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जिला परिषद उपाध्यक्षा ने शिक्षा विभाग पर उठाए सवाल,कहा चापलूसों के कारण विभाग हो रहा बदनाम ।

राघव मिश्रा

बायोमैट्रिक उपस्थिति न होने कारण 89 शिक्षकों का रोका गया वेतन,लेकिन विभागीय बाबुओं की रही चांदी ।

शिक्षक संस्थान में राजनीति की खबर देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है लेकिन यहां कहानी गोड्डा के शिक्षा विभाग में राजनीति पर आधारित है ,जब कोई शिक्षक ही अपने कर्तव्यों को भूल अपने विभाग की परिक्रमा में लग जाय तो वाकई इस देश को विश्व गुरु बनने से कोई नही रोक सकता ।
बात दरअसल यह है कि शिक्षा विभाग की खामियां को लेकर जिला परिषद उपाध्यक्षा लक्ष्मी चक्रवर्ती की ओर से उपायुक्त को लिखे पत्र में शिक्षकों के वेतन को बायोमैट्रिक आधार पर रोकने एवं उसी नियमो को ताक पर रखकर अन्य शिक्षकों का भुगतान करने के बारे आवाज उठाई है ।

जिला परिषद उपाध्यक्षा लक्ष्मी चक्रवर्ती ने शिक्षा विभाग के ऊपर गंभीर सवाल खड़े की है उन्होंने विभाग की परिक्रमा में लगे चंद शिक्षकों को आड़े हाथों लिया है साथ ही जिला शिक्षा पदाधिकारी की कार्यशैली पर भी जिला उपायुक्त को पत्र लिखी है और कहा है कि ऐसे लोगों की वजह से ही जिला बदनाम होता आ रहा है। शिक्षा विभाग में हो रहे अनियमित्ता को जिला परिषद उपाध्यक्षा लक्ष्मी चक्रवर्ती ने अपने पत्र की प्रतिलिपि आयुक्त संथाल परगना, सचिव उच्च शिक्षा विभाग, झारखंड विधासभा अध्यक्ष, एवं मुख्यमंत्री झारखंड सरकार को भी अवगत कराया है ।
क्या लिखा है उपाध्यक्षा ने यहां पढ़ें:
उपायुक्त महाशया सादर सूचित करना है कि जिला शिक्षा पदाधिकारी, गोड्डा के द्वारा उच्च विद्यालयों के शिक्षकों के माह नवम्बर, 2019 के वेतन भुगतान में काफी अनियमितता की गयी है। बायोमैट्रीक उपस्थिति को आधार मानते हुए 89 शिक्षकों का वेतन रोक शेष सभी का वेतन भुगतान किया गया है। शिक्षक जिनका भुगतान हुआ है उसमें काफी संख्या में ,ऐसे भी शिक्षक है, जो बोयोमैट्रीक उपस्थिति की अहर्ता को पूर्ण नहीं करते है।
ऐसी भी जानकारी प्राप्त हुई है कि श्री आलोक कुमार चौधरी, शिक्षक, उत्क्र. उच्च विद्यालय, बुढ़ीकुरा, गोड्डा ,व श्री हिमांशु शेखर, शिक्षक, उत्क्र उच्च विद्यालय, देवडांड,गोड्डा द्वारा अपने मुल कार्य को छोड़कर कार्यालय कार्य संपादित करने में अभिरूचि ली जाती है। इनके द्वारा शिक्षा विभाग के विभिन्न कार्यालयों में जाकर कार्यालय अभिलेखो की संरचना की जाती है। प्रायः सभी कार्यालय में पदाधिकारी/कार्यालय कर्मी से गहरी साँठ-गाँठ बनाकर भी रखा गया है। उक्त दोनों शिक्षक पूर्व से ही सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत सीआरपी व बीआरपी के पद पर कार्यरत थे। साथ ही यह भी सूचना प्राप्त हुई है कि पद पर कार्य करते हुए वेतन का लाभ लेते हुए उनके द्वारा बीएड की पढ़ाई पूर्ण की है, जिसकी जाँच कराते हुए दोषी पाये जाने पर इनके विरुद्ध कड़ी विभागीय कार्यवाही की जाय।
पूर्व में भी (क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक, संथाल परगना प्रमंडल, दुमका )द्वारा ज्ञापांक-871/दुमका दिनांक 25-06-2019 द्वारा भी ऐसे कार्यो में लिप्त शिक्षक श्री राजीव कुमार झा, उत्क्र मध्य विद्यालय, खिजुरिया, बोआरीजोर, गोड्डा के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने का निर्देश जिला शिक्षा अधीक्षक,गोड्डा को प्रेषित किया गया था। परन्तु अबतक इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। बार-बार शिक्षा विभाग के कारण जिला प्रशासन की छवि धूमिल होती रही है।

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अतः अनुरोध है कि प्रशासनिक दृष्टिकोण से शिक्षक श्री आलोक कुमार चौधरी ,व हिमांशु शेखर को भविष्य में विद्यालय अन्तर्गत पठन-पाठन कार्य के अलावा किसी अन्य कार्यो में प्रतिनियोजन न की जाय। साथ ही साथ वेतन भुगतान में हुई अनियमितता की जाँच कराते हुए उचित कार्रवाई करने की कृपा की जाय।

ज्ञात हो कि जिस पत्र का जिक्र जिला परिषद उपाध्यक्षा ने किया है वो क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक, संथाल परगना प्रमंडल, दुमका द्वारा पत्रांक 871 दिनाक 25.06.2019 द्वारा जारी पत्र में ऐसे ही एक शिक्षक राजीव झा के बारे में जिला शिक्षा विभाग को निर्देश जारी कर कई गम्भीर मामले को रखा गया था ।

शिक्षा विभाग में गड़बड़झाला :

शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए बायोमैट्रिक सुविधा युक्त टैब का वितरण किया गया था,लेकिन तमाम तरह की तकनीकी खामी की वजह से यह पूरी तरह से हर विद्यालय में लागू नही हो सका था लेकिन शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को यह निर्देश जारी किया था कि बायोमैट्रिक उपस्थिति न होने पर वेतन रोक दिया जाएगा ।इस सम्बंध में भुक्तभोगी शिक्षकों ने बताया कि खामियां तकनीकी रूप से आ रही थी ये हर जगह काम नही कर रहा था इसी बीच नवम्बर माह में चुनाव आ गया आदर्श आचार संहिता में टैबलेट को जमा करवा दिया गया चूंकि उस टैब में (खोलते ही तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के एड चलते थे) जिसके बाद मोबाइल एप लांच किया गया उसके बावजूद एप वैसे मोबाइल पर ही चल रहा था जिसमे OTG सुविधा हो,इस कारण भी नवम्बर माह पूरा शिक्षकों का रेगुलर बायोमैट्रिक उपस्थिति नही हो पाई थी चूंकि न सभी को एप के बारे में अच्छे से पता था न सभी के पास अच्छे मोबाइल थे ।

  • क्या है मामला :
    ★ 89 उच्च विद्यालय के शिक्षको का वेतन रोक पूछा गया स्पस्टीकरण…
  • ★ बॉयोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज नही होने के कारण माह नवंबर की वेतन रोकी गई ।
  • ★विभागीय साठ गाँठ वाले शिक्षक पे यह नियम लागु नही ।
    यह जानना भी दिलचस्प होगा की जिला शिक्षा पदाधिकारी ने जिले के 89 उच्च विद्यालय के शिक्षको का माह नवंबर के वेतन रोकने के साथ साथ स्पस्टीकरण भी पूछा है।
    इस स्पस्टीकरण में वेतन रोकने का कारण बॉयोमेट्रिक में उपस्थिति दर्ज न होना बताया गया है।

यहां तो अफसरों से साठगांठ कर ऐसे किया जा रहा वेतन भुगतान ।
जितने शिक्षको को वेतन दिया गया है उसमें कई ऐसे शिक्षक भी है जिनका बॉयोमेट्रिक में उपस्थिति दर्ज नही है। वेतन रुकने से असंतुष्ट शिक्षकों ने बताया कि विभाग में ही ऑफिस के चक्कर काटने वाले  शिक्षक आलोक चौधरी, उत्क्रमित उच्च विद्यालय बूढ़ीकूड़ा, हिमांशू शेखर उत्क्रमित उच्च विद्यालय देवड़ाड़ आदि ऐसे कई शिक्षक हैं जिनकी बॉयोमेट्रिक में उपस्थिति दर्ज नही है परंतु उनका वेतन भुगतान किया गया है ।
इसके इतर भी विषय सामने आ रहा है कि किसी की 3 दिन के बायोमैट्रिक उपस्थिति न होने के कारण वेतन रुक जाता है और किसी की एक भी उपस्थिति न होने पर वेतन भुगतान कर दिया जाता है ।

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इससे साफ जाहिर होता है कि विभागीय तालमेल में इन शिक्षकों की विशेष पकड़ है । इसका कारण यह भी है कि ये शिक्षक सर्व शिक्षा अभियान में वर्षो तक सीआरपी बीआरपी के पद पे कार्यरत थे। वर्ष 2015 में शिक्षक के रूप में योगदान करने के बाद भी विभागीय अधिकारियों के साठ गाँठ से वेतन बनाने से लेके ट्रेज़री में पास कराने तक की कार्य मे संलिप्तता रखते हैं। वर्ष 2015 में योगदान से अब तक सर्वाधिक विद्यालय छोड़ अन्य कार्यो में प्रतिनियुक्ति करने में भी अपने आपको सफल रहे हैं ।
RDDE के निर्देश के बाबजूद भी विभाग चुप्पी साधे रखता है…
संलग्न पत्र के 6 महीने बीत जाने के बावजूद आजतक कार्रवाई के नाम पर महज खाना पूर्ति ही किया गया अन्यथा ऐसी शिकायतें सामने नही आती ।उपनिदेशक के पत्र के बावजूद शिक्षा विभाग की अनदेखी एवम जिले के छवि को धूमिल करती शिक्षा व्यवस्था ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं ।इस बीच नया साल आया गया झारखंड में नई सरकार बन गई है इससे जिले वासियों को उम्मीद है की नये वर्ष में नई सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाएगी ।साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधि भी ऐसी धूमिल होती छवि को बचा पाएंगे।

क्या कहते है ज़िला शिक्षा पदाधिकारी ।

वेतन भुगतान में हुए विसंगतियों के मामले पर जिला शिक्षा पदाधिकारी से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि जिनका प्रतिनियोजन सुपर 200 एवं विधानसभा चुनाव में मास्टर ट्रेनर के रूप में था उनके वेतन भुगतान पर बॉयोमेट्रिक उपस्थिति की बाध्यता नहीं किया गया है। उप निदेशक के द्वारा पत्र पर कार्रवाई की बात पूछे जाने पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि ये सब होते रहता है,जिला हमको चलाना है न नियम हम लागू करेंगे कैसे क्या करना है साथ ही उन्होंने उपायुक्त के निर्देश का भी हवाला दिया ।

अब सवाल यह भी है कि विधानसभा चुनाव में मास्टर ट्रेनर के रूप में कार्यरत शिक्षक राजेश कुमार चांद, बुनियादी उच्च विद्यालय, सुन्दरमोर के वेतन भुगतान पर रोक लगा कर स्पस्टीकरण पूछा गया है वही दूसरे मामले में शिक्षक हिमांशू शेखर, उत्क्रमित उच्च विद्यालय, देवडाढ़ जिनका प्रतिनियोजन सुपर 200 में दिनांक 11.11.2019 से किया गया है उनका नवंबर माह में एक दिन भी बॉयोमेट्रिक में उपस्थिति दर्ज नही है फिर भी भुगतान किया गया है,जो संदेह पैदा करता है ।

शिक्षक हिमांशु शेखर का नवम्बर माह का बायो मैट्रिक उपस्थिति सोर्स : ई विद्या साइट
शिक्षक हिमांशु शेखर का नवम्बर माह का बायो मैट्रिक उपस्थिति सोर्स : ई विद्या साइट

बार बार शिक्षा विभाग के कारण ज़िला प्रशासन की छवि धूमिल होती रही है।

अक्सर ट्रांसफर पोस्टिंग, वेतन भुगतान, एरियर भुगतान आदि कार्यो में शिक्षकों एवम विभागीय कर्मचारियों की एक समूह संलिप्त रहती है,कई शिक्षकों का कहना है की ऐसे ऐसे कार्यों के लिए मोटी रकम तक ली जाती है,साथ ही नही देने वाले शिक्षकों का वेतन रोकने ट्रांसफर करने जैसे धमकियां भी दे दी जाती है। ज़िला प्रशासन को चाहिए कि ऐसे शिक्षकों को चिन्हित कर भविष्य में विद्यालय अंतर्गत पठन पाठन कार्य के अलावा किसी अन्य कार्यो में प्रतिनियुक्ति न की जाय।

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