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बिहार की सीमा से बालू के साथ साथ होता है कई तरह का अवैध कारोबार ।

बालू से पुलिस के अधिकार छीनने के बाद बालू माफियाओं का खौफ खत्म

राघव मिश्रा :गोड्डा/सरकार और जिला प्रशासन के लाख प्रयास के बावजूद अवैध बालू का उठाव पर रोक अब तक नहीं लगाया जा सका है।

 

वर्तमान में स्थिति यह हो गयी है कि कई नदियों का अस्तित्व अब खतरे पर है। इसमें गोड्डा जिला की लाइफलाइन कही जाने वाली कझिया नदी का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर आ चुका है।

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लेकिन जिला प्रशासन, स्थानीय जनप्रतिनिधियों की इस पर ध्यान नहीं है या फिर यह कहे कि जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासन के लोगों के सहयोग से ही अवैध बालू का उठाव करते है।

अगर जिले में सबसे अधिक अवैध बालू की उठाव की बात करे तो पथरगामा प्रखंड नंबर वन पर है। जहां पर दिन हो या रात हर समय अवैध बालू की ढुलाई की जाती है। पथरगामा प्रखंड में स्थित गेरूआ नदी जो बिहार राज्य के सीमा पर पड़ती हैं यहां की बालू अवैध तरीके से जिले में के अन्य क्षेत्रों में बेचा जा रहा है।

कैसे होता है बालू का अवैध ढुलाई:

बालू माफियाओं के द्वारा सुबह 3 बजे से ही गाड़ी में बालू लोडिंग का काम शुरू होता है ,बालू गेरुवा नदी के सनातन घाट एवं उरकुसिया घाट से उठाया जाता है और यह कारोबार बेख़ौफ़ धड़ल्ले से जारी है ।

किस रास्ते से हो रहा बालू का अवैध कारोबार :
उरकुसिया एवं सनातन घाट से बालू उठाकर ट्रैक्टर चालक रजौनमोड़ होकर बंट जाते हैं ,कुछ ट्रैक्टर गांधीग्राम के रास्ते निकलते हैं तो कुछ दुर्गापुर लौगांय के रास्ते बेलसर की तरफ ,एवं कुछ गाड़ी रजौन मोड़ से लतौना गंगारामपुर होते हुए ढिबा गांव की तरफ जाते हैं ।

 

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कैसे बच निकलते हैं ये प्रशासन से?:

सभी अवैध बालू की गाड़ी के साथ साथ पीछे से गाड़ी मालिक भी बाइक से चलता है,साथ ही जिस रास्ते से गाड़ियों का झुंड गुजरता है उस रास्ते मे जगह जगह पर बालू माफियाओं का विचौलिये बैठे रहते हैं ।

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बिचौलिए प्रशासन की हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखते हैं ,जिससे वो इसकी सूचना ट्रैक्टर चालक एवं गाड़ी मालिक को देते हैं ,जिसके कारण प्रशासन से हमेसा बच निकलते हैं ।
इसके एवज में भी बिचौलियों को अच्छा खासा पैसा मिल रहा है। वर्तमान में तीन हजार से साढ़े तीन हजार रूपये प्रति टेलर बालू की बिक्री हो रही है।

जगह जगह तैनात रहते है सूचक :

बालू की ढुलाई काफी उच्च स्तर से चल रहा है। अक्सर सभी प्रखंडों में कई बालू घाट ऐसे भी है जिसका डाक नहीं हुआ है। इसका ही फायदा बालू माफिया उठा रहे हैं। उन घाटों पर दबंग माफिया काफी सक्रिय हैं।

 

जिन रास्ते से बालू की ढुलाई होती है उन रास्तों पर जगज जगह माफिया के सूचक तैनात रहते है। जो प्रशासनिक पदाधिकारी के आने जाने के पल पल की सूचना वाहन चालकों को देते है।

 

जिसके बाद वाहन चालक अपने रास्ते को बदल देते है। कई बार ऐेसा देखने को मिला है कि टास्क फोर्स की टीम को वाहन चालक चकमा देकर फरार हो गए है।

पुलिस का अधिकार समाप्त, माफिया का खौफ खत्म :

इधर विगत दिनों राज्य से निर्देश दिया गया कि पुलिस विभाग अब बालू की अवैध ढुलाई पर अपने से छापेमारी नहीं करेंगे। उनका अधिकार खनन के इस क्षेत्र से हटा दिया गया।

जिसके बाद से अवैध बालू की ढुलाई खुलेआम की जाने लगी है। पुलिस भी इस मामले में अब चुप हो गयी है। एसपी राजीव रंजन ने बताया कि पुलिस को अब बालू की जांच नहीं करनी है। सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दे दिया गया है।

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वहीं पथरगामा सीओ ने बताया कि मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है ,लेकिन छापेमारी में जाने के बाद कुछ हाथ नही लगा है ।फिर मिली जानकारी पर अब भी छापेमारी की जाएगी ।

 

इसके बावजूद नदियों से बालू का उठाव जारी है। गाहे-बगाहे प्रशासन द्वारा छापेमारी जैसी कार्रवाई की जाती है लेकिन नतीजा ज्यों का त्यों बना हुआ है , कुछ वाहनो को पकड़ कर औपचारिकता भी पुंरी की जाती रही है।

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इससे इनकार भी नही किया जा सकता जिसे लोग प्रशासन की महज दिखावा मानते है। अगर प्रशासन गंभीर होती तो बालू माफिया बेखैफ होकर उठाव नही करता, आम लोगों का कहना है की बिहार की सीमा को जोड़ने वाला यह दो प्रमुख रास्ते से बालू के साथ साथ रात में लकड़ी ,नशीले पदार्थ जैसे चीजों का कारोबार धड़ल्ले से जारी है ।

प्रशासन सिर्फ औपचारिकता पूरी करती है क्योंकि इन माफियों की पहुंच लंबी है और चंद मिनट में ही ये जनप्रतिनिधि से लेकर कई बड़े लोगों से फोन करवा कर मामला रफा दफा करवा देते हैं ।

यहां तक कि रास्ते भर में ये लोग कई प्रकार के चंदे देकर सभी को मैनेज करके रखते हैं ताकि अवैध कारोबार के खिलाफ आवाज न उठे ।

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बरहाल ऐसे ही प्रशासन के हाथ कस दिए जाएंगे औऱ बाहरी तबाव ऐसा ही बना रहेगा के साथ साथ पैसों के बल पर सबकुछ ऐसा ही मैनेज होगा तो आम जनता को प्रशासन से उम्मीद तो उठेगा ही साथ माफिया बेख़ौफ़ होकर ऐसे ही अवैध कारोबार में अपने पांव पसारते जाएंगे ।

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