शहर के चाय दुकान व खेल के मैदान पर युवा कर रहे नशीली दवाओं का सेवन ।
अभिषेक राज गोड्डा/जो दवा बीमारी से निजात दिलाने के लिए बनाई गई है। उसका उपयोग अब युवाओं द्वारा नशे के लिए किया जा रहा है। नशे के लिए अब पान, बीड़ी, सिगरेट और शराब के अलावा कम खर्च में नशीली दवा सीरप और इंजेक्शन का उपयोग अधिक हो रहा है। शहर में ऐसे दर्जनों अड्डा नशीली दवाओं का उपयोग करने का युवाओं का आशियाना बन गया है। चाय के दुकानों के गुमटी के पीछे काफी अधिक संख्या में युवा वर्ग नशीली दवाओं का उपयोग कर रहे है। इसके अलावे गांधी मैदान का स्टेडियम, ब्लॉक फिल्ड, गोड्डा कॉलेज का बीएड भवन के अलावे कई ऐसी सरकारी भवन जिनका उपयोग वर्तमान समय में नहीं किया जा रहा है। इन जगहों पर रोज सुबह, दोपहर व शाम में युवा वर्ग पहुंच कर नशीली दवाओं का उपयोग धड़ल्ले से कर रहे है। इसे रोकने में अब तक पुलिस प्रशासन भी नाकाम साबित हो रही है।
प्रतिबंध के बावजूद बिना पर्ची के देते है सिरप :
मेडिकल स्टोर वाले अपने थोड़े से फायदे के लिए बिना डाक्टर की पर्ची देखे ही ये नशीली दवाएं अवैध रूप से बेंच रहे हैं। जबकि सरकार ने ऐसी दवाओं की खुली बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। युवकों में दिन-ब-दिन नशे को लेकर झुकाव बढ़ता जा रहा है। शराब, सिगरेट, गांजा के साथ अब नशे के लिए युवा नए-नए तरीके भी इजाद कर रहे हैं। दर्द और एलर्जी से राहत दिलाने के लिए बनाई गई दवाइयों को उपयोग युवा वर्ग नशे के लिए करने लगा है।
पेंटविन इंजेक्शन, कोरेक्स सीरप और स्पाजमो प्राक्सीवान कैप्सूल का नशे के लिए उपयोग किया जा रहा है। नशे के ये सामान मेडिकल स्टोर में दबाई 2 रुपए से लेकर 15 रुपए और सिरप 300 से 500 तक में आसानी से मिल जाते हैं। स्पाजमो प्राक्सीवान कैप्सूल पेट दर्द से राहत की दवा है। इसकी कीमत 2 रुपए है। युवा एक साथ चार से पांच कैप्सूल खाकर इसका उपयोग नशे के लिए कर रहे हैं। इसके अलावा पेंटविन इंजेक्शन लगाकर भी युवा वर्ग नशा कर रहा है। दो रुपए के इंजेक्शन को दस रुपए में बिक्री कर मेडिकल स्टोर के संचालक चांदी काट रहे हैं।
शहर में कोरेक्स जैसी नशीली दवाइयों का नाम है टूट्टी ।
शहर में युवा जिस नशीली सिरप का प्रयोग कर रहे हैं उसका एक व्यकल्पिक नाम भी रखा गया है ,जो है टूट्टी । टूट्टी नाम से युवा इसलिए इस सिरप को कहते हैं ताकि दूसरे किसी भी व्यक्ति को यह पता न चल सके कि वो क्या खरीद रहा है या क्या पी रहा है ।लोगों से बचने के लिए इस नाम का प्रयोग भी किये जाते हैं ।
नशे के लिए युवा स्पाजमो प्राक्सीवान, एंटी एलर्जिक टेबलेट एविल, नारफिन एंपुल, नाइट्रोसीन टेबलेट, आयोडेक्स व कोरेक्स सीरप का भी उपयोग कर रहे हैं। इनमें से नारफिन व नाइट्रोसीन को तो प्रतिबंधित कर दिया गया है। फिर भी ये मेडिकल स्टोर्स में मिल जाते हैं। रेलवे स्टेशन व ट्रेनों में भटकने और कबाड़ बीनने वाले बच्चों को बोनफिक्स सूंघने की लत लग गई है।
घर में पकड़े जाने के टेंशन से बचने ले रहे आफत मोल :
घर में पकड़े जाने के टेंशन से बचने के लिए युवा वर्ग नशीली दवा का सेवन कर आफत मोल ले रहे हैं। जानकारों की मानें तो पेंटविंन इंजेक्शन लगाने के 30 सेकंड के अंदर उसे नशा हो जाता है। इसी तरह स्पाजमो प्राक्सीवान कैप्सूल और कोरेक्स सीरप का नशा शराब जैसे दूसरे नशे की तुलना में सस्ता पड़ता है। यह हर जगह मेडिकल स्टोर में आसानी से भी मिल जाते हैं। इसे खाते समय किसी से छिपने की जरूरत नहीं पड़ती। शराब की तरह मुंह से बदबू भी नहीं आती। जिससे नशे के रूप में ऐसी दवा का उपयोग किया जाता है।
आर्गेनाइजेशन के नए आदेश की उड़ रही धज्जियां :
सेंट्रल ड्रग स्टेंडर्ड आर्गेनाइजेशन के निर्देश के अनुसार पिछले दिनों नया आदेश जारी किया गया था। जिसके अनुसार नींद की गोली और हैवी एंटीबायोटिक दवा के लिए एमबीबीएस डॉक्टर की पर्ची जरूरी हो गई है। पर दवा विक्रेताओं द्वारा इसका पालन नहीं किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों संचालित मेडिकल स्टोर्स की बात तो छोड़ ही शहरी क्षेत्र के व जिला मुख्यालय में भी मेडिकल स्टोर्स में बिना पर्ची के दवा दी जा रही है।
क्या कहते है औषधि निरीक्षक :
मेडिकल दुकानों को निर्देश दिया गया है कि किसी भी प्रकार की दवाई को बिना पर्ची दिखाए नहीं दिया जाए। अगर कोई भी मेडिकल स्टोर बिना पर्ची दिखाए दवाई की बिक्री कर रहा है तो कार्रवाई के लिए भी तैयार रहें। इसके अलावे अगर कोई और शहर में कोई एजेंट बनकर ऐसी दवाई का अवैध रूप से कारोबार कर रहा है तो कार्रवाई की जाएगी।
-डॉ रामचन्द्र बेसरा, जिला औषधि निरीक्षक, गोड्डा