-महीनों पूर्व सचिव ने दिया था निर्देश, विशेष परिस्थिति में एंबुलेंस से भेजवाया जाए शव
इन दिनों अधिकतर जिलों में शव को ठेला, रिक्शा और मोटरसाइकिल पर ढोने का मामला आ रहा है। इन मामलों में विभाग पर सरकार की उदासीनता पर भी सवाल खड़ा हो रहा है। किसी भी मानव शरीर के मृत होने के बाद उसे स्वास्थ्य संस्थान से घर तक भिजवाने की जिम्मेवारी भी प्रबंधन की होती है। तय मानक के अनुसार शव को भिजवाने के लिए शव वाहन होता है जिसमें सिर्फ शव को ही ढोया जाता है। लेकिन विडंबना यह है कि शव वाहन की व्यवस्था अधिकतर जिलों में नहीं है। विभागीय सूत्रों के अनुसार इस वाहन की व्यवस्था सिर्फ रांची रिम्स में ही है।
विशेष परिस्थिति में शव को एंबुलेंस में भेजने का निर्देश :
उड़ीसा में एक महिला के शव को कंधे पर ढोने के संवेदनहीनता के मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इसके बाद ही मई माह में तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव के निर्देश दिया था कि विशेष परिस्थिति में शव को एंबुलेंस से भिजवाया जाए। जिससे इस प्रकार की घटना से बचा जा सके। लेकिन मेडिकल एक्ट के तहत एंबुलेंस में सिर्फ जीवित मानव शरीर को स्वास्थ्य संस्थान तक पहुंचाने की लॉ है। इसका तोड़ देते हुए भी सचिव द्वारा निर्देशित पत्र में कहा गया था कि एंबुलेंस में शव ढोने के बाद एंबुलेंस का पूरी तरह से साफ सफाई करवाना प्रबंधन की जिम्मेवारी है। जिससे अन्य दोबारा जीवित रोगियों को ले जाने में किसी प्रकार का इंफेक्शन न फैलें।
शव को घर तक भेजवाने की व्यवस्था करायेगी प्रबंधन : सीएस
इस हाइवोल्टेज मामले के बाद स्वास्थ्य विभाग की मुखिया ने अपना रूख साफ कर दिया है। उन्होंने जिले में चल रहे सरकारी व गैर सरकारी स्वास्थ्य संस्थान में निर्देशित करते हुए कहा है कि अगर संस्थान में किसी व्यक्ति की मौत होती है तो शव को भिजवाने की व्यवस्था प्रबंधन को कराना है। इस प्रकार का मामला निजी क्लिनिकों में भी न आए इसका प्रबंधन को ख्याल रखना है।
मैं हूँ गोड्डा से अभिषेक राज की रिपोर्ट