था की मांग के साथ साथ नदी से उठ रहे अवैध बालू उठाव को लेकर डटे हुए थे ।
किसानों को आश्वासन देने पहुंचे थे नेता एवं पदाधिकारी
आज किसानों का हालचाल जानने एवं चेक डेम के लिए स्थल का निरीक्षण करने गोड्डा सीओ प्रदीप शुक्ला पहुंचे ,उन्होंने स्थल का जायजा लिया ,साथ ही गोड्डा के एसडीओ नमन प्रियेश लकड़ा भी अनशन स्थल पहुंचकर किसानों का हालचाल जाना एवं आग्रह किया गया कि अब अनशन को तोड़ दिया जाय ।
लेकिन किसान अपने मांगो की लिखित स्वीकृति को लेकर अड़े हुए थे।
जबकि किसानों की हालात लगातार बिगड़ती जा रही है एवं एक कि हालत गंभीर बनी हुई थी।
हालांकि स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार जांच में लगी हुई थी ,एवं किसानों के स्वास्थ्य का खयाल रखा जा रहा था।
इसी बीच पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव भी किसानों को समर्थन देने के लिए अनशन स्थल पहुंचे एवं उन्होंने भी सरकार को सीधे तौर पर जिम्मेवार ठहराया उन्होंने कहा कि यह सरकार की प्राथमिकताओं में गरीब किसान बेरोजगार ,रैयत हैं ही नही हमने व्यकल्पिक व्यवस्था देने की मांग सम्बंधित विभाग से किया है उसे जल्द पुरा कराया जाएगा ।
हालांकि रात के अंधेरे में गोड्डा विधायक अमित मंडल भी किसानों के हालचाल जानने पहुंचे थे ।उन्हीने भी आश्वासन दिया था ।
इसी बीच सीओ के फोन के द्वारा क्षेत्रीय मुखिया से उपायुक्त किरण कुमारी पासी की बात हुई और उपायुक्त ने मुखिया को चौदवीं वित्तीय वर्ष के पैसे से व्यकल्पिक व्यवस्था करने की बात कही ।
सरकार पर विफ़रे क्षेत्रीय मुखिया
यह कहते ही मुखिया लोबिन विफ़र गए और उन्होंने कहा कि उपायुक्त हमे लिखित पत्र जारी करे तभी हम इस कार्य को करवा सकते हैं ,यहां सरकार और जिला प्रशासन कुछ भी नही सुन रही है
सरकार का जरा सा भी ध्यान नही है किसानों के प्रति अगर होता तो वर्षों से पड़ी यह समस्या दूर हो गई होती ।
मुखिया सरकार के ऊपर चिल्ला चिल्ला कर अपना भड़ास निकालते नजर आए ।
मुख्यमंत्री के पत्र को की गई थी अनदेखी
कझिया नदी में बनने वाले सिंहवाहिनी मंदिर के बगल में चेक डेम के निरीक्षण कर रिपोर्ट देने की बात मुख्यमंत्री कार्यालय से पहले ही आ चुका था लेकिन विभाग को इस ओर कोई ध्यान नही था ।
अब जब किसान आमरण अनशन का रुख अख्तियार किया तब जाकर विभाग एंव नेता भी जागे ।हालांकि जनसंवाद का पत्र भी किसानों के पास मौजूद हैं जिसमे यह लिखा हुआ है कि जांच कर उचित कार्रवाई की जाय ।
सरकार के ऊपर संदेह बरकरार
किसानों के नेता सुमन्त कुमार भी बताते हैं कि अबतक कोई ठोस लिखित आश्वासन नही मिल पाया है ।हमलोगों की एक सहमति बनी है जिसपर आश्वासन यह है कि मुख्य तीन मांगों को जल्द पूरा किया जाएगा ।
जिसको लेकर हमलोगों ने अनशन तोड़ दिया है ।हालांकि एक बुजुर्ग किसान कहते हैं की पहले भी ऐसे आश्वासन मिल चुका है हमे अब भी सरकार के ऊपर संदेह बना हुआ है ।
विधायकों की मजबूरी या अंदरूनी राजनीति
तीन दिनों से हो रहे कझिया बचाओ किसान बचाओ आंदोलन ने जब तूल पकड़ा और सभी राजनीतिक दलों के साथ साथ सत्ताधारी दल के भी कुछ नेता पहुँच कर इस आंदोलन को अपना समर्थन दे दिए इससे गोड्डा के विधायक अमित मंडल को भी अनशन स्थल पर जा कर उन सभी अनशनकारियों से बात कर इस मुद्दे के लिए पहल करने की पेशकश भी की लेकिन आज जमनी पहाड़पुर के मुखिया लोबिन यादव ने इसे एक लॉलीपॉप कहा।
घटते जनाधार और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता के कारण उन्हें आने के लिए मजबूर कर दिया वरना वो आते भी नही।
दूसरी तरफ अपनी ताबड़तोड़ जनसभा करते रहने के बावजूद झाविमो के विधायक प्रदीप यादव भी इस लड़ाई में अपनी सहभागिता किये बिना रह नही पाए।
आज अंतिम दिन सिंहवाहिनी मंदिर के प्रांगण में पहुँच ही गए जहां पूर्व में भी इसी मुद्दे पर कई बार आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर चुके थे ये बात अलग है कि कुछ नजदीकियों के कारण ये आंदोलन सड़क से लेकर सदन तक उतर नही सका।
इस आंदोलन के मुख्य किरदारों में से एक ने पिछली बार हुए एहसास जा जिक्र भी किया था शायद इसीकारण इस आंदोलन में किसी बड़े चेहरे को शामिल नही करने का फैसला भी लिया था लेकिन अगर चुनाव नजदीक हो और भीड़ के साथ मंच और मुद्दा पहले से तैयार हो तो फिर मंझे हुए राजनीतिज्ञ ऐसे मौके को जाने नही देते है बल्कि कैश कर लेते है।
आज जिला प्रशासन के आश्वासन पर ये अनशन टूटा तो जरूर है लेकिन एक ही आँच और एक ही चावल से कोई खीर,कोई खिचड़ी, कोई भात तो कोई बिरयानी तैयार कर लेगा लेकिन बदकिस्मत उस क्षेत्र की जनता को ग्रामीण भाषा मे खुद्दी टूटा चावल भी नही मिलेगा।