ब्यूरो रिपोर्ट:गोड्डा/बोआरिजोर प्रखण्ड के डकैता क्षेत्र में डेंगू के मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिस कारण लोगों में दहशत का आलम है। यद्यपि स्थानीय प्रशासन द्वारा डेंगू की रोकथाम के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद मच्छरों की भरमार ने लोगों का जीना दूभर कर रखा है।
तीन सिस्टर को छोड़ सभी सिस्टर को हो चुका है डेंगू।
डकैता के संत लुकस हेल्थ सेंटर में कार्यरत सिस्टर निशी बताती है कि यहां कोई नहीं है जो डेंगू के शिकार से बचा हो सिवाय तीन सिस्टर को छोड़कर ।
अबतक इस हेल्थ सेंटर की कुल 20 से 21 सिस्टर को डेंगू हो चुका है ,इनमें एक दो तो ऐसे हैं जिसे डेंगू की वजह से रक्तस्राव हो रहा है ,इन मरीजों के जांच में प्लेटलेस काफी कम होता जा रहा है ,जो अभी भी इलाजरत है ।
सितम की बात तो यह है कि सरकारी व निजी अस्पताल भी मच्छरों की कहर से नहीं बच पाए हैं। लोग अपने परिजनों को बचाने हेतु विभिन्न तरह के उपाय करते देखे जा सकते हैं। अस्पताल की सिस्टर निशी का कहना है कि मरीजों की संख्या में दिन-प्रतिदिन इजाफा हो रहा है ।
पिछले एक महीने में 45 मरीजों में डेंगू के पाए गए लक्षण
संत लूकस हेल्थ सेंटर डकैता की सिस्टर निशी ने मैं हूँ गोड्डा को बताया कि 10 नवम्बर से लेकर अबतक लगभग 45 मरीजों में डेंगू के लक्षण पाए गए हैं कई मरीज तो ऐसे हैं जो प्राथमिक उपचार के बाद या तो छुट्टी लेकर घर चले गए तो कुछ मरीज प्राथमिक इलाज के बाद बेहतर इलाज कराने निकल गए और कुछ अब भी अस्पताल में इलाजरत हैं ।लोगों की प्रशासन से मांग है कि डेंगू के बचाव के प्रयाप्त प्रबंध किए जाएं।इसी दौरान विभिन्न मरीजों में
हेल्थ सेंटर की ही सिस्टर सुशीला ,दिव्या,जयेन ,सुसेन,जेंसी, जया,मायसला,पूजा,राजेत,लुसिदा,
इन्विलेट आदि का कहना है कि उन्हें व उनके अन्य परिजनों को डेंगू ने इस तरह घेर रखा है कि उनके काम-धंधे तक प्रभावित होकर रह गए हैं।इनमें कुछ बेहतर के लिए बाहर निकल रहे हैं ।
कुछ आस पड़ोस के ग्रामीण हैं जो इस हेल्थ सेंटर से जुड़ी हुई हैं जिसमे नीलू हांसदा,रुपाली हांसदा, सुशीला मुर्मू,संगीता मरांडी,सुसविला सोरेन,रीता हेम्ब्रम,रीना मुर्मू,मोनिका हेम्ब्रम करुणा कुमारी (जियाजोरी)पुष्पा इत्यादि भी डेंगू का शिकार हो चुकी है ।कहती है कि रोज डेंगू मरीजों की संख्या ईजाफ़ा हो रहा है।
डेंगू के डंक से डकैता में फूटा मलेरिया बम
बोआरिजोर प्रखण्ड के डकैता में इस तरह डेंगू अपना कहर बरपा रहा है कि उसके डंक से मरीजों में मलेरिया होना शुरू हो गया है ।डेंगू के डर से लोग बेहतर इलाज के लिए बाहर जा रहे हैं ।ऐसे में ये डेंगू का डंक ही है जिससे मलेरिया बम फूटना शुरू हो गया है ।
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन आर डी पासवान ने हमारे सवालों के जवाब में बताया कि हमारी जानकारी में मामला आया है ,बोआरिजोर हेल्थ सेंटर उसपर लगातार नजर बनाये हुए है।कुछ लोगों का ब्लड सैंपल रांची लैब भेजा गया है जहां से जांचोपरांत 18 लोगों में डेंगू के लक्षण पाए गए हैं।हेल्थ सेंटर को एवं आसपास के लोगों को सफाई एवं डेंगू पलने वाले पानी पर ध्यान देने को कहा गया है ,साथ ही इसके रोकथाम के उपाय किये जा रहे हैं ।
आर डी पासवान (सिविल सर्जन गोड्डा)
हेल्थ सेंटर में मच्छरों की रोकथाम व सफाई व्यवस्था के विषेश प्रबंध किए तो जा रहे है लकिन इन सब दावों के बावजूद रोज बढ़ रहे डेंगू के डंक से मरीजों की संख्या इन दावों पर प्रश्र चिन्ह खड़े कर रही है।समय रहते अगर जिला प्रशासन उचित कदम नही उठाती है तो डेंगू के इस डंक से बीमारी की तबाही आ सकती है ।
डेंगू के डंक से बचने के लिए करें ये काम, बचे रहेंगे मच्छर के प्रकोप से
डेंगू एक तरह का वायरल इंफेक्शन है।
यह वायरस चार तरह डेनवी1, डेनवी 2, डेनवी 3 और डेनवी 4 का होता है।
मच्छर के काटने से यह वायरस खून में आ जाता है।
बरसात के मौसम में डेंगू फीवर का प्रकोप कहीं ज्यादा बढ़ जाता है। एडीज इजिप्टी नामक मच्छर के काटने से डेंगू फैलता है। डेंगू का मच्छर अधिकतर सुबह काटता है। यह मच्छर साफ रुके हुए पानी जैसे कूलर व पानी की टंकी आदि में पनपता है। डेंगू एक तरह का वायरल इंफेक्शन है। यह वायरस चार तरह डेनवी1, डेनवी 2, डेनवी 3 और डेनवी 4 का होता है। मच्छर के काटने से यह वायरस खून में आ जाता है।
क्या हैं जटिलताएं
डेंगू में सबसे ज्यादा चिंता का विषय रक्त में प्लेटलेट्स का कम हो जाना है। जब प्लेटलेट्स काउंट 10 हजार से कम हो जाए या शरीर के किसी भाग से रक्तस्राव (ब्लीडिंग) होने लगे, तो इस स्थिति में रक्त चढ़ाना पड़ता है। इसके अलावा रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) का कम होना और फेफड़ों व पेट में पानी का जमा होना चिंताजनक पहलू हैं।
ये हैं लक्षण
सर्दी लगकर तेज बुखार आना।
सिरदर्द होना।
आंखों में दर्द होना।
उल्टी आना।
सांस लेने में तकलीफ होना।
शरीर, जोड़ों व पेट में दर्द होना।
शरीर में सूजन होना।
त्वचा पर लाल निशान आ जाना।
कुछ लोगों को इस बीमारी में रक्तस्राव (ब्लीडिंग) भी हो जाता है। जैसे मुंह व नाक से और मसूढ़ों से। इस स्थिति को डेंगू हेमोरेजिक फीवर कहा जाता है।
पेशाब लाल रंग का आना, काले दस्त आना।
दौरे आना और बेहोशी छा जाना।
ब्लड प्रेशर का कम (लो) होना, जिसे डेंगू शॉक सिंड्रोम कहते हैं। इस स्थिति में शरीर के विभिन्न अंगों को सुचारु रूप से रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती।
इलाज
गंभीर स्थिति में मरीज को अस्पताल में दाखिल करने की जरूरत पड़ती है। हालांकि डेंगू की गंभीरता न होने की स्थिति में घर पर रह कर ही उपचार दिया जा सकता है और पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं होती।
इस रोग में रोगी को तरल पदार्थ का सेवन कराते रहें। जैसे सूप, नींबू पानी और जूस आदि।
डेंगू वायरल इंफेक्शन है। इस रोग में रोगी को कोई भी एंटीबॉयटिक देने की आवश्यकता नहीं है।
बुखार के आने पर रोगी को पैरासीटामॉल की टैब्लेट दें। ठंडे पानी की पट्टी माथे पर रखें।
रोगी को यदि कहीं से रक्तस्राव हो रहा हो, तभी उसे प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता होती है।
डेंगू का बुखार 2 से 7 दिनों तक रहता है। इस दौरान रोगी के रक्त में प्लेटलेट्स की मात्रा घटती है। सात दिनों के बाद स्वत: ही प्लेटलेट्स की मात्रा बढ़ने लगती है। लक्षणों के प्रकट होने पर शीघ्र ही डॉक्टर से संपर्क करें।