गोड्डा में आहूत भारत बंद को असर अभी तक बेअसर ही नजर आ रहा है। किसी भी पार्टी के कार्यकर्ता नही पहुँचे है। ना कोई झंडा दिख रहा है।
कांग्रेस के पूर्व सांसद फुरकान अंसारी भी गोड्डा बंदी के लिए पहुंचे लेकिन कारगिल चौक पर शांति देखकर मन मसोक कर निकल गए हालांकि उन्होंने कहा कि बंदी का असर दिखेगा और 2019 भी फतह करेंगे लेकिन यहां भी विश्वास कम उत्साह ज्यादा नजर आया।
विपक्षी एकता की भी खुल गयी पोल।
गोड्डा में जैसे ही फुरकान अंसारी के आने की खबर हुई कांग्रेस क्या अन्य दल के नेता और कार्यकर्ता भी ठंडे पड़ गए।
गोड्डा में आज भारत बन्दी के अवसर पर संयुक्त मोर्चा में फूट दिखी। काँग्रेस और जेविएम के सुर अलग-अलग थे।
एक ओर काँग्रेस जहां इस बन्दी में फुरकान अंसारी के नेतृत्व को चमकाने के प्रयास कर रही थी वही दूसरी ओर जेविएम उनकी उपस्थिति को पचा नही पा रही थी।
इसका मुख्य कारण जेविएम प्रत्याशी के रूप में प्रदीप यादव को खड़ा करना चाह रही है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस अपनी परम्परागत सीट को छोड़ने को तैयार नही है।
दोनों पार्टी के बीच की तल्खी इस बात से पता चल गई कि फुरकान अंसारी अपने बयान में सभी सहयोगी दलों का नाम लेते नजर आए लेकिन उनके मुँह से जेविएम का नाम नही आया जबकि इस बन्दी में जेवीएम के कार्यकर्ताओं की संख्या अच्छी खासी थी।
11 बजे तक सभी बन्द समर्थकों को हिरासत में लेकर नगर थाना ले जाया गया जहाँ बाद में उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया।
हालांकि गोड्डा से ज्यादा बंद समर्थकों की गिरफ्तारी महगामा अनुमंडल में हुआ जहां अलग अलग थानों से कुल 328 बंद समर्थकों की गिरफ्तारी हुई जिसमें 67 महिलाएं हैं और 261 पुरुष ।